Friday, March 21, 2025
Homeराष्ट्रीयचिदंबरम ने सरकारी की आर्थिक सोच पर सवाल उठाया, कहा कर छूट...

चिदंबरम ने सरकारी की आर्थिक सोच पर सवाल उठाया, कहा कर छूट ही पर्याप्त नहीं

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। कांग्रेस के नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार की आर्थिक सोच पर सवाल उठाते हुए सोमवार को 2025-26 के बजट में पूंजीगत और सामाजिक क्षेत्र के बजट में कटौती कर के राजकोषीय घाटे को सीमित करने का प्रयास तो किया गया है पर इस बजट से अर्थव्यवस्था को गति मिलने की संभावना नहीं दिखती।

उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक फरवरी को लोक सभा में प्रस्तुत बजट में आयकर में छूट से उपभाग और आर्थिक गति विधि में तेजी की संभावना को क्षींण बताते हुए कहा कि बजट में व्यक्तिगत आय कर में एक लाख करोड़ रुपये की छूट भारत के 324 लाख करोड़ रुपये के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मात्र 0.3 प्रतिशत के बराबर है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या इतनी भर छूट से अर्थव्यवसथा को बल मिलेगा? उन्होंने कहा “ आर्थिक दर्शन के बिना आर्थिक नीति नहीं बनती।”

उन्होंने वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण को पूर्व प्रधान मंत्री और 1991 में भारत में आर्थिक सुधारों की शुरूआत करने वाले तत्कालीन वित्त मंत्री डाॅ मनमोहन सिंह से सीख लेने का सुझाव देते हुए कहा, 1991 में भारत के सामने चुनौतियां आज से बड़ी थी।” उन्होंने इसी संदर्भ में यह भी सवाल किया कि “सरकार (स्वर्गीय) डॉ मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने का विचार क्यों नहीं करती।”

उन्होंने कहा कि कर में कटौती का एक बड़ा हिस्सा बैंकों में जमा, विदेश यात्राओं, विदेशों में पढ़ाई आदि में चला जाएगा और घरेलू वस्तु तथा सेवाओं के उपभोग को कोई खास बढ़ावा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री को निर्यात और निवेश के इंजन को भी गति देनी चाहिए थी।

श्री चिदंबरम ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में केवल 3.2 करोड़ लोक आयकर देते हैं बाकी केवल कर विवरण भरते हैं और उनका कर का भुगतान शून्य रहता है। सरकार ने कर छूट वाली अधिकतम आयु सीमा को सात से बढ़ा कर 12 प्रतिशत किया है और यह छूट धनाढ्यों को भी फायदा कर रहा है। इस छूट से 80-85 लाख करदाता कर के जाल से बाहर हो जाएंगे और 2.5 करोड़ करदाताओं को कर का फायदा होगा।

इस लाभ पाने वालों में कवेल मध्यवर्गीय व्यक्ति ही नहीं, वे 2.27 लाख वे लोग भी जिनकी आय एक करोड़ रुपये वार्षिक से अधिक है, 262 लाख वे लोग जिनकी आय 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है और 23 वे लोग भी हैं जिनकी आय 500 करोड़ रुपये से ज्यादा है। उन्होंने कहा, ‘कर छूट से बचा पैसा केवल देश में वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग पर नहीं जाएगा बल्कि यह बैंकों, विदेश यात्राओं, विदेश शिक्षा पर ही जाएगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि वित्त मंत्री कह रही है कि एक लाख की छूट दी है। इतनी बड़ी छूट देने के बाद वह कैसे दावा कर सकती है कि अगले वित्त वर्ष में 11 प्रतिशत बढ़ेगी। उन्होंने कहा, “मैं देखना चाहूंगा कि यह जादू कैसे घटित होता है।”

श्री चिदम्बरम ने कहा, “2012-24 तक वार्षिक औसत खाद्य मुद्रास्फीति 6.18 प्रतिशत, शिक्षा मुद्रास्फीति 11 प्रतिशत तथा चिकित्सा मुद्रास्फीति 14 प्रतिशत रही है। महंगे होने से देश की जनता की उपभोग क्षमता पंगु हो गयी है।” इस दौरान घरेलू बजत का अनुपात 25.2 प्रतिशत से घट कर 18.2 प्रतिशत पर आ गया है।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि श्रीमती सीतारणम उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए “और कई चीजें कर सकती थीं, जीएसटी में छूट दे सकती थीं, डीजल-प्रेट्रोल पर कर कम कर सकती थीं, मनरेगा की मजदूरी और न्यूनतम मजदूरी बढ़ा सकती थी। उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।”

उन्होंने कहा कि इस समय बेरोजगारी को सबसे बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि नियमित श्रम बल सर्वे (पीएलएफएस) में ने बेरोजगारी दर को 3.2 प्रतिशत बताया है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है तो यह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की परिभाषा के अनुसार पूर्ण रोजगार की स्थिति है क्यों कि भारत में यह दर पांच प्रतिशत से कम है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार की रिपोर्ट में ही भारत में युवाओं में बेरोजगारी 10.2, ग्रेजुएट बेरोजगारी 13 प्रतिशत है तो 3.2 प्रतिशत का आंकड़ा कैसे सही हो सकता है। उन्होंने यह भी पूछा कि गैर फार्म क्षेत्र में सालाना 78 लाख रोजगार सृजन की सरकार की राह क्या है?

