नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। केंद्र सरकार ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को दी गई सीआरपीएफ की ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा को वापस ले लिया है और अब उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस को सौंप दी गई है। कुछ ही दिन पहले मुख्यमंत्री गुप्ता पर हुए हमले के बाद यह सुरक्षा प्रदान की गई थी।
हमले के बाद मिली थी सीआरपीएफ सुरक्षा
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर 20 अगस्त की सुबह सिविल लाइंस इलाके में उनके कार्यालय में आयोजित जन सुनवाई कार्यक्रम के दौरान एक व्यक्ति ने हमला कर दिया था। इस हमले में गुप्ता को मामूली चोटें आईं, लेकिन इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस हमले को “हत्या की सुनियोजित साजिश” करार दिया था।
हमले की गंभीरता को देखते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगले ही दिन सीआरपीएफ की वीआईपी सुरक्षा शाखा को निर्देश दिया कि रेखा गुप्ता को केंद्र के ‘जेड’ श्रेणी सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा प्रदान की जाए। यह सुरक्षा बेहद सख्त मानी जाती है, जिसमें आमतौर पर 22 से 28 सशस्त्र कमांडो तैनात रहते हैं।
अब क्यों बदली सुरक्षा व्यवस्था?
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने सुरक्षा योजना में बदलाव करते हुए सीआरपीएफ की तैनाती को रद्द कर दिया है। अब उनकी सुरक्षा का पूरा जिम्मा दिल्ली पुलिस संभालेगी। अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली पुलिस पहले से ही मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा है और राजधानी में स्थित होने के कारण दिल्ली पुलिस के पास सुरक्षा प्रबंधन की अधिक सुविधाएं और संसाधन हैं।
सूत्रों ने यह भी बताया कि सीआरपीएफ को सुरक्षा बढ़ाने का औपचारिक आदेश जारी करने से पहले ही निर्णय बदल दिया गया। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में नए आदेश जारी कर दिए हैं।
दिल्ली पुलिस का सुरक्षा प्लान
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है। इस टीम में प्रशिक्षित कमांडो और महिला सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री के आवास, कार्यालय और जनसंपर्क कार्यक्रमों के दौरान उच्च स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।
पुलिस के अनुसार, सीसीटीवी निगरानी, वाहन सुरक्षा जांच और बायोमेट्रिक एंट्री सिस्टम जैसे अतिरिक्त उपाय भी किए जा रहे हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
हमले की जांच जारी, दो आरोपी गिरफ्तार
मुख्यमंत्री पर हमले की जांच में अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्य आरोपी की पहचान सकारिया राजेशभाई खिमजी (41) के रूप में हुई है, जो पेशे से ऑटो चालक है और गुजरात के राजकोट का निवासी है। पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया कि आरोपी ने मुख्यमंत्री से किसी व्यक्तिगत मुद्दे को लेकर मुलाकात की मांग की थी, जो पूरी न होने पर उसने हमला कर दिया।
पुलिस के मुताबिक, आरोपी से पूछताछ जारी है और जांच एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि क्या हमले के पीछे कोई बड़ी साजिश थी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सुरक्षा को लेकर सवाल
इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री की सुरक्षा को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष का कहना है कि राजधानी जैसे संवेदनशील क्षेत्र में मुख्यमंत्री पर हमला होना सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक है। वहीं, मुख्यमंत्री गुप्ता ने खुद कहा कि वह “डरने वाली नहीं हैं और जनता की सेवा में पहले की तरह जुटी रहेंगी।”
सत्ताधारी दल के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार सुरक्षा के मामले में कोई ढिलाई नहीं बरतेगी और मुख्यमंत्री की सुरक्षा को लेकर सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
‘जेड’ श्रेणी सुरक्षा क्या है?
भारत में वीआईपी सुरक्षा को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है—एक्स, वाई, वाई-प्लस, जेड और जेड-प्लस। इनमें से ‘जेड’ श्रेणी काफी उच्च स्तर की सुरक्षा है, जिसमें आमतौर पर 22 से अधिक सशस्त्र कमांडो तैनात रहते हैं। यह सुरक्षा मुख्य रूप से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों जैसे सीआरपीएफ, आईटीबीपी या एनएसजी द्वारा दी जाती है।
हालांकि, मुख्यमंत्री गुप्ता के मामले में यह सुरक्षा अब दिल्ली पुलिस को सौंप दी गई है। दिल्ली पुलिस के पास भी वीआईपी सुरक्षा के लिए एक समर्पित विंग है, जो उच्च प्रशिक्षित कर्मियों के साथ काम करता है।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सुरक्षा व्यवस्था में हुए इस बदलाव ने राजनीतिक हलकों और सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच चर्चा को जन्म दे दिया है। जहां एक ओर केंद्र सरकार का कहना है कि दिल्ली पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन हैं, वहीं विपक्ष सुरक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और मजबूती पर सवाल उठा रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दिल्ली पुलिस किस तरह से मुख्यमंत्री की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है और क्या इस घटना के पीछे कोई बड़ी साजिश का पर्दाफाश होता है।