Friday, August 1, 2025
Homeमहानगरचेन्नईचेन्नई: लापरवाही का खौफनाक अंजाम, नवजात की पांचों उंगलियां काटनी पड़ीं, अस्पताल...

चेन्नई: लापरवाही का खौफनाक अंजाम, नवजात की पांचों उंगलियां काटनी पड़ीं, अस्पताल और डॉक्टर दोषी करार

चेन्नई, (वेब वार्ता)। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में एक दर्दनाक चिकित्सा लापरवाही का मामला सामने आया है। चेन्नई उत्तर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक निजी अस्पताल और उसकी स्त्री रोग विशेषज्ञ को नवजात की सभी पाँचों उंगलियां गैंग्रीन के कारण काटे जाने के मामले में दोषी ठहराया है। आयोग ने अस्पताल और डॉक्टर को ₹10 लाख मानसिक पीड़ा के मुआवजे तथा ₹23.65 लाख इलाज के खर्च की भरपाई करने का निर्देश दिया है। इसके अतिरिक्त ₹10,000 मुकदमे की लागत भी भरने को कहा गया है।


⚠️ मामला क्या है?

बच्चे की मां 22 सप्ताह की गर्भवती थी और उसका इलाज इसी अस्पताल में चल रहा था। डॉक्टर ने बिना किसी आपातकालीन प्रमाण या आवश्यक परीक्षण के “सर्वाइकल पेसेरी” (Cervical Pessary) नामक एक प्रक्रिया कर दी, जिसमें एक सिलिकॉन रिंग को गर्भाशय ग्रीवा में डाला जाता है ताकि समय पूर्व प्रसव को रोका जा सके।

हालांकि आयोग के अनुसार,

“इस प्रक्रिया के लिए महिला की इनफॉर्म्ड कंसेंट नहीं ली गई, जो एक गंभीर लापरवाही है।”


🔍 क्या हुआ इसके बाद?

  • सर्वाइकल पेसेरी के तुरंत बाद महिला को समय से पहले प्रसव हुआ।

  • नवजात को गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में भर्ती किया गया, जहां उसके दाहिने हाथ में गैंग्रीन के लक्षण पाए गए।

  • गैंग्रीन इतना गंभीर हो गया कि बच्चे की सभी पांचों उंगलियां काटनी पड़ीं।

आयोग ने अस्पताल और डॉक्टर को दोषी ठहराते हुए कहा:

“यह लापरवाही का स्पष्ट मामला है जिसमें कोई मेडिकल परीक्षण नहीं किया गया और प्रक्रिया के लिए आपातकालीन परिस्थितियाँ नहीं थीं।”


⚖️ आयोग का सख्त रुख

चेन्नई नॉर्थ कंज़्यूमर डिस्प्यूट्स रेड्रेसल कमीशन ने अपने फैसले में कहा कि:

  • मरीज की सहमति के बिना चिकित्सा हस्तक्षेप करना घोर लापरवाही की श्रेणी में आता है।

  • अस्पताल और डॉक्टर दोनों को संवेदनहीनता और दुर्भावनापूर्ण लापरवाही के लिए जवाबदेह ठहराया गया।


🧠 इस घटना से क्या सीखा जाए?

  • हर चिकित्सा प्रक्रिया में मरीज की पूर्व सहमति जरूरी है।

  • खासकर जब मामला गर्भवती महिला और अजन्मे बच्चे से जुड़ा हो, तब डॉक्टरों को और अधिक सतर्क रहना चाहिए।

  • यह फैसला चिकित्सा संस्थानों को चेतावनी देता है कि नैतिक और कानूनी ज़िम्मेदारियों को नज़रअंदाज़ करना गंभीर दंड को आमंत्रित करता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

Recent Comments