मुंबई | वेब वार्ता
महाराष्ट्र के लातूर जिले में आरक्षण की मांग को लेकर सामने आए कुछ कथित सुसाइड नोट्स के मामलों ने पुलिस को चौंका दिया है। लातूर पुलिस ने जांच में खुलासा किया है कि ये नोट फर्जी थे और मृतकों ने इन्हें नहीं लिखा था। बल्कि, उनके रिश्तेदारों या परिचितों ने जानबूझकर इन्हें तैयार किया था ताकि आरक्षण मुद्दे को उछालकर सरकार पर दबाव बनाया जा सके और मुआवजा या नौकरी जैसे लाभ प्राप्त किए जा सकें। पुलिस ने 14 अक्टूबर 2025 को कोर्ट में 3 मामलों में 5 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। यह खुलासा आरक्षण आंदोलन की राजनीति को नई दिशा दे सकता है, जहां फर्जीवाड़ा आम लोगों को गुमराह करने का हथियार बन गया है।
लातूर के पुलिस अधीक्षक अमोल तांबे ने कहा, “ये नोट आम मौतों को आरक्षण से जोड़ने के लिए बनाए गए थे। हैंडराइटिंग विश्लेषण से साबित हुआ कि मृतकों ने इन्हें नहीं लिखा।” यह मामला न केवल आरक्षण की राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि फर्जी दस्तावेजों के दुरुपयोग पर भी सवाल खड़े करेगा। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं—घटनाओं का विवरण, पुलिस जांच, चार्जशीट, और इसका आरक्षण आंदोलन पर प्रभाव।
घटनाओं का विवरण: 3 मामलों में फर्जी नोट, मृत्यु के कारण अलग
लातूर पुलिस ने 26 अगस्त से 14 सितंबर 2025 के बीच हुए 3 मामलों की जांच की, जहां मौतों को आरक्षण से जोड़ा गया था। जांच में पाया गया कि ये ‘सुसाइड नोट’ फर्जी थे और मृतकों ने इन्हें नहीं लिखा था। बल्कि, रिश्तेदारों ने इन्हें तैयार कर पुलिस को सौंपा था ताकि सरकार पर दबाव बने।
मामला 1: 26 अगस्त—अहमदपुर तालुका, बालिराम श्रीपति मुले की मौत
- घटना: बालिराम (36 वर्ष) ने जहर खा लिया। पुलिस को एक नोट मिला, जिसमें मराठा आरक्षण की मांग की गई थी।
- खुलासा: हैंडराइटिंग विश्लेषण से साबित हुआ कि नोट उनके चचेरे भाई संभाजी उर्फ धनाजी मुले ने लिखा था। धनाजी ने मृत्यु को आरक्षण से जोड़कर मुआवजा और नौकरी की मांग की थी।
- कार्रवाई: अहमदपुर थाने में FIR, धारा 420 (धोखाधड़ी) और 465 (जालसाजी) के तहत केस।
मामला 2: 13 सितंबर—निलंगा तालुका, शिवाजी वल्मिक मेले की मौत
- घटना: शिवाजी (32 वर्ष) की करंट लगने से मौत हुई। नोट में महादेव कोली समुदाय को जाति प्रमाण पत्र न मिलने की शिकायत थी।
- खुलासा: नोट माधव रामराव पिटाले ने लिखा था। पिटाले ने मौत को आरक्षण से जोड़कर लाभ लेने की कोशिश की।
- कार्रवाई: निलंगा थाने में FIR, जालसाजी के आरोप।
मामला 3: 14 सितंबर—चाकूर तालुका, अनिल बालिराम राठौड़ की मौत
- घटना: अनिल (28 वर्ष) की करंट लगने से मौत। नोट में बंजारा समुदाय को आरक्षण की मांग।
- खुलासा: नोट शिवाजी फत्तू जाधव, नरेंद्र विठ्ठल जक्कलवाद, और तनाजी माधुकर जाधव ने तैयार किया। ये लोग मौत को आरक्षण से जोड़कर मुआवजा चाहते थे।
- कार्रवाई: चाकूर थाने में FIR, धोखाधड़ी और जालसाजी के तहत।
पुलिस ने इन नोट्स की जांच CID के फोरेंसिक विभाग से कराई। SP तांबे ने कहा, “हैंडराइटिंग और CCTV फुटेज से साबित हुआ कि नोट फर्जी थे।”
पुलिस जांच: 1 महीने की प्रक्रिया, फोरेंसिक विश्लेषण
पुलिस ने 26 अगस्त से 14 सितंबर के बीच हुए इन मामलों की जांच की। प्रारंभ में मृत्यु को सुसाइड माना गया, लेकिन नोटों की जांच में संदेह हुआ।
- हैंडराइटिंग विश्लेषण: CID चहत्रपति संभाजीनगर के फोरेंसिक विभाग में नोटों की जांच हुई। मृतकों की लिखावट से मेल नहीं।
