नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। बिहार मतदाता सूची : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह बिहार में विशेष पुनरीक्षण अभियान के दौरान मतदाता सूची से हटाए गए लगभग 65 लाख लोगों के विवरण शनिवार तक अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
🏛️ याचिका की सुनवाई में क्या हुआ
न्यायमूर्ति सूर्य कांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान और न्यायमूर्ति एन. के. सिंह की तीन-न्यायाधीशों वाली पीठ ने यह निर्देश दिया। ADR की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए और उन्होंने 25 जुलाई को चुनाव आयोग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए कहा कि इसमें बताया गया है कि लगभग 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। लेकिन इनमें से कितने मृत, कितने स्थायी रूप से पलायन करने वाले, और कितने अन्य कारणों से हटाए गए, इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है।
📋 चुनाव आयोग को अदालत की फटकार
पीठ ने चुनाव आयोग के वकील से पूछा, “शनिवार तक जवाब दाखिल करें और श्री भूषण को यह देखने दें कि क्या जानकारी उपलब्ध कराई गई है और क्या नहीं।”
साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूची से हटाए गए प्रत्येक व्यक्ति की स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए और यह जानकारी हर राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों के साथ साझा की जानी चाहिए।
🧾 चुनाव आयोग की ओर से सफाई
चुनाव आयोग के वकील ने अदालत को भरोसा दिलाया कि आयोग यह साबित करेगा कि जानकारी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ साझा की गई है। अदालत ने जवाब रिकॉर्ड पर रखने और उन राजनीतिक दलों की सूची भी देने को कहा जिन्हें यह विवरण साझा किया गया है।
📅 अगली सुनवाई 12 अगस्त को
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 12 अगस्त को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा। तब तक चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना होगा कि 65 लाख नामों की छंटनी कैसे और किन मानदंडों के आधार पर की गई, और क्या उन व्यक्तियों को उचित सूचना और अवसर दिया गया।