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा भी कहा कि पुरुष श्रमिकों की पगार पिछले सात साल में गिरी है यही बात स्वरोगार में लगे श्रमिकों के वेतन का हाल है। बजट में आबादी के 50 शतिशत नीचे वालों के लिए कुछ नहीं है उनकी आय, बचत और उनके लिए रोजगार के अवसर घट रहे हैं। उन्होंने वित्त मंत्री से कहा, “आप नीचे के 50 प्रतिशत के बारे में बात करें।’

श्री चिदंम्बरम ने यह भी कहा कि भारत विनिर्मित वस्तुओं के व्यापार में बड़ी शक्ति नहीं है। जीडीपी में भी विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा गिर रहा। पीएलआई और विनिर्माण प्रोत्साहन के प्रयास बिल्कुल विफल हो चुके हैं।

वित्त मंत्री के राजकोषीय मजबूती हासिल करने के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह यह पूंजीगत निवेश और सामजिक क्षेत्र पर खर्च में बड़ी कटौती कर के हासिल किया गया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक कल्याण, कृषि, ग्रामीण विकास और शहरी विकास के मद में बजट में बेमुरौवत कटौती की गयी है। यह ठीक रणनीति नहीं है। उन्होंने कहा कि पूंजी खर्च में इस बार के बजट में 92600 करोड़ रुपये की कमी की गयी है और राज्यों को पूंजी निवेश अनुदान भी घटा दिया गया है। इस तरह बजट में इस बार कुल 1.83 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कटौती कटौती की गयी है। उन्होंने कहा, ‘यह एक गल नीति है। यह बजट कोई अच्छी नीति यह अच्छा अर्थशास्त्र नहीं कहा जा सकता है।”

श्री चिदंबरम ने अपने भाषण के शुरू में लगातार आठ बजट प्रस्तुत करने के श्रीमती सीतारमण के रिकार्ड के लिए उन्हें बधाई दी। इसका उल्लेखन सभापति जगदीप धनखड़ ने भी किया। श्री चिदंबरम ने मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंतनागेश्वरन को ‘अपने मन की बात करने की छूट देने के लिए” वित्त मंत्री की प्रशंसा की लेकिन कहा कि सीईए को बोलने छूट बधाई लेकिन कहा कि सीईए ने सरकार को कारोबार के रास्ते से हटने और रेग्यूलेशन खत्म करने की रणनीति की जो सलाह दी उसका श्रीमती सीतारमण के बजट में अभाव है।

उन्होंने कहा, “दर्शन नहीं है तो नीति नहीं है। 1991 में परिस्थितियां अधिक चुनौती थीं। मेरा अनुरोध है कि आप डॉ मनमोहन सिंह से सीख लें।” उन्होंने अपने संबोधन की समाप्ति इस सवाल से की कि -आप डॉ मनमोहन सिंह को भारत रत्न क्यूं नहीं देते।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के डा दिनेश शर्मा बीजेपी ने बजट 2025-26 को राजनीतिक अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं को पूरा करने वाला एक असाधरण बजट बताया और कहा कि इसमें वृद्धि की जरूरतों के साथ कजोर वर्ग की अवश्यकताओं को भी साधा गया है।

उन्होंने बजट में वित्तीय अनुशासन बनाने रखने के लिए वित्त मंत्री को बधाई दी। यह देश को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्यों की दिशा के अनुकूल है। डॉ शर्मा ने कहा कि अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की अर्थव्यस्था के प्रदर्शन को वैश्विक चुनौतियों के बीच सराहनीय बताया है।

उन्होंने भाषण के दौरान विपक्ष से सवाल किया कि कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को आप क्या किया ? उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार के समय एक विधेयक को कांग्रेस के नेता द्वारा फाड़े जाने की चर्चित घटना का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि यदि हमारी नीतियां और कार्यक्रम सही और प्रभावी नहीं होतीं तो इस सरकार को लगातार जनता का विश्वास नहीं मिल रहा होता।

भारत की प्रगति का एक मूल आधार मध्यम वर्ग है, इस सरकार ने मध्यम वर्ग का जितना ध्यान दिया है, इससे पहले की सरकारों में नहीं हुआ है। इसी संदर्भ में उन्होंने 12 लाख तक की आय को कर से छूट का उल्लेख किया। भारतीय जनता पार्टी के दिनेश शर्मा ने केंद्रीय बजट 2025-कहा कि मोदी सरकार के नेतृत्व में नारी सशक्तिकरण हो रहा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और सदन के नेता जगत प्रकाश नड्डा ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कांग्रेस सदस्य श्री चिदंबरम को अमेरिका से वापस आये लोगों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका से अवैध प्रवासी भारतीयों की वापसी निर्धारित मानकों के अनुरुप हुई है। उन्होंने कहा कि यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। उन्होंने इस संबंध में वर्ष 2009 के बाद के आंकड़ें भी दिये।

