नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली विधानसभा परिसर में निर्मित कथित “फांसी घर” और उससे जुड़ी ऐतिहासिक सच्चाई को लेकर अब सियासत के साथ-साथ जांच की दिशा भी तय हो गई है। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सोमवार को स्पष्ट किया कि इस कथित फर्जी निर्माण और ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ के मामले की जांच सदन की विशेषाधिकार समिति को सौंपी गई है।
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि मानसून सत्र के दौरान इस मुद्दे पर कई दिन तक गहन चर्चा की गई। तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर यह निष्कर्ष सामने आया है कि वर्ष 2022 में जो “फांसी घर” बताया गया, वह पूरी तरह से मनगढ़ंत है और इस पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए।
🔍 विपक्ष नहीं दे सका जवाब, फर्जीवाड़े की पुष्टि
गुप्ता ने कहा कि यह निर्माण उस समय के सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकाल में हुआ और जब विपक्ष से तीन दिनों तक जवाब मांगा गया, तब भी कोई तथ्यात्मक या तार्किक स्पष्टीकरण नहीं दिया जा सका। इससे स्पष्ट हुआ कि यह कार्य इरादतन और सुनियोजित तरीके से किया गया था।
🧾 कौन-कौन होंगे जांच के दायरे में?
इस मामले में जिन प्रमुख नेताओं को विशेषाधिकार समिति समन करेगी, उनमें शामिल हैं:
तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल
विधानसभा उपाध्यक्ष राखी बिरला
इन सभी की उपस्थिति और निर्देशन में 9 अगस्त 2022 को इस तथाकथित “फांसी घर” का उद्घाटन किया गया था।
🗺️ इतिहास के साथ छेड़छाड़: अभिलेखागार के दस्तावेजों का हवाला
गुप्ता ने आगे कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार से प्राप्त 1912 के नक्शे और अन्य प्रामाणिक दस्तावेजों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि:
विधानसभा परिसर में कभी कोई “फांसी घर” नहीं था।
न ही यहां से लाल किले तक कोई “गुप्त सुरंग” मौजूद थी।
इसलिए, यह दावा करना कि विधानसभा से लाल किला तक कोई सुरंग थी, पूरी तरह झूठ और भ्रामक है।
🏛️ हेरिटेज भवन को पुनः मूल स्वरूप में लाने की योजना
विधानसभा अध्यक्ष ने घोषणा की कि विधानसभा परिसर को उसके मूल 1912 के स्वरूप में पुनर्स्थापित किया जाएगा। इसके अंतर्गत:
दोनों “टिफिन रूम” में 1912 का नक्शा स्थापित किया जाएगा।
कथित फांसी घर के उद्घाटन का शिलापट्ट हटाया जाएगा, जिस पर अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के नाम अंकित हैं।
गुप्ता ने इस कृत्य को “इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने वाला अपराध” बताया और कहा कि देश ऐसे लोगों को कभी माफ नहीं करेगा।
🏛️ राजनीतिक और ऐतिहासिक गंभीरता
यह मामला अब महज राजनीतिक विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह इतिहास और धरोहर से जुड़ी संवेदनशीलता का विषय बन गया है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसी “ऐतिहासिक पुनर्रचना” यदि बिना साक्ष्य और दस्तावेज़ों के की जाती है, तो वह न केवल जनविश्वास को ठेस पहुंचाती है, बल्कि संविधान और पारदर्शिता की नींव को भी कमजोर करती है।
🧾 निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा परिसर के भीतर फर्जी फांसी घर और सुरंग निर्माण के इस मामले ने सत्तारूढ़ और पूर्ववर्ती सरकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की एक नई लड़ाई छेड़ दी है। विशेषाधिकार समिति की जांच से यह स्पष्ट हो पाएगा कि इस निर्माण का आधार ऐतिहासिक था या राजनीतिक।
दिल्ली विधानसभा परिसर मे फ़र्ज़ी फाँसी घर के निर्माण और झूठे विज्ञापनों पर करोड़ों रूपये खर्च किये गये। इस संबंध में विपक्ष जो पूर्व में सत्तारूढ दल था, जिनके कार्यकाल में ये फ़र्ज़ीवाड़ा हुआ, उनसे इस निर्माण के पक्ष में कोई ठोस तथ्य प्रस्तुत करने का आग्रह किया गया जिसके आधार पर… pic.twitter.com/rZQooe5Fo9
— Vijender Gupta (@Gupta_vijender) August 7, 2025