वेबवार्ता – डेस्क। नई दिल्ली में रेलवे स्टेशन पर हुये हादसे के कई दिन बाद भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। प्लेट फार्म नंबर 12 से 12560 शिव गंगा एक्सप्रेस 8.05 बजे जाने के बाद कुछ भीड़ प्लेट फार्म पर ही रह गई थी, जिसके बाद प्लेट फार्म 16 से स्पेशल गाड़ी चलाई जाने की उद्घोषणा से यात्री प्लेट फार्म 12 नंबर से 16 नंबर की ओर एफओबी से जाने लगे, जिससे दुःखद घटना घट गई थी पर, रेल मंत्रालय का दावा है कि हादसे के समय स्टेशन पर अप्रत्याशित भीड़ नहीं थी, जबकि रिपोर्ट में दर्ज है कि यात्रियों का दबाव अधिक होने हादसा हुआ। आरपीएफ की दो रिपोर्ट हैं, जिनमें घटना का समय अलग है। रेलवे का तर्क है कि अभी दो सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी जांच कर रही है। स्टेशन पर तैनात अधिकारियों की जानकारी से बनने वाली रिपोर्ट प्रामाणिक होगी। चौंकाने वाली बात यह है कि आरपीएफ की दोनों रिपोर्ट में मौतों की संख्या भी अलग-अलग है।
आरपीएफ की पहली रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लेट फार्म नंबर 14/15 पर अत्यधिक भीड़ होने से प्लेट फार्म पर उतरते समय लगभग 8.30 बजे सीढ़ियों पर गिरने व भगदड़ से 31 यात्री घायल हो गये। एनएनजेपी अस्पताल में 27, लेडी हार्डिंग में दो व कलावती हॉस्पिटल में दो लोगों को भर्ती कराया गया, जिसमें 18 को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया और 13 उपचाराधीन हैं, वहीं दूसरी रिपोर्ट में कहा गया है कि मौके से ही उप निरीक्षक को स्टाफ के साथ सभी अस्पतालों में भेजा गया, जहां से यह सूचना प्राप्त हुई कि तीनों अस्पतालों में कुल 30 घायल यात्री भेजे गये थे, जिनमें से 20 यात्रियों की मृत्यु हो गई है और 10 यात्री घायल हैं, जिनका उपचार किया जा रहा है।
हालांकि रेलवे का यह भी कहना है कि उत्तर रेलवे ने घटना की जांच के लिये दो सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। समिति 100 से अधिक लोगों के बयान ले रही है, इसके बाद घटना के सटीक क्रम को स्थापित किया जायेगा, इस आधार पर जांच रिपोर्ट तैयार होगी। समिति के अलावा रेलवे की ओर से कोई जांच नहीं की जा रही है। कोई भी ऐसी जानकारी हो, जो उच्चस्तरीय समिति को उसकी जांच प्रक्रिया में मदद कर सकती है तो, सीधे समिति के सदस्यों के साथ साझा करें। कई रिपोर्ट को रेलवे ने गलत और भ्रामक भी बताया है। नई दिल्ली स्टेशन हादसे के बाद कई एजेंसियों से रिपोर्ट तलब की जा रही है। आरपीएफ, जीआरपी समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी अपने-अपने फैक्ट पेश कर रही हैं। रेलवे का स्पष्ट कहना है कि सिर्फ एक ही जांच चल रही है, बाकी जांच रिपोर्ट गलत और भ्रामक हैं।
पहले भी हुये हैं हादसे
बिहार जाने वाली ट्रेन के प्लेट फार्म को लेकर 2004 में भगदड़ मच गई थी, जिसमें पांच महिलाओं की जान गई थी। 2010 में बिहार जाने वाली ट्रेन के प्लेट फार्म को अंतिम समय में बदल दिया गया था, जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, इसी तरह 2012 में बिहार जाने वाली ट्रेन के प्लेट फार्म में परिवर्तन के कारण एक महिला और एक किशोर की मौत हो गई थी।
