नई दिल्ली, 29 सितंबर (वेब वार्ता)। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर बने एशिया के सबसे लंबे वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर पर अब वाहन फर्राटा भरेंगे और वन्यजीव सुरक्षित रूप से विचरण कर सकेंगे। इस दिशा में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) एक अनोखी पहल कर रही है। उत्तर प्रदेश में पहली बार मंकी लैडर बनाया जाएगा, जो खासतौर पर बंदरों के लिए तैयार किया जा रहा है।
मंकी लैडर का महत्व
एनएचएआई के परियोजना निदेशक पंकज कुमार मौर्य के अनुसार, यह मंकी लैडर सीधे पेड़ों से जुड़ा होगा। इससे बंदर आसानी से एक ओर से दूसरी ओर जा सकेंगे और सड़क पर उतरने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे सड़क पर अचानक आने वाले वन्य जीवों से होने वाले हादसों की संभावना कम होगी।
सड़क सुरक्षा और जैव विविधता का संतुलन
इस पहल का उद्देश्य केवल सड़क हादसों को रोकना ही नहीं, बल्कि जैव विविधता की सुरक्षा भी सुनिश्चित करना है। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से रोजाना हजारों वाहन गुजरते हैं। सुरक्षित आवागमन की सुविधा मिलने से वन्यजीव और वाहन चालकों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
परियोजना का क्षेत्र और आवश्यकता
एक्सप्रेसवे का बड़ा हिस्सा सहारनपुर की शिवालिक पहाड़ियों और राजाजी नेशनल पार्क से होकर गुजरता है। इस इलाके में बंदरों की संख्या बहुत अधिक है और अक्सर वे सड़क पर आ जाते हैं। इससे वाहन चालकों को खतरा रहता है और कई बार हादसे हो चुके हैं। मंकी लैडर की मदद से बंदर ऊपर से सुरक्षित सड़क पार करेंगे और वाहन चालकों को भी सुरक्षित यात्रा का अवसर मिलेगा।
पर्यावरणीय शिक्षा और जागरूकता
एनएचएआई अधिकारियों का कहना है कि यह परियोजना पर्यावरणीय शिक्षा का भी उदाहरण बनेगी। लोग जानवरों और उनके आवास के प्रति अधिक संवेदनशील होंगे। मंकी लैडर न केवल सड़क सुरक्षा बढ़ाएगा बल्कि वन्यजीवों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता भी पैदा करेगा।
इस पहल से उम्मीद जताई जा रही है कि दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर यातायात व्यवधान और दुर्घटनाओं की संभावना दोनों कम होंगे।