दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र का तीसरा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। ब्रिटिशकालीन ‘फांसीघर’ को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच जबरदस्त बहस हुई, जिससे सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हुई। विवाद इतना गहराया कि विपक्ष की नेता आतिशी को विधानसभाध्यक्ष ने सदन से बाहर करवा दिया, जिसके विरोध में आप विधायकों ने वॉकआउट कर दिया।
🧨 क्या है ‘फांसीघर’ विवाद?
यह विवाद 2022 में तब शुरू हुआ था जब दिल्ली विधानसभा परिसर में एक पुराने कमरे का जीर्णोद्धार कर उसे ‘फांसीघर’ घोषित किया गया था। आप सरकार का दावा था कि इस जगह पर ब्रिटिशकाल में स्वतंत्रता सेनानियों को गुप्त रूप से फांसी दी जाती थी।
हालांकि, अब सत्तापक्ष का कहना है कि यह दावा ऐतिहासिक रूप से गलत है। विधानसभाध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने रिकॉर्ड के हवाले से बताया कि यह कक्ष दरअसल ‘टिफिन रूम’ था, जिसका इस्तेमाल भोजन सामग्री पहुंचाने के लिए होता था।
🔥 विधानसभा में गरमा-गरम बहस और आरोपों की बौछार
सदन में मंत्री कपिल मिश्रा ने आप पर तीखा हमला बोलते हुए कहा,
“टिफिन रूम को करोड़ों रुपये खर्च कर फांसीघर बनाना शहीदों का अपमान है।”
उन्होंने यह भी मांग की कि
“इस नकली ऐतिहासिक ढांचे को हटाया जाए और खर्च की जांच हो।”
मुख्यमंत्री ने भी समर्थन में कहा कि
“इतनी संकरी जगह में फांसी देना संभव ही नहीं है। विपक्ष अपने दावे के पक्ष में कोई प्रमाण नहीं दे सका।”
🚫 आतिशी का निष्कासन और विपक्ष का वॉकआउट
विपक्ष की नेता आतिशी ने जब सदन में असल मुद्दों—जैसे झुग्गियों का उजाड़ना, ट्रैफिक, कानून व्यवस्था—को उठाने की कोशिश की, तो हंगामा शुरू हो गया। विधानसभाध्यक्ष ने उन्हें सदन से बाहर करवा दिया। इस कार्रवाई के विरोध में आप विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
बाहर आकर आतिशी ने कहा,
“हम असली मुद्दों को उठाना चाहते थे, लेकिन सरकार इतिहास पर झूठी कहानियां गढ़ रही है। जनता की समस्याओं पर चर्चा करने नहीं दिया जा रहा।”
📜 आप का पक्ष: “इतिहास को दबाया जा रहा है”
आप विधायक संजीव झा और आतिशी ने कहा कि
“ब्रिटिशराज के कई फांसीघर दर्ज नहीं हैं। यह कक्ष भी उनमें से एक हो सकता है।”
उन्होंने मांग की कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इसकी जांच कराई जाए।
“यह स्थान ब्रिटिश अत्याचारों की गवाही देता है, भाजपा इसे छिपा रही है।”
🏛️ राजनीति बनाम जनहित: क्या छूट गया पीछे?
हंगामे के बीच झुग्गियों का पुनर्वास, ट्रैफिक, कानून व्यवस्था और महंगाई जैसे महत्वपूर्ण विषय चर्चा से बाहर रह गए। सदन का माहौल इतिहास और राजनीति के बीच झूलता रहा, जिससे दिल्ली की जनता के मूल मुद्दे पीछे छूट गए।
विधानसभाध्यक्ष ने दिन के अंत में कहा कि
“इस मामले की ऐतिहासिक सच्चाई जानने के लिए विशेषज्ञों की रिपोर्ट ली जाएगी।”