तृणमूल कांग्रेस के रीताब्रता बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय बजट में आम आदमी का ध्यान नहीं रखा गया है। बेरोजगारी और महंगाई की समस्या लगातार बढ़ रही है। असंगठित श्रमिकों लिए बजट में उचित प्रावधान नहीं किये गये हैं।

द्रमुक के तिरुचि शिवा ने कहा कि विकसित में भारत की तस्वीर पेश की गयी है। इसे प्राप्त करने के तरीकें भी बतायें गये हैं। लेकिन वास्तविक स्थिति इसके उलट है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है और किसान को उनकी उपज के दाम नहीं मिल रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि सरकार को देश में विनिर्माण उद्योग को प्रोत्साहन देना चाहिए। इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा और समाज में समृद्धि आयेगी। उन्होंने कहा कि देश में बुनियादी ढांचे में भारी निवेश की जरुरत है और सरकार को इस दिशा में मजबूती के साथ बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनरेगा में पर्याप्त आवंटन नहीं किया गया है। निर्यात में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले छोटे कारोबार को बजट में लगभग भुला दिया गया है। सरकार लगातार कर का बोझ बढा रही है। इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ रहा है।

वाईएसआरसीपी के गोला बाबूराव ने कहा कि पूरा बजट अमीरों के लिए बनाया गया है। इसमें महंगाई कम करने और रोजगार के लिए कोई स्पष्ट घोषणा नहीं है।

बीजद के देवाशीष रामंतराय ने कहा कि इसमें रोजगार के साथ ही गिग कमगारों के लिए न्यूनतम वेतनमान की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि ओडिशा और केन्द्र की डबल इंजन सरकार राज्य के विकास में असफल रही है। ओडिशा के साथ दोहराघात किया गया है। इस असंतोषजनक बजट है जो आम आदमी के लिए कुछ नहीं किया है। महंगाई आसमान छू रही है। ओडिशा को भी विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग को 12 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त कर दिया गया लेकिन गरीब और दैनिक मजदूरी करने वालों के लिए बजट में कोई घोषणा नहीं है। तेंदुपत्ता पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा रहा है।

अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई ने कहा कि तमिलनाडु में बलात्कार की घटनाओं में तीव्र वृद्धि हुयी है। राज्य में विधानसभा चुनाव में बिजली बिल में राहत का वायदा किया गया था लेकिन चार वर्ष होने के बाद भी बिजली का बिल कम नहीं हुआ है। राज्य में गरीबों को अच्छा घर नहीं मिल रहा है।

समाजवादी पार्टी के रामजी लाल समुन ने कहा कि यह बजट निराशाजनक है। मनरेगा के लिए बजट में कोई घोषणा नहीं की गयी है। मनरेगा के कामगारों के पिछले वर्ष का भुगतान बकाया है। यह सरकार गरीबों को पांच किलो अनाज दे रही है लेकिन रोजगार देने के लिए तैयार नहीं है। यह श्रमिकों के नाम काट रही है। पिछले 10 वर्षाेें में 50 हजार एमएसएमई बंद हुये है। इसमें हजारों लोगों की नौकरियां सामप्त हुयी है। विदेशी मुद्रा भंडार से अधिक विदेशी ऋण है। यह किसान विरोधी, युवा विरोधी के साथ ही ही कुल मिलाकर सभी वर्गाें के विरोध वाला बजट है।

शिव सेना के मिलिंद मुलड़ी देवड़ा ने कहा कि वित्त मंत्री ने इस बजट के माध्यम से समाज के हर वर्ग के साथ ही उद्योग जगत में भी सभी उद्यमों को ध्यान में रखा है। वैश्विक चुनौतियों के बीच वित्त मंत्री ने भारत की विकास दर को गति देने का काम किया है। इस बजट में जिस पर अधिक फोकस किया गया है वह है एमएसएमई को निर्यातोन्मुख बनाना है। कार्पोरेट कर को कम करने से एमएसएमई को एक लेवल प्लेइंग फील्ड मिलेगा।

केसी (एम) के जोस के मणि ने कहा कि इस बजट में केरल को पूरा तरह से अनदेखी की गयी है। पिछले आठ वर्षाें से केरल के साथ यह हो रहा है। केरल को किसी विशेष प्रावधान की जरूरत नहीं है लेकिन अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को केरल में नहीं मिल रही सफलता के कारण राज्य को कुछ नहीं दिया जा रहा है। आपदा के समय प्रधानमंत्री वायनाड गये थे और मदद का वायदा कर आये थे लेकिन अब तक कोई मदद नहीं दी गयी क्योंकि केरल में भाजपा को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

हमारे बारें में

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

Recent Comments