- पूछताछ: परिवार और परिचितों से पूछताछ में फर्जीवाड़ा सामने आया।
- CCTV और फोरेंसिक: सबूतों से साबित हुआ कि नोट जानबूझकर बनाए गए।
- चार्जशीट: 14 अक्टूबर को लातूर कोर्ट में 3 मामलों में 5 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल। धनाजी शिवाजी मुले (38), माधव रामराव पिटाले (43), शिवाजी फत्तू जाधव (58), नरेंद्र विठ्ठल जक्कलवाद (26), तनाजी माधुकर जाधव (25) आरोपी हैं।
SP तांबे ने कहा, “ये नोट मौतों को आरक्षण से जोड़कर सरकार को गुमराह करने के लिए बनाए गए थे।” पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी), और 468 (धोखाधड़ी का इरादा) के तहत केस दर्ज किए हैं। जांच पुलिस इंस्पेक्टर स्तर पर सौंपी गई है।
आरक्षण आंदोलन का संदर्भ: मराठा और अन्य समुदायों का आंदोलन
महाराष्ट्र में आरक्षण का मुद्दा लंबे समय से गरम है। मराठा आरक्षण आंदोलन 2023 से चला आ रहा है, जिसमें महादेव कोली और बंजारा समुदाय भी शामिल हैं। आंदोलनकारियों का दावा है कि सरकार आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं है। इन घटनाओं को आरक्षण से जोड़कर राजनीतिक दबाव बनाने का प्रयास था।
- मराठा आंदोलन: 2023 में मनोज जारंगे की अगुवाई में 16% मराठा आरक्षण की मांग। सरकार ने 10% अलग से दिया।
- महादेव कोली और बंजारा: ST आरक्षण के लिए आंदोलन। इन नोटों में इन समुदायों का जिक्र था।
- प्रभाव: फर्जी नोटों से आंदोलन को बल मिला, लेकिन अब यह उल्टा पड़ रहा है। जारंगे ने कहा, “फर्जी नोटों पर पुलिस का फैसला सही, लेकिन आरक्षण की मांग वैध है।”
महाराष्ट्र आरक्षण आंदोलन का इतिहास (संक्षेप में)
| वर्ष | समुदाय | मांग | परिणाम |
|---|---|---|---|
| 2018 | मराठा | 16% आरक्षण | 12% आरक्षण, बाद में रद्द |
| 2023 | मराठा | 16% आरक्षण | 10% अलग आरक्षण |
| 2025 | महादेव कोली, बंजारा | ST आरक्षण | आंदोलन जारी |
चार्जशीट का विवरण: धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप
चार्जशीट में आरोपियों पर आर्थिक लाभ और राजनीतिक दबाव बनाने का आरोप है। पुलिस ने कहा, “ये नोट आम मौतों को आरक्षण से जोड़कर मुआवजा और नौकरी की मांग कर रहे थे।”
- धारा: BNS 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी का इरादा)।
- सजा: 3-7 साल जेल, जुर्माना।
- जांच: पुलिस ने इनकैमरा बयान दर्ज किए। SP तांबे ने कहा, “आरोपियों की गिरफ्तारी पर विचार।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया: आरक्षण आंदोलन पर सवाल
- मराठा नेता: जारंगे ने कहा, “फर्जी नोटों का दुरुपयोग गलत, लेकिन आरक्षण की मांग सही।”
- BJP: “आरक्षण का दुरुपयोग राजनीतिक। सरकार आरक्षण पर प्रतिबद्ध।”
- MVA: “पुलिस का फैसला सही, लेकिन आरक्षण मुद्दा हल करें।”
प्रभाव: आरक्षण राजनीति पर नया मोड़
यह मामला आरक्षण आंदोलन को कमजोर कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि फर्जीवाड़ा आंदोलन की विश्वसनीयता को प्रभावित करेगा। SP तांबे ने चेतावनी दी, “झूठे सबूतों से सरकार को गुमराह करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।”
निष्कर्ष: फर्जीवाड़े पर रोक, लेकिन आरक्षण का मुद्दा जिंदा
यह खुलासा आरक्षण की राजनीति पर सवाल खड़ा करता है। लातूर पुलिस का फैसला न केवल फर्जी नोटों पर लगाम लगाएगा, बल्कि समाज को सच्चाई की ओर ले जाएगा। लेकिन आरक्षण की मांग वैध है—सरकार को इसे संबोधित करना होगा।




