नई दिल्ली, 02 अगस्त (वेब वार्ता)। राष्ट्रपति भवन स्थित विश्वप्रसिद्ध अमृत उद्यान 16 अगस्त से 14 सितंबर तक एक बार फिर जनता के लिए खोला जाएगा। प्रकृति प्रेमियों और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह एक सुनहरा मौका होगा जब वे इस सुरम्य बगिया की भव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव कर सकेंगे।
✨ इस बार कुछ खास है: ‘बबलिंग ब्रूक’
इस वर्ष अमृत उद्यान में जो सबसे खास बात है वह है – ‘बबलिंग ब्रूक’। यह एक कलात्मक जलधारा है जिसमें झरने, फव्वारे, स्टेपिंग स्टोन्स और एक ऊँचा रिफ्लेक्टिंग पूल शामिल हैं। यह उद्यान की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाता है और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहेगा।
🌿 प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का अनोखा संगम
अमृत उद्यान में प्रवेश करने पर हर कोना प्रकृति से जुड़ने का अनुभव कराता है। यहाँ के मुख्य आकर्षणों में शामिल हैं:
बाल वाटिका
हर्बल गार्डन
बोनसाई गार्डन
सेंट्रल लॉन
लॉन्ग गार्डन
सर्कुलर गार्डन
हर हिस्से में जगह-जगह लगे QR कोड स्कैन कर पर्यटक पौधों की प्रजातियों, उनकी वैज्ञानिक विशेषताओं और बागवानी डिजाइन के बारे में दिलचस्प जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं।
🍃 शांति और आत्म-संवेदना का अनुभव
बनियन ग्रोव में स्थित:
रिफ्लेक्सोलॉजी पथ
पंचतत्व ट्रेल्स
जंगल जैसी ध्वनियाँ
यह सभी पर्यटकों को प्रकृति से गहराई से जोड़ने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा, हर्बल और प्लमेरिया गार्डन, घास के टीले और संवेदी पौधे वातावरण को और भी जीवंत बना देते हैं।
🕙 समय और प्रवेश नियम
तारीखें: 16 अगस्त से 14 सितंबर 2025
समय: सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक (आखिरी प्रवेश: शाम 5:15 बजे)
विश्राम दिवस: प्रत्येक सोमवार को उद्यान बंद रहेगा।
🚪 प्रवेश और बुकिंग जानकारी
प्रवेश द्वार: राष्ट्रपति भवन का गेट नंबर 35, नॉर्थ एवेन्यू रोड के पास।
एंट्री शुल्क: पूर्णतः निःशुल्क।
ऑनलाइन बुकिंग: visit.rashtrapatibhavan.gov.in
वॉक-इन विज़िटर सुविधा: गेट 35 पर उपलब्ध सेल्फ-सर्विस कियोस्क।
🎒 क्या ले जा सकते हैं, क्या नहीं?
अनुमत वस्तुएं:
मोबाइल फोन
इलेक्ट्रॉनिक चाबी
पर्स, हैंडबैग
पानी की बोतल
बच्चों की दूध की बोतल
छाता
प्रतिबंधित वस्तुएं:
किसी भी अन्य प्रकार का सामान
फूड आइटम्स, कैमरा, ड्रोन आदि
📸 यह स्थान केवल एक उद्यान नहीं, अनुभव है
अमृत उद्यान में बिताया हर पल आत्मा को सुकून देता है। यह ना केवल भारत की हरियाली और जैव विविधता को दर्शाता है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत उदाहरण भी है।