Tuesday, December 23, 2025
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ब्लिंकिट की 10 मिनट एम्बुलेंस सेवा में अब पैरामेडिक्स की सुविधा, आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा को मिलेगा नया आयाम

मुंबई, | वेब वार्ता

तेज़ डिलीवरी के लिए मशहूर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ब्लिंकिट अब स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक नई पहल कर रहा है। कंपनी ने 10 मिनट एम्बुलेंस सेवा के सफल लॉन्च के बाद, अब इन-हाउस पैरामेडिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। इस कदम का उद्देश्य आपातकालीन देखभाल के स्तर को ऊँचा उठाना और आम लोगों के बीच एम्बुलेंस सेवाओं के प्रति भरोसा बढ़ाना है।

10 मिनट में एम्बुलेंस, अब प्रशिक्षित मदद भी

ज़ोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने लिंक्डइन पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी कि ब्लिंकिट अब उन पैरामेडिक्स को प्रशिक्षित करेगा, जो न केवल प्राथमिक चिकित्सा सहायता देंगे, बल्कि संकट की घड़ी में मरीजों और परिजनों को मानसिक आश्वासन भी प्रदान करेंगे।

“लोग आज भी एम्बुलेंस बुलाने से हिचकते हैं”

दीपिंदर गोयल ने बताया कि अभी भी बड़ी संख्या में लोग एम्बुलेंस बुलाने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंचेगी। कई लोग निजी वाहन या टैक्सी से अस्पताल जाना ज्यादा सुरक्षित समझते हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में घातक साबित हो सकता है।

🗨️ “हमने पाया कि संकट की घड़ी में भी लोग एम्बुलेंस नहीं बुलाते क्योंकि उन्हें भरोसा नहीं होता कि समय पर मदद मिलेगी।” — दीपिंदर गोयल, CEO, Zomato

पैरामेडिक प्रशिक्षण: भरोसा और सहारा

ब्लिंकिट का लक्ष्य ऐसे पैरामेडिक्स तैयार करना है जो सिर्फ मेडिकल सपोर्ट नहीं, बल्कि भावनात्मक समर्थन भी दे सकें। कंपनी अब एक इन-हाउस प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना कर रही है, जिससे भारत में आपातकालीन सेवाओं का स्तर सुधरेगा

गुरुग्राम से शुरुआत, अब बढ़ रहा नेटवर्क

ब्लिंकिट ने इस सेवा की शुरुआत 2024 की शुरुआत में गुरुग्राम में सिर्फ 5 एम्बुलेंस से की थी। आज यह संख्या 12 तक पहुँच गई है, और कंपनी इसे जल्द ही अन्य शहरों में भी विस्तार देने की योजना बना रही है।

मुख्य विशेषताएं:

  • 10 मिनट में एम्बुलेंस सेवा

  • प्रशिक्षित पैरामेडिक स्टाफ

  • फ्री इन-हाउस मेडिकल ट्रेनिंग

  • मरीजों को मानसिक और भावनात्मक सहयोग

इस पहल का महत्व

भारत जैसे देश में जहाँ आपातकालीन सेवाओं में देरी आम बात है, ब्लिंकिट की यह पहल स्वास्थ्य प्रणाली में एक नया ट्रेंड स्थापित कर सकती है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो यह अन्य निजी और सरकारी संस्थानों को भी प्रेरित कर सकता है।

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