बीजिंग, 15 अक्टूबर (वेब वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मंगोलिया के राष्ट्रपति हुरेलसुख उखना ने मंगलवार (14 अक्टूबर) को कई मुद्दों पर बातचीत की. बातचीत के दौरान मंगोलिया से भारत को यूरेनियम की संभावित आपूर्ति और द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने के कदमों पर चर्चा की गई. इस बीच सबसे बड़ी बात यह रही कि भारत अब मंगोलिया से कोकिंग कोयला मंगाने को लेकर योजना बना रहा है. उसे इसके लिए चीन पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. भारत ने नया रास्ता तलाश लिया है.
भारत, मंगोलिया से कोयला चीन के रास्ते न मंगाकर रूस के जरिए मंगाएगा. हालांकि विदेश मंत्रालय अभी मंगोलियाई कोयले के आयात के लिए नए व्यापारिक गलियारे को लेकर रूस और मंगोलिया से बातचीत कर रहा है. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के सचिव पी.कुमारण ने बताया कि मंगोलिया के पास कोकिंग कोयले का विशाल भंडार है, लेकिन उसके पास समुद्री बंदरगाह नहीं है. फिलहाल वह कोयले के निर्यात के लिए चीन के भरोसे है.
रूस के रास्ते भारत कैसे मंगाएगा कोयला
विदेश मंत्रालय के सचिव ने कहा, ”अगर भारत को मंगोलिया से कोयला लेना है तो उसे चीन के तियानजिन बंदरगाह का इस्तेमाल करना होगा, लेकिन इसका अच्छा विकल्प रूस का व्लादिवोस्तोक पोर्ट भी है. लिहाजा दोनों विकल्पों को लेकर बातचीत चल रही है.” अहम बात यह है कि भारत रणनीतिक कारणों से चीन को छोड़कर रूस को प्राथमिकता दे सकता है, लेकिन रूस का रास्ता महंगा और लंबा होगा.
भारत को मंगोलिया से क्यों खरीदना है कोयला
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा इस्पात उत्पादक देश है. भारत की इस्पात कंपनियां हर साल करीब 70 मिलियन टन कोकिंग कोयले का इस्तेमाल करती हैं और भारत इसका 85 प्रतिशत कोयला आयात करता है. कोकिंग कोयला हाई क्लास और काफी शुद्ध कोयला होता है. भारत अभी तक इसका करीब 50 प्रतिशत हिस्सा ऑस्ट्रेलिया से लेता रहा है, लेकिन मंगोलिया की वजह से अब उसे ऑस्ट्रेलिया पर भी बहुत ज्यादा निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.