Friday, October 3, 2025
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राहुल गांधी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर शिवसेना-यूबीटी का हमला, कहा- “सच बोलने वालों को देशद्रोही ठहराना बंद करें”

मुंबई, (वेब वार्ता)। राहुल गांधी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी ने देश की राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है। अब इस मामले में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) ने खुलकर राहुल गांधी का समर्थन किया है। शिवसेना-यूबीटी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से हैरानी हुई है और यह “देशभक्ति” की गलत परिभाषा को आगे बढ़ाने वाला है।

पार्टी ने तीखा हमला करते हुए कहा कि 2014 के बाद देशभक्ति और देशद्रोह की परिभाषा बदल दी गई है। जो सरकार के हर कदम पर समर्थन करता है, वही ‘सच्चा भारतीय’ कहलाता है, और जो सवाल करता है, वह ‘देशद्रोही’ घोषित कर दिया जाता है। यह लोकतंत्र नहीं, बल्कि डर का माहौल है।

🧾 सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर उठाए सवाल

शिवसेना-यूबीटी ने कहा कि राहुल गांधी को लेकर यह सवाल उठाना कि क्या वे ‘सच्चे भारतीय’ हैं, न केवल अनावश्यक था, बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी। कोर्ट के सामने यह मुद्दा था ही नहीं, फिर भी इस पर टिप्पणी करना, एक तरह से विपक्ष की आवाज़ को दबाने का प्रयास माना जा सकता है।

संपादकीय में कहा गया, “अगर एक विपक्षी नेता राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा पर हो रही गतिविधियों पर सवाल उठाता है, तो यह उसका कर्तव्य है। राहुल गांधी ने संसद में चीन की घुसपैठ पर सवाल उठाए, जो एक जिम्मेदार विपक्ष का काम है। इसमें किसी की देशभक्ति पर सवाल उठाना गलत है।”

🇨🇳 चीन मुद्दे पर दोहरा रवैया?

शिवसेना-यूबीटी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के बयानों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे भी 4067 वर्ग किलोमीटर लद्दाख की भूमि के चीन द्वारा हड़पने का आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन उनके बयान पर न तो विवाद हुआ और न ही उनकी देशभक्ति पर सवाल उठे। ऐसे में केवल राहुल गांधी पर टिप्पणी क्यों?

पार्टी ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सुप्रीम कोर्ट चीन की घुसपैठ पर एक स्वतंत्र तथ्य-जांच समिति का गठन करेगा? अगर विपक्ष सवाल करता है तो उसके पीछे तथ्य और जनहित होते हैं, न कि कोई राजनीतिक एजेंडा।

📢 राहुल गांधी को संसद में नहीं बोलने दिया जाता

संपादकीय में यह भी आरोप लगाया गया कि संसद में बार-बार विपक्ष को दबाया जा रहा है। राहुल गांधी और अन्य नेताओं को जब भी चीन या राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बोलना होता है, तब उन्हें बाधित किया जाता है। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरा है।

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