Sunday, October 19, 2025
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दिल्ली में नकली पनीर का बड़ा खुलासा: रोजाना 30 टन खपत, सेहत पर मंडरा रहा खतरा

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। राजधानी दिल्ली में नकली पनीर का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। स्वाद के नाम पर बिक रहा यह जहर लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में रोजाना 30 टन से ज्यादा नकली पनीर खाया जा रहा है, जबकि सालाना खपत 1100 टन से अधिक हो चुकी है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि यह नकली पनीर अधिकतर होटलों, ढाबों और फास्ट फूड स्टालों पर परोसा जा रहा है।

सरकारी रिपोर्ट और कार्रवाई

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर लगातार शिकायतों के बाद केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया। केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को तत्काल कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद दिल्ली सरकार और एमसीडी ने एडवाइजरी जारी की, जबकि खाद्य सुरक्षा विभाग (FSSAI) लगातार कार्रवाई कर रहा है।

पिछले दिनों करावल नगर में पुलिस और खाद्य सुरक्षा विभाग ने 600 किलो नकली पनीर जब्त किया। यह पनीर अलीगढ़ से दिल्ली के शाहदरा, सीलमपुर और पूर्वी दिल्ली में सप्लाई किया जाना था।

कैसे बनता है नकली पनीर?

नकली पनीर बनाने में दूध की जगह वनस्पति तेल, पाम ऑयल, इमल्सीफायर और फ्लेवरिंग एजेंट का इस्तेमाल होता है। साइट्रिक एसिड या सिरके से इसे जमाकर ब्लॉक बनाया जाता है। इसकी लागत केवल 180-200 रुपये किलो आती है, जबकि असली पनीर 450-480 रुपये किलो बिकता है।

स्वास्थ्य पर खतरा

डॉक्टरों के मुताबिक नकली पनीर में ट्रांस फैट और संतृप्त वसा की मात्रा अधिक होती है। इसके सेवन से मोटापा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और पाचन समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह और भी खतरनाक है क्योंकि इसमें प्रोटीन और कैल्शियम लगभग नहीं होता

हालिया बड़े खुलासे

  • जुलाई 2025 में FSSAI ने दिल्ली समेत कई राज्यों से 4000 किलो नकली पनीर जब्त किया।

  • जम्मू में दिल्ली से कटरा ले जाया जा रहा 800 किलो नकली पनीर पकड़ा गया।

  • नोएडा पुलिस ने 1400 किलो नकली पनीर जब्त किया जो रेड बुल श्योर क्लीन स्टार्च, पामोलिन तेल और नीले रसायनों से बना था।

कैसे बचें नकली पनीर से?

  • असली पनीर पानी में डालने पर नीचे बैठता है, नकली पनीर तैरता है।

  • असली पनीर को गर्म करने पर हल्का पानी निकलता है, जबकि नकली पनीर में तेल की गंध आती है।

  • भरोसेमंद ब्रांड और FSSAI लाइसेंस वाले उत्पाद ही खरीदें।

विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक उपभोक्ता जागरूक नहीं होंगे और असली-नकली की पहचान नहीं करेंगे, तब तक यह गोरखधंधा खत्म नहीं होगा।

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