नोएडा (वेब वार्ता)। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) में भोजपुरी भाषा की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इसके लिए 31 अगस्त और 1 सितंबर 2025 को नोएडा में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें भोजपुरी के वैश्विक प्रसार और युवाओं को इससे जोड़ने पर विचार-विमर्श हुआ।
पहले दिन: परिचर्चा और भोजपुरी का महत्व
पहले दिन, 31 अगस्त को “भोजपुरी की ऑनलाइन पढ़ाई और विश्व की युवा शक्ति को जोड़ने-जगाने का प्रयास” विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई। मुख्य अतिथि डॉ. सरिता बुधू, जो भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन, मॉरीशस की पूर्व चेयरपर्सन और भोजपुरी आंदोलन की प्रखर हस्ती हैं, ने भोजपुरी के पाठ्यक्रम निर्माण और इसके विकास पर एक सारगर्भित व्याख्यान दिया। उन्होंने भोजपुरी को लोक की भाषा बताते हुए इसके प्रसार और उपयोग पर जोर दिया। डॉ. बुधू ने कहा,
“कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग कर भोजपुरी को वैश्विक स्तर पर प्रचारित किया जा सकता है। यह भाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है।” – डॉ. सरिता बुधू
सुप्रसिद्ध कवि और भोजपुरी विद्वान मनोज भावुक ने भोजपुरी की ऑनलाइन पढ़ाई को गिरमिटिया देशों के युवाओं को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा,
“मैं दो वर्षों से मॉरीशस, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद-टोबैगो, अमेरिका, यूरोप, गल्फ देशों, और नेपाल के भोजपुरी योद्धाओं, कलाकारों, और एक्टिविस्ट्स का डेटाबेस तैयार कर रहा हूं। मेरे पास लगभग 200 टीम लीडर हैं। भोजपुरी जंक्शन के महिला कथा अंक में 14 देशों की 100 महिलाओं की कहानियां प्रकाशित की गईं।”
उन्होंने भोजपुरी जंक्शन के गिरमिटिया विशेषांक, भारत-मॉरीशस महोत्सव, और आगरा-दिल्ली में आयोजित मैत्री कवि-सम्मेलनों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सभी प्रयास भोजपुरी को वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मॉरीशस के महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट (MGI) में भोजपुरी का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू हो चुका है, और कैलिफोर्निया व बर्लिन में भोजपुरी पर शोध कार्य चल रहा है। यूनेस्को में भोजपुरी के गीत-गवई को हेरिटेज के रूप में शामिल किया गया है, और छठ पूजा को भी शामिल करने का प्रयास जारी है।
कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक (शैक्षिक) डॉ. राजीव कुमार सिंह के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने कहा,
“एनआईओएस जल्द ही भोजपुरी की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करेगा, जिससे यह भाषा विश्व स्तर पर युवाओं तक पहुंचेगी।”
विद्यार्थी सहायता सेवाएं निदेशक एस. विजय कुमार और व्यावसायिक शिक्षा निदेशक टी.एन. गिरी ने भी भोजपुरी के सांस्कृतिक और शैक्षिक महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। संस्थान के सचिव शकील अहमद ने कहा,
“भाषा हमारे अंतर्मन की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। भोजपुरी हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करती है।”
सुनीता पहुजा ने मॉरीशस में अपने अनुभव साझा करते हुए भोजपुरी को चेतना की भाषा बताया और अपनी एक कविता से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम का समापन मनोज भावुक के गजल-पाठ से हुआ।
दूसरे दिन: पाठ्यक्रम और तकनीक पर चर्चा
दूसरे दिन, 1 सितंबर को भोजपुरी के पाठ्यक्रम, वैश्विक युवाओं को इससे जोड़ने, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) व आधुनिक तकनीक का उपयोग कर इसे आकर्षक बनाने पर विस्तृत चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि पाठ्यक्रम को सरल, रुचिकर, और वैश्विक दृष्टिकोण से तैयार किया जाए। नये शैक्षिक वर्ष में भोजपुरी का ऑनलाइन कोर्स शुरू करने की योजना को अंतिम रूप दिया गया।
आयोजन और संचालन
कार्यक्रम का संचालन उपनिदेशक (शैक्षिक) डॉ. बालकृष्ण राय ने किया। उन्होंने सभी वक्ताओं और अतिथियों के विचारों को समन्वित करते हुए भोजपुरी के शैक्षिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित किया।
निष्कर्ष
एनआईओएस में भोजपुरी की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने का यह प्रयास न केवल भाषा के संरक्षण और प्रसार को बढ़ावा देगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भोजपुरी समुदाय को एकजुट करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मॉरीशस, फिजी, और अन्य गिरमिटिया देशों के साथ भारत के भोजपुरी भाषियों को जोड़ने का यह प्रयास सांस्कृतिक और शैक्षिक दृष्टि से ऐतिहासिक है।