-तनवीर जाफ़री-
भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व यानी लोकसभा का आम चुनाव अपने समापन की ओर अग्रसर है। देश के चुनावी इतिहास में 2024 का चुनाव हमेशा याद रखा जायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके सहयोगी नेताओं ने गोदी मीडिया की जुगलबंदी से इस बार चुनाव प्रचार में जितना ज़हर घोलने व झूठ पर झूठ बोलने का कीर्तिमान स्थापित करने की कोशिश की गयी वैसा पहले कभी नहीं देखा गया। भारतीय जनता पार्टी ने वैसे तो पिछले दस वर्षों से अपनी सत्ता की पूरी ताक़त इसी में लगा रखी है कि किस तरह अपने विरोधियों को टुकड़े टुकड़े गैंग का नाम दिया जाये,उन्हें पाकिस्तानी बताया जाये,देश विरोधी व सेना विरोधी बताया जाये,भ्रष्ट व निकम्मा बताया जाये,मुस्लिम परस्त व तुष्टीकरण का पैरोकार साबित किया जाये,पिछले सभी शासन व पूर्व प्रधानमंत्रियों को निकम्मा बताया जाये। और साथ ही स्वयं को ‘दैवीय शक्ति ‘ का स्वामी होने के साथ ‘अवतरित’ होने वाला एक ऐसा महापुरुष जिसे पहले तो गंगा ने केवल बुलाया था परन्तु अब तो ‘गोद ‘ भी ले लिया है। चुनावी बेला में सत्ता पर क़ब्ज़ा बरक़रार रखने के लिये और अपने विरोधियों को नीचा दिखाने व बदनाम करने के लिये प्रधानमंत्री स्तर पर जिस तरह के ज़हरीले बोल इन दिनों बोले जा रहे हैं ऐसी बातों की कभी कल्पना भी नहीं की गयी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के चुनावी दौरे पर सभाओं में फिर कहा है कि -“कांग्रेस व समाजवादी पार्टी अगर सत्ता में आई तो यह लोग रामलला को टेंट में भेज कर मंदिर में बुल्डोज़र चलवा देंगे। कांग्रेस ने तो राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को पलटने की तैयारी भी कर ली है। उन्होंने कहा कि इनके लिए तो उनका परिवार और पावर यही उनका खेल है। सपा, कांग्रेस की ‘राम’ से इतनी दुश्मनी है कि उन्होंने रामलला का प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा दिया”। प्रधानमंत्री मोदी के उपरोक्त आरोपों से दो अहम सवाल सिर्फ़ मोदी से ही पूछे जाने चाहिये। एक तो यह कि प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति की इस सूचना का आख़िर क्या स्रोत है कि -‘सपा-कांग्रेस वाले सरकार में आए तो राम मंदिर पर बुलडोज़र चलवा देंगे’? यदि कोई स्रोत नहीं तो यह सफ़ेद झूठ और लफ़्फ़ाज़ी सिर्फ़ साम्प्रदायिक आधार पर मतों का ध्रुवीकरण करने का प्रयास नहीं तो और क्या है? और उन्हीं के आरोपों से जुड़ा दूसरा सवाल यह कि जब सपा व कांग्रेस को उनके अनुसार ‘राम’ से इतनी दुश्मनी है कि उन्होंने रामलला का प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा दिया और अब मोदी के अनुसार इस पर बुलडोज़र भी चलवा देंगे?
