नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली में अपराध के बढ़ते मामलों के बीच पश्चिमी जिले की दिल्ली पुलिस (मोती नगर थाना) ने ऐसे एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो साधु का वेश धारण कर ट्रैफिक सिग्नलों पर महिलाओं से लूटपाट करता था। पुलिस ने इस गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से एक सुनार भी शामिल है, जो लूट का माल पिघलाकर उसे ठिकाने लगाता था। गिरोह के सभी आरोपी पारिवारिक संबंधों से जुड़े हैं और लंबे समय से इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे।
📍 कैसे हुआ मामला उजागर?
1 अगस्त को एक महिला ने मोती नगर थाना में शिकायत दर्ज कराई कि वह रैपिडो टैक्सी से कनॉट प्लेस जा रही थी, जब शादीपुर फ्लाईओवर पर तीन साधु वेशधारी लोग उसके वाहन के पास आए। उन्होंने भिक्षा मांगने के बहाने महिला से बातचीत की और फिर अचानक ही उसकी अंगुली से सोने और हीरे की कीमती अंगूठी झपट कर फरार हो गए। घटना इतनी जल्दी हुई कि टैक्सी ड्राइवर को भी संभलने का मौका नहीं मिला।
📹 दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज से निकला सुराग
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने तत्काल घटनास्थल की सीसीटीवी फुटेज खंगालनी शुरू की और उसमें दिखे ऑटो-रिक्शा से संदिग्धों की पहचान की गई। ऑटो के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर मालिक तक पहुंचकर जानकारी जुटाई गई, जिसके अनुसार ऑटो को विनोद कामत नामक युवक को किराए पर दिया गया था।
🔍 कैसे पकड़े गए आरोपित?
विनोद कामत को अशोका पार्क मेट्रो स्टेशन से गिरफ्तार किया गया।
उसकी निशानदेही पर कबीर और बिरजू को पंजाबी बाग की झुग्गियों से पकड़ा गया।
पूछताछ में उन्होंने कबूल किया कि अंगूठी को उन्होंने 26 हजार रुपये में सुनार गुरचरण सिंह को बेचा था।
इसके बाद पुलिस ने जीटीबी नगर स्थित ज्वेलरी दुकान पर छापा मारा और गुरचरण सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया।
🔎 क्या बरामद हुआ?
पुलिस ने इस गिरोह के कब्जे से:
61 हीरे के छोटे टुकड़े
पिघला हुआ सोना (छीनी गई अंगूठी का)
एक ऑटो-रिक्शा
साधु का वेशभूषा और श्रृंगार सामग्री बरामद की है।
🧩 गिरोह की पारिवारिक संरचना
पुलिस की जांच में पता चला कि:
कबीर, आरोपी बिरजू का बेटा है।
बिरजू का एक और भाई भी इस गिरोह का हिस्सा है, जो फरार है।
विनोद कामत, बिरजू का पुराना दोस्त है।
गुरचरण सिंह, लूट का चोरी का माल खरीदता और पिघलाकर बेचता था।
यह पूरा गिरोह पारिवारिक और दोस्ताना रिश्तों के माध्यम से आपस में जुड़ा हुआ है और योजनाबद्ध तरीके से महिलाओं को निशाना बना रहा था।
🛑 पुलिस की सतर्कता और भविष्य की रणनीति
डीसीपी पश्चिमी जिला विचित्र वीर ने बताया कि यह मामला इस बात का संकेत है कि अपराधी अब वेशभूषा और धार्मिक प्रतीकों का दुरुपयोग कर अपराधों को अंजाम देने लगे हैं। इस गिरोह का पर्दाफाश एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इससे अन्य संगठित अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को बल मिलेगा।
🔚 निष्कर्ष
यह मामला दिल्ली की सड़कों पर मौजूद खतरे को उजागर करता है, खासकर तब जब धार्मिक विश्वास और सहानुभूति का उपयोग अपराध के लिए किया जाए। पुलिस की तत्परता और तकनीक के सहारे की गई कार्रवाई से न केवल आरोपितों को गिरफ्तार किया गया, बल्कि एक पारिवारिक गिरोह का नेटवर्क भी सामने आया। लोगों को भी अब ऐसे घटनाओं के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है, ताकि वे धोखे का शिकार न हों।