Saturday, October 4, 2025
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मार्को रुबियो: रूस का पोलैंड में ड्रोन घुसपैठ ‘अस्वीकार्य’, नाटो में बढ़ी चिंता

नई दिल्ली (वेब वार्ता)। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने रविवार को रूस के ड्रोनों द्वारा पोलैंड के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ को “अस्वीकार्य” करार दिया, जिससे नाटो सहयोगियों के बीच चिंता बढ़ गई है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि मॉस्को ने यह कदम जानबूझकर उठाया था या नहीं। यह बयान रूस की नाटो सीमाओं के पास सैन्य गतिविधियों पर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय निगरानी और क्षेत्रीय तनाव के बीच आया है।

रूसी ड्रोन घुसपैठ: पोलैंड की प्रतिक्रिया

पोलैंड, जो नाटो का सदस्य देश है, ने इस सप्ताह की शुरुआत में रूसी ड्रोनों द्वारा अपने हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की पुष्टि की थी। 9-10 सितंबर 2025 की रात को रूस के यूक्रेन पर हमले के दौरान 19 रूसी ड्रोन पोलैंड के हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे। कुछ ड्रोन सैकड़ों मील तक अंदर घुसे, और नाटो व पोलिश वायुसेना ने कई ड्रोनों को मार गिराया। पोलैंड ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है।

पोलैंड के उपप्रधानमंत्री क्रिज्सटॉफ गावकोव्स्की ने दावा किया कि 10 सितंबर को 21 ड्रोन ने उनके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया। उन्होंने इसे रूस द्वारा एक सुनियोजित उकसावे की कार्रवाई करार दिया। जवाब में, पोलैंड ने रूस और बेलारूस की सीमाओं पर 40,000 सैनिकों को तैनात किया है और नाटो से समर्थन मांगा है।

मार्को रुबियो का बयान

मार्को रुबियो ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, “रूसी ड्रोनों का पोलैंड के हवाई क्षेत्र में प्रवेश अस्वीकार्य, दुर्भाग्यपूर्ण और खतरनाक है। यह नाटो के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि क्या रूस ने ड्रोनों को जानबूझकर पोलैंड की ओर भेजा था। रुबियो ने आगे कहा, “ड्रोन निश्चित रूप से जानबूझकर लॉन्च किए गए थे, लेकिन सवाल यह है कि क्या वे विशेष रूप से पोलैंड को निशाना बनाने के लिए भेजे गए थे। हमें सभी तथ्यों की जांच करनी होगी और सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श करना होगा।”

रुबियो ने इस घटना को रूस-यूक्रेन युद्ध के क्षेत्रीय प्रभावों का उदाहरण बताते हुए युद्ध को जल्द समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि यह साबित हो जाता है कि ड्रोन जानबूझकर भेजे गए थे, तो यह रूस का “अत्यधिक उत्तेजक कदम” होगा।

नाटो और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस घटना ने नाटो और इसके सदस्य देशों में हलचल मचा दी है। नाटो महासचिव मार्क रट्टे ने रूस की कार्रवाइयों को “लापरवाह और अस्वीकार्य” बताया, चाहे वे जानबूझकर हों या नहीं। नाटो ने जवाब में ऑपरेशन ईस्टर्न सेंट्री शुरू किया है, जिसके तहत डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, और यूनाइटेड किंगडम ने पोलैंड के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त लड़ाकू विमान तैनात किए हैं।

पोलैंड के विदेश मंत्री राडोस्लाव सिकोर्स्की ने नाटो से यूक्रेन के ऊपर नो-फ्लाई जोन लागू करने की मांग की है, ताकि नाटो देशों के हवाई क्षेत्र में ऐसी घुसपैठ को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि यह कदम नाटो की आबादी को ड्रोन मलबे से होने वाले खतरों से बचाएगा।

इसके अलावा, रविवार को रोमानिया ने भी अपने हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोन की घुसपैठ की सूचना दी, जिसने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया। यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कालास ने इसे “अस्वीकार्य उल्लंघन” करार दिया और रोमानिया के साथ एकजुटता व्यक्त की।

रूस का रुख

रूस ने पोलैंड में ड्रोन घुसपैठ को जानबूझकर निशाना बनाने से इनकार किया है। मॉस्को ने दावा किया कि ड्रोन यूक्रेन में लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए भेजे गए थे और संभवतः इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के कारण वे पोलैंड के हवाई क्षेत्र में भटक गए। हालांकि, पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने इस घटना को रूस के साथ “द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे करीबी टकराव” बताया और इसे एक गंभीर उल्लंघन करार दिया।

पोलैंड ने इस घटना के जवाब में नाटो के अनुच्छेद 4 को लागू किया है, जो सदस्य देशों के बीच परामर्श की अनुमति देता है जब किसी की क्षेत्रीय अखंडता को खतरा हो। नाटो ने इस मामले में पोलैंड का समर्थन करते हुए एक आपातकालीन बैठक बुलाई है।

क्षेत्रीय तनाव और भविष्य

यह घटना रूस-यूक्रेन युद्ध के क्षेत्रीय प्रभावों को उजागर करती है, जो अब नाटो देशों की सीमाओं तक फैल रहा है। रूस की सैन्य गतिविधियां, विशेष रूप से ड्रोन और मिसाइल हमले, पोलैंड, रोमानिया, और अन्य नाटो देशों के लिए खतरा बन रही हैं। मार्को रुबियो का बयान इस घटना की गंभीरता को दर्शाता है, लेकिन यह भी संकेत देता है कि अमेरिका और नाटो अभी जांच और कूटनीतिक परामर्श के पक्ष में हैं।

निष्कर्ष: नाटो सीमाओं पर चुनौतियां

रूसी ड्रोनों की पोलैंड और रोमानिया में घुसपैठ ने नाटो और रूस के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। यह घटना न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध के व्यापक प्रभावों को भी दर्शाती है। मार्को रुबियो का बयान और नाटो की त्वरित प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि सहयोगी देश इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से ले रहे हैं। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नाटो और रूस के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत महत्वपूर्ण होगी।

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