फिर आख़िर ऐसे ‘राम विरोधियों ‘ को निमंत्रण भिजवाया ही क्यों गया? क्या सिर्फ़ इसलिये नहीं कि उन्हें अंदाज़ा था कि वे राम जन्म भूमि प्राण प्रतिष्ठा को राजनैतिक रंग में रंगने के इस भाजपा व संघ के आयोजन को अस्वीकार करेंगे और तब इन्हें यह मौक़ा मिलेगा जो आज कहते फिर रहे हैं? मोदी जी रामलला का प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकराने को लेकर उन चारों शंकराचार्यों पर क्यों नहीं बोलते जिन्होंने उनका निमंत्रण स्वीकार नहीं किया और इस आयोजन को भी विधि विधान के विरुद्ध बताया? आज भी एक शंकराचार्य वे डंके की चोट पर कह रहे हैं कि प्राण प्रतिष्ठा पुनः की जायेगी,मंदिर निर्माण अभी केवल 30 प्रतिशत हुआ है और अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पूरी तरह अनैतिक व अवैधानिक है। परन्तु शंकराचार्य की इन बातों का कोई जवाब नहीं देता जो ख़ुद 22 जनवरी के इस आयोजन को पूरी तरह राजनैतिक आयोजन बताते रहे हैं? पिछले दिनों इसी नफ़रती बयानबाज़ियों की एक और बानगी उत्तर पूर्वी दिल्ली के थाना उस्मानपुर इलाक़े के करतार नगर में तब देखने को मिली जब दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार कन्हैया कुमार को उन्हें माला पहनाने के बहाने से उनके क़रीब पहुंचे दो लोगों ने उनपर पहले स्याही फेंकी फिर अचानक थप्पड़ों से हमला भी कर दिया। इसी बीच आम आदमी पार्टी की महिला निगम पार्षद के साथ भी हाथापाई की गई। निगम पार्षद का आरोप है कि उनके साथ छेड़छाड़ भी की गई है। इस दौरान चार लोगों को चोट भी आई है। बताया जा रहा है कि कन्हैया कुमार व महिला पार्षद से मारपीट करने वाले लोग गोरक्षा दल से जुड़े हुए हैं। घटना की वीडियो में हमलावर यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि -‘भारत के टुकड़े-टुकड़े का नारा लगाने वालों का वह यही हाल करेंगे। देश का अपमान वह किसी क़ीमत पर नहीं सहेंगे’।
यहां भी सवाल यह है कि टुकड़े तिकडे गैंग की अवधारणा किसने बनाई व प्रचारित की? जिस कन्हैया कुमार के पूर्वजों का जन्म भारत में ही हुआ हो,जिसकी मां ने आंगनवाड़ी में काम कर अपने बच्चों की परवरिश की हो,जिसका भाई फ़ौजी और बाप किसान हो उस पर सिर्फ़ इसलिये टुकड़े टुकड़े गैंग का लेबल लगा दिया जाये क्योंकि वह वैचारिक रूप से सत्ता का मुखर विरोधी है? इतना ही नहीं बल्कि उस पूरे जे एन यू को ही बदनाम करने का षड्यंत्र रचा जाये जिसमें पढ़े अनेक नेता आज मंत्री सांसद व सचिव स्तर के अधिकारी हैं? और यह आरोप भी उनके द्वारा लगाए जाएँ जो ख़ुद या तो अनपढ़ हैं या फ़र्ज़ी डिग्रियां रखते हैं? यह आरोप उनके द्वारा लगाए जाएं जिनके पारिवारिक व राजनैतिक वंशजों का देश के लिये बलिदान देने का कोई इतिहास नहीं है? यह आरोप उनके द्वारा लगाये जायें जो ख़ुद समाज को धर्म जाति क्षेत्र व भाषा के नाम पर लड़वाकर देश के टुकड़े टुकड़े करना चाह रहे हों और देश को हिंसा व नफ़रत की आग में झोंकने के लिये प्रयासरत हों? सवाल यह है कि अनेकता में एकता का दर्शन देने वाले गुलदस्त-ए-हिन्द में गत दस वर्षों से सत्ता व सत्ता की दलाल मीडिया द्वारा जिस ‘विष बेल’ को नफ़रत,साम्प्रदायिकता,झूठ.पाखंड व पूंजीवाद से सींचा गया है क्या अब वह फलती फूलती दिखाई देने लगी हैं?