मुंबई, (वेब वार्ता)। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के वरिष्ठ नेता अनिल परब ने महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री योगेश कदम पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी मां के नाम पर जारी बार लाइसेंस को शुक्रवार को सरकार को लौटाया जाना एक तरह से अपराध की स्वीकृति है। परब ने मांग की कि इस मामले में योगेश कदम को बर्खास्त किया जाना चाहिए।
🗣️ “लाइसेंस लौटाना अपराध स्वीकारने जैसा” – परब
परब ने मुंबई में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा,
“योगेश कदम की मां ने जो बार लाइसेंस सरकार को सौंपा है, वह इस बात का सबूत है कि मंत्री का परिवार डांस बार से जुड़ा हुआ था। केवल लाइसेंस सरेंडर करने से मंत्री निर्दोष नहीं हो सकते।”
📍 सावली बार और पुलिस छापे का जिक्र
परब ने यह भी दावा किया कि जिस बार को लेकर विवाद है, सावली बार, उस पर 2023 और 2024 में पुलिस ने दो बार छापेमारी की थी। उन्होंने कहा कि यह कोई संयोग नहीं बल्कि गंभीर अनियमितता का संकेत है।
“मैंने खुद पुलिस से सावली बार पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी,” परब ने कहा।
❌ “अगर बर्खास्त नहीं किया गया, तो गलत संदेश जाएगा”
अनिल परब ने यह भी कहा कि यदि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस योगेश कदम को बर्खास्त नहीं करते, तो यह आम जनता के लिए गलत संदेश होगा कि सरकार ऐसे मामलों में दोहरे मापदंड अपनाती है।
🔁 कदम का पक्ष: “लाइसेंस मां के नाम, संचालन कोई और करता था”
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने विधान परिषद में यह मुद्दा उठने पर मंत्री योगेश कदम ने यह स्वीकार किया था कि बार लाइसेंस उनकी मां के नाम पर है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह दावा भी किया था कि बार का संचालन किसी और द्वारा किया जा रहा था।
⚔️ कदम बनाम परब : एक पुरानी प्रतिद्वंद्विता
परब और कदम की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पुरानी है। जब दोनों नेता अविभाजित शिवसेना में थे, तब से ही उनके बीच वर्चस्व की जंग चली आ रही है।
परब 2019 से 2022 तक रत्नागिरी जिले के प्रभारी मंत्री थे।
वहीं योगेश कदम के पिता और वरिष्ठ शिवसेना नेता रामदास कदम भी रत्नागिरी से ही आते हैं।
📌 निष्कर्ष
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर से महाराष्ट्र की राजनीति में नीति बनाम नैतिकता की बहस को जन्म दे दिया है।
बार लाइसेंस के पीछे की राजनीति और उसके संचालन से जुड़ी जिम्मेदारियों को लेकर स्पष्टता की जरूरत है। यदि मंत्री पद पर बैठे व्यक्ति की पारिवारिक भूमिका किसी गैरकानूनी गतिविधि से जुड़ती है, तो सरकार को उस पर कड़ी कार्रवाई करनी ही चाहिए।