नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के बहुचर्चित अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को गुरुवार को राऊज एवेन्यू कोर्ट से बड़ा झटका लगा। अदालत ने मिशेल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने जेल से रिहाई के निर्देश देने की मांग की थी।
कोर्ट का फैसला
अदालत ने कहा कि मिशेल पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 467 के तहत अपराध का आरोप है, जो जालसाजी और गंभीर धोखाधड़ी से जुड़ा है। इस अपराध के लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी कथित अपराधों के लिए अधिकतम सजा पहले ही काट चुका है।
जज ने स्पष्ट किया कि धारा 467 वास्तव में लागू होती है या नहीं, यह मुद्दा आरोप तय करने की प्रक्रिया के दौरान तय किया जाएगा। फिलहाल, रिहाई का आदेश देना न्यायसंगत नहीं होगा।
ईडी और सीबीआई का विरोध
कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मिशेल की याचिका का विरोध किया। दोनों एजेंसियों ने दलील दी कि मामला गंभीर वित्तीय अपराध और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए आरोपी को रिहा करना उचित नहीं है।
मिशेल की दलील
क्रिश्चियन मिशेल ने अपनी याचिका में कहा था कि जिन अपराधों में उस पर आरोप लगाए गए हैं, उनकी अधिकतम सजा सात साल है और वह यह अवधि पहले ही जेल में काट चुका है। इसी आधार पर उसने रिहाई की मांग की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
जमानत का इतिहास
18 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई मामले में मिशेल को जमानत दी थी।
इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी मामले में भी जमानत मंजूर की थी, लेकिन शर्तों के तहत 5-5 लाख रुपये का निजी मुचलका, जमानत राशि, पासपोर्ट जमा करना और भारत में निवास की जानकारी देना अनिवार्य किया गया था।
मिशेल ने इन शर्तों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन राहत नहीं मिली।
प्रत्यर्पण और गिरफ्तारी
गौरतलब है कि क्रिश्चियन मिशेल को 5 दिसंबर 2018 को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से भारत प्रत्यर्पित किया गया था।
भारत पहुंचते ही सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
कुछ दिनों बाद ईडी ने भी हिरासत में ले लिया।
तब से वह तिहाड़ जेल में बंद है।