नई दिल्ली | वेब वार्ता
पाकिस्तान की साइबर अपराध रोधी एजेंसी (FIA) ने कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। गुरुवार को FIA ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने के आरोप में TLP के 107 सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। इसके अलावा, 75 सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया गया। पंजाब प्रांत की सूचना मंत्री अजमा बुखारी ने लाहौर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। यह कार्रवाई पिछले सप्ताह लाहौर में TLP समर्थकों और पुलिस के बीच झड़पों के बाद आई है, जिसमें 16 लोग मारे गए थे।
TLP की गतिविधियां पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बनी हुई हैं, और सरकार ने इसे कट्टरपंथी समूहों के दमन का हिस्सा बताया है। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं—TLP की पृष्ठभूमि, हालिया झड़पें, गिरफ्तारियों का विवरण, और इसके व्यापक प्रभाव।
TLP का इतिहास: कट्टरपंथ और हिंसा का संगठन
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) एक कट्टरपंथी इस्लामी राजनीतिक पार्टी है, जो 2015 में मौलाना खादिम हुसैन रिजवी द्वारा स्थापित की गई थी। TLP का मुख्य एजेंडा पाकिस्तान में कुरान के अनुसार शरिया कानून लागू करना और ‘ईशनिंदा’ (ब्लास्फेमी) के खिलाफ सख्ती है। पार्टी का दावा है कि वह पाकिस्तान के पवित्र स्थलों की रक्षा करती है, लेकिन इसके समर्थक अक्सर हिंसक प्रदर्शनों के लिए कुख्यात रहे हैं।
- स्थापना और उदय: 2015 में स्थापित TLP ने 2017 के पंजाब चुनावों में 2.2 मिलियन वोट हासिल कर राजनीतिक ताकत दिखाई। 2018 में यह पाकिस्तान की चौथी सबसे बड़ी पार्टी बनी।
- हिंसक घटनाएं: TLP ने 2017 में इस्लामाबाद में प्रदर्शन कर सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। 2021 में पार्टी को प्रतिबंधित किया गया, लेकिन बाद में प्रतिबंध हटा लिया गया।
- वर्तमान नेतृत्व: साद रिजवी (खादिम रिजवी के बेटे)। TLP का समर्थन पंजाब के शहरी गरीबों और धार्मिक कट्टरपंथियों से आता है।
TLP ने हमेशा पश्चिमी देशों और अल्पसंख्यकों (विशेषकर अहमदिया समुदाय) के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं। 2025 में फिलिस्तीन समर्थन के नाम पर इसके प्रदर्शन हिंसक हो गए।
हालिया झड़पें: मुरिदके और लाहौर में हिंसा
पिछले सप्ताह (10 अक्टूबर 2025) पंजाब के मुरिदके में TLP समर्थकों और पुलिस के बीच झड़पों में 16 लोग मारे गए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे। 1,600+ घायल हुए। TLP ने दावा किया कि पुलिस ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जबकि सरकार ने कहा कि TLP ने पुलिस पर हमला किया।
- घटना का विवरण: TLP ने इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर प्रदर्शन किया। लाहौर से इस्लामाबाद मार्च के दौरान हिंसा भड़की। TLP ने सड़कें ब्लॉक कीं, पुलिस ने कंटेनरों से रोकने की कोशिश की।
- मौतें: TLP का दावा—16 समर्थक मारे गए। पंजाब सरकार का दावा—11 मौतें, जिसमें 2 पुलिसकर्मी।
- गिरफ्तारियां: 6,000+ TLP कार्यकर्ता गिरफ्तार। 61 मदरसे सील, मस्जिदों का नियंत्रण सरकार ने ले लिया।
पंजाब प्रशासन ने सेक्शन 144 लगाकर 10 दिनों के लिए सभाएं प्रतिबंधित कीं। TLP का दावा है कि उनके नेता साद रिजवी पर हमला हुआ, लेकिन वे सुरक्षित हैं।
FIA की कार्रवाई: 107 सोशल मीडिया कार्यकर्ता गिरफ्तार, 75 अकाउंट ब्लॉक
पंजाब सूचना मंत्री अजमा बुखारी ने लाहौर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हमने भड़काऊ पोस्ट करने के आरोप में TLP के 107 सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। 75 सोशल मीडिया अकाउंट्स ब्लॉक कर दिए गए हैं।” FIA ने सोशल मीडिया पर TLP के प्रोपेगैंडा को रोकने के लिए ऑपरेशन चलाया।
- कार्रवाई का दायरा: गिरफ्तारियां पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, और सिंध में हुईं।
- TLP का दावा: “हमारे कार्यकर्ताओं को दबाने की साजिश। फिलिस्तीन समर्थन के लिए गिरफ्तारियां।”
- सरकार का तर्क: “TLP की हिंसा को रोकना जरूरी। सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री प्रतिबंधित।”
पंजाब सरकार ने TLP को चौथे शेड्यूल में डालने का फैसला लिया, जो आतंकवाद विरोधी कानून के तहत है। TLP की संपत्ति जब्त, सोशल मीडिया ब्लॉक, और बैनर हटाए गए।
TLP की पृष्ठभूमि: कट्टरपंथ का चेहरा
TLP की स्थापना 2015 में मौलाना खादिम हुसैन रिजवी ने की थी। पार्टी का मुख्य मुद्दा ‘ईशनिंदा’ (ब्लास्फेमी) कानून का सख्ती से पालन है। TLP ने 2017 में इस्लामाबाद मार्च कर सरकार को झुकाया। 2021 में प्रतिबंधित हुई, लेकिन बाद में हटा। TLP का समर्थन पंजाब के गरीबों और कट्टरपंथियों से आता है।
- हिंसा का इतिहास: 2018 में चुनावों में 2.2 मिलियन वोट। 2021 में प्रदर्शनों में 10+ मौतें।
- 2025 में उग्रता: फिलिस्तीन समर्थन के नाम पर हिंसा। मुरिदके में 16 मौतें।
TLP ने दावा किया कि प्रदर्शनकारी निहत्थे थे, लेकिन सरकार ने कहा, “TLP ने पुलिस पर हमला किया।”
व्यापक प्रभाव: पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर खतरा
- सुरक्षा चिंता: TLP की गिरफ्तारियां पंजाब में तनाव बढ़ा रही हैं। 3,500+ कार्यकर्ता गिरफ्तार।
- राजनीतिक दबाव: सरकार ने TLP को आतंकवादी घोषित करने का विचार किया। लाहौर हाई कोर्ट ने गिरफ्तारियों पर सवाल उठाया।
- सोशल मीडिया का दुरुपयोग: FIA ने 75 अकाउंट्स ब्लॉक किए। TLP के वीडियो फिलिस्तीन समर्थन में भड़काऊ थे।
विपक्ष ने कहा, “शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को दबाना लोकतंत्र के खिलाफ है।”
सरकार की प्रतिक्रिया: दमन और जांच
पंजाब सरकार ने सेक्शन 144 लगाया। CM मरियम नवाज ने कहा, “TLP की हिंसा सहन नहीं।” FIA ने कहा, “सोशल मीडिया पर द्रोहपूर्ण सामग्री पर कार्रवाई।”
निष्कर्ष: TLP का दमन, लेकिन जड़ें गहरी
TLP की गिरफ्तारियां पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास हैं, लेकिन पार्टी का आधार मजबूत है। विशेषज्ञों का कहना है कि फिलिस्तीन मुद्दे पर समर्थन से TLP फिर उभरेगी। सरकार को राजनीतिक समाधान पर फोकस करना चाहिए।




