Sunday, October 19, 2025
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डीयू के अफ्रीकी अध्ययन विभाग ने मनाया प्लैटिनम जुबली स्थापना दिवस, 20 से अधिक अफ्रीकी देशों के राजनयिक हुए शामिल

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अफ्रीकी अध्ययन विभाग ने 6 अगस्त को अपनी स्थापना के 70 वर्ष पूरे करते हुए प्लैटिनम जुबली समारोह का भव्य आयोजन किया। यह ऐतिहासिक आयोजन शंकर लाल हॉल में हुआ, जिसमें भारत और अफ्रीका के 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस समारोह की खास बात यह रही कि इसमें 20 से अधिक अफ्रीकी देशों के उच्चायुक्त, राजदूत, और दूतावास प्रतिनिधि उपस्थित रहे। इसके साथ ही भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की महानिदेशक श्रीमती के. नंदिनी सिंगला, मोज़ाम्बिक के उच्चायुक्त एवं अफ्रीकी राजनयिक समूह के डीन एच.ई. एर्मिंडो ऑगस्टो फरेइरा, डीयू के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर नीरा अग्निमित्रा तथा डीयू सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. अनूप लाठर जैसे प्रमुख अतिथि मंच पर उपस्थित रहे।

🌍 भारत-अफ्रीका साझेदारी को मिला नया आयाम

समारोह में उपस्थित देशों में तंजानिया, सूडान, माली, इथियोपिया, इरीट्रिया, गांबिया, सेशेल्स, दक्षिण अफ्रीका, युगांडा, मॉरिशस, बुर्किना फासो, टोगो, लीबिया, अल्जीरिया, गिनी, चाड, अंगोला और केप वर्डे शामिल रहे। यह आयोजन इस बात का प्रमाण था कि भारत और अफ्रीका के बीच संबंध केवल रणनीतिक या व्यापारिक नहीं, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और ज्ञान आधारित साझेदारी पर केंद्रित हैं।

📚 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

डीयू का अफ्रीकी अध्ययन विभाग वर्ष 1955 में स्थापित हुआ था। उस समय भारत स्वतंत्र हुआ था और अफ्रीका उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष कर रहा था। यह विभाग भारत की वैश्विक दक्षिण नीति का बौद्धिक आधार रहा है और सात दशकों में इसने भारत-अफ्रीका संबंधों में गहरी समझ और विश्वास को बढ़ावा दिया है।

🗣️ समारोह में क्या हुआ चर्चा का विषय?

इस कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और राजनयिकों ने भारत-अफ्रीका साझेदारी पर चर्चा की। साथ ही, वैश्विक सहयोग, जलवायु परिवर्तन और बहुपक्षीय सुधार जैसे मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

🎓 भविष्य की दिशा

डीयू के अफ्रीकी अध्ययन विभाग ने इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि शिक्षा और सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से भारत और अफ्रीका के बीच सहयोग को और सशक्त किया जा सकता है। विभाग अब अपने नए युग में प्रवेश कर चुका है, जहां यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग का एक सशक्त मंच बन रहा है।

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