फुटबॉल मैदान में हुआ हादसा
केरल के मलप्पुरम जिले के अरीकोड में मंगलवार की देर रात आतिशबाजी के दौरान हादसा हो गया, इसमंम 30 से अधिक लोग घायल हो गये। घटना एक फुटबॉल मैदान में हुई, जहां मैच शुरू होने से पहले पटाखे फोड़े जा रहे थे। बताया जा रहा है कि पटाखों से चिंगारियां मैदान में फैल गईं, जहां दर्शक बैठे हुये थे, जिससे अफरा-तफरी मच गई और फिर कई लोग घायल हो गये। घायलों को तत्काल एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मौनी अमावस्या पर हुआ हादसा
महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान के लिये उमड़ी भीड़ के कारण संगम नोज पर बैरिकेडिंग टूट गई थी, इस दौरान हादसे में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि 60 श्रद्धालु घायल गये थे। 36 घायलों को एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
तिरुपति मंदिर में मच गई थी भगदड़
तिरुमाला पहाड़ियों पर स्थित तिरुपति मंदिर में बैकुंठ द्वार दर्शन टिकट वितरण केंद्र के पास भगदड़ मच गई थी, इस दौरान लगभग 4 हजार भक्त लाइन में खड़े थे। टोकन की प्रतीक्षा करते समय एक महिला का स्वास्थ्य खराब होने लगा था, जिसके लिये द्वार खोला गया था लेकिन, भीड़ एक साथ आगे बढ़ गई थी, जिससे अफरा-तफरी मची और भगदड़ मच गई थी। घटना में 8 लोगों की मौत हो गई थी।
साकार हरि के सत्संग में मच गई थी भगदड़
उत्तर प्रदेश के हाथरस में स्थित फुलरई मुगलगढ़ी के सिकंदराराऊ में दो जुलाई को सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग में भगदड़ मच गई, इस घटना में बड़े स्तर पर जनहानि हुई थी।
माता वैष्णो देवी के दरबार में हुई थी घटना
माता वैष्णो देवी के दरबार में 2022 में नये साल की सुबह भगदड़ मच गई थी, जिसमें 12 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि 16 श्रद्धालु घायल हो थे।
मुंबई में एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन पर हुआ था हादसा
मुंबई के एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज पर भगदड़ मच गई थी। ऑफिस जाने वाले यात्रियों की भीड़ बारिश के कारण ब्रिज पर चढ़ गई थी, जिसके बाद किसी ने ब्रिज गिरने की अफवाह फैला दी। हड़बड़ाहट में लोग एक-दूसरे को धक्का देने लगे। फिसलने से कई लोग गिर गये और फिर उनके ऊपर अन्य लोग गिरते रहे, जिससे दुःखद घटना घटित हो गई थी।
सबरीमाला मंदिर से लौटते समय हुआ हादसा
मकर संक्रांति पर सबरीमाला मंदिर में लाखों श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन के लिये पहुंचे थे। उत्सव समाप्त होने के बाद श्रद्धालु मंदिर से लौट रहे थे, इस दौरान पुलुमेडु क्षेत्र में एक पतले रास्ते पर लोग बड़ी संख्या में एकत्र हो गये। एक जीप और एक ऑटो-रिक्शा आपस में टकरा गये, जिससे अफरा-तफरी मच गई थी। अंधेरा होने के कारण लोगों को रास्ता नहीं दिखा, इस भगदड़ में कुचलने से श्रद्धालु मर गये थे।
भंडारे में भगदड़ मचने से गई जान
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के आश्रम में भंडारे का आयोजन किया गया था, जिसमें कपड़े और भोजन बांटते समय भगदड़ मच गई थी। मुख्य प्रवेश द्वार का गेट गिरने कई श्रद्धालु दब गये थे और फिर मर गये थे।
