Monday, February 17, 2025
Homeकारोबारआर्थिक सर्वेक्षण : विकास दर 6.3 से 6.8% रहने का अनुमान, काबू...

आर्थिक सर्वेक्षण : विकास दर 6.3 से 6.8% रहने का अनुमान, काबू में रहेगी महंगाई, खपत रहेगी स्थिर

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)।, वित्त वर्ष 2024-25 का आर्थिक सर्वेक्षण संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया, सर्वे के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी विकास दर 6.3 फीसदी से 6.8 फीसदी के बीच रह सकती है। यह अनुमान बताता है कि आर्थिक गतिविधियां अगले साल भी धीमी रहेंगी। सर्वे में उम्मीद जताई गई है कि महंगाई कंट्रोल में रहेगी। जबकि खपत स्थिर रह सकती है। इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 छह महीने के एक छोटे अंतराल के बाद आया है। पिछला इकोनॉमिक सर्वे आम चुनाव के बाद जुलाई 2024 में पेश हुआ था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 जुलाई 2024 को संसद में इसे रखा था।

विकसित भारत के लिए लगातार चाहिए 8% की ग्रोथ रेट

यह सर्वे रिपोर्ट वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा तैयार की गई है। इसमें कहा गया कि आजादी के 100 साल पूरे होने तक भारत को विकसित देश बनाने के लिए अगले एक या दो दशकों तक औसतन लगभग 8% की स्टेबल जीडीपी ग्रोथ हासिल करने की आवश्यकता है। सर्वे में कहा गया, ‘इस ग्रोथ रेट के लक्ष्य पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन यह देखना भी महत्वपूर्ण है कि ग्लोबल एनवायर्नमेंट (पॉलिटिकल और इकोनॉमिक) भारत के विकास परिणामों को प्रभावित करेगा।’

4 साल में सबसे धीमी ग्रोथ रेट

और धीमे कॉर्पोरेट इन्वेस्टमेंट के कारण भारत की ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4% तक गिरने का अनुमान है, जो चार वर्षों में सबसे धीमी ग्रोथ है और वित्त वर्ष 2023-24 में दर्ज की गई ग्रोथ की तुलना में तेज गिरावट है। भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 8.2 प्रतिशत रही थी। भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में 7.2 प्रतिशत और 2021-22 में 8.7 प्रतिशत की दर से ग्रोथ की थी।

सब्जियों की कीमतों में मौसमी कमी, खरीफ फसल की आवक के साथ वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी की संभावना है, आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि खाद्य पदार्थों के बफर स्‍टॉक बढ़ाने, खुले बाजार में खाद्य वस्‍तुएं जारी करने और आपूर्ति में कमी की स्थिति में आयात में ढील देने के सरकार के प्रशासनिक उपाय मुद्रास्‍फीति स्थिर रखने में सहायक रहे हैं। वित्‍त वर्ष 2026 के लिए भारत की आर्थिक संभावनाएं संतुलित हैं। विकास की प्रतिकूल परिस्थितियों में बढ़ी हुई भू-राजनीतिक, व्यापार अनिश्चितताएं शामिल हैं. वैश्विक विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए रणनीतिक, विवेकपूर्ण नीति प्रबंधन और घरेलू बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करने की आवश्यकता होगी। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया है कि भारत को जमीनी स्तर के संरचनात्मक सुधारों और विनियमनों के माध्यम से वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने की जरूरत है। भारत को जमीनी स्तर पर संरचनात्मक सुधारों, विनियमन के माध्यम से अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने की आवश्यकता है. आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कई देशों में मौद्रिक नीति सख्‍त करने के बावजूद वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था में स्थिति अनुकूलता रही है। वित्‍त वर्ष 2024 और मौजूदा वर्ष में यह स्थिति अनुकूलता हेडलाइन और मुख्‍य मुद्रास्फीति दरों में परिलक्षित हुई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि ब्राजील, भारत, चीन जैसी उभरती अर्थव्‍यवस्‍था वाले देशों में खाद्यान्‍न उपज में बदलाव लाने से वैश्विक खाद्य मुद्रास्‍फीति में अंकुश लगा है।

स्‍वच्‍छता और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) की उपलब्‍धता सहित मूलभूत सुविधाओं में उल्‍लेखनीय सुधार हुआ है, जो विद्यालयों की बुनियादी सुविधाओं के विकास में सकारात्‍मक प्रवृत्ति को दर्शाता है। आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया है कि दालों, तिलहन, टमाटर और प्याज के उत्पादन बढ़ाने के लिए मौसम अनुकूल किस्में विकसित करने हेतु केन्द्रित अनुसंधान की आवश्यकता है, किसानों को बेहतर कृषि प्रचलन प्रशिक्षण और खाद्य वस्‍तुओं की बढ़ती कीमतों पर निगरानी के लिए उच्‍च आवृत्ति के मूल्‍य निगरानी डाटा के सुझाव भी सर्वेक्षण में दिए गए हैं।

खाद्य महंगाई में नरमी आने की संभावना

सर्वे में महंगाई के बारे में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में कमोडिटी की ऊंची कीमतों को लेकर जोखिम सीमित जान पड़ता है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर दबाव अब भी एक मुद्दा है। सब्जियों की कीमतों में मौसमी आधार पर कमी और खरीफ फसल की आवक के साथ वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में खाद्य महंगाई में नरमी आने की संभावना है। इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों से निपटने के लिए रणनीतिक और विवेकपूर्ण नीतिगत प्रबंधन के साथ घरेलू बुनियाद को और मजबूत करने की जरूरत होगी। इसमें कहा गया है कि अधिक सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और कारोबार को लेकर उम्मीद में सुधार से निवेश गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

हमारे बारें में

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

Recent Comments