चामुंडा देवी मंदिर पर हुआ हादसा
राजस्थान के जोधपुर शहर में चामुंडा देवी मंदिर मेहरानगढ़ किले पर स्थित है। सुबह श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश कर रहे थे, इस दौरान छत गिरने और बम विस्फोट से जुड़ी अफवाहें फैलने लगीं। घबरा कर लोग बाहर निकलने का रास्ता खोजने लगे, जिससे संकरे रास्ते पर कई लोग गिर गये थे और फिर कुचल गये थे।
नैना देवी मंदिर पर हुआ हादसा
श्रावण अष्टमी मेले पर श्रद्धालु पहाड़ी पर स्थित नैना देवी मंदिर में दर्शन के लिये पहुंचे थे, इस दौरान भूस्खलन की अफवाह फैल गई थी। घबराये श्रद्धालु नीचे की ओर भागने लगे थे। धक्का-मुक्की के चलते कई श्रद्धालु गिर गये थे, उनके ऊपर सैकड़ों लोग चढ़ते गये, जिससे दम घुटने और कुचलने से लोगों की मौत हो गई।
मंधारदेवी मंदिर पर हुआ हादसा
महाराष्ट्र के सतारा जिले में मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थ यात्रा के दौरान कुछ श्रद्धालु फिसल गये थे, जिससे अफवाह फैल गई कि भगदड़ में कई लोगों की कुचलने मौत हो गई है। श्रद्धालुओं द्वारा नारियल तोड़ने के कारण सीढ़ियों पर फिसलन हो जाती है, जिससे कुछ श्रद्धालु गिर गये थे लेकिन, अफवाह फैलने से लोग डर गये थे।
श्रद्धालुओं को नहीं करना चाहिये अपमानित
महाकुंभ, रेलवे स्टेशन वगैरह पर अत्यधिक भीड़ के चलते, जो हादसे हुये हैं, वे नहीं होने चाहिये थे। पचास-साठ करोड़ श्रद्धालु आने की संभावना जताई जा रही थी, जिसको लेकर और बेहतर व्यवस्था बनाई जा सकती थी। भीड़ का प्रबंधन, जिस प्रकार करना चाहिये था, वैसे नहीं हो पाया, जिससे दुःखद घटनायें घटित हुई हैं। इतने बड़े जनसमूह को यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता था, इसके लिये विधिवत रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया लागू करना चाहिये थी। प्रतिदिन महाकुंभ में पहुंचने वालों की संख्या तय करनी चाहिये थी, इसी तरह रेलवे की टिकट बेचने को लेकर भी नीति तय होनी चाहिये थी। बताया जा रहा है कि हर घंटे हादसे वाले रेलवे स्टेशन पर 1500 टिकट बेचे जा रहे थे, इस तरह टिकट बेचने को सही नहीं ठहराया जा सकता। हादसों में तमाम लोगों की जानें गई हैं, इन घटनाओं से सरकारें सबक लेंगी और आशा की जा सकती है कि आने वाले समय में ठोस नीति बनायेंगी। हादसे हुये, उनमें जानें गईं, फिर भी महाकुंभ को फालतू और मृत्यु कुंभ नहीं कहा जा सकता। हादसों के बाद भी श्रद्धालुओं की आस्था, श्रद्धा, भक्ति और उत्साह में कोई कमी नहीं आई, वे तमाम कष्टों को झेल कर, और पैदल यात्रा कर संगम तक पहुंचे, वहां न सिर्फ उन्होंने डुबकी लगाई बल्कि, पवित्र जल को ले जाते हुये भी दिखाई दिये। संगम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में संतों के अलावा राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री, तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री, क्रिकेटर, व्यापारी, संगीतकार, गीतकार, अभिनेता, अभिनेत्री, धनाढ्य वर्ग के साथ, वे लोग भी हैं, जिनके पास चप्पल खरीदने के भी पैसे नहीं हैं, ऐसे करोड़ों लोगों को अपमानित करने का अधिकार किसी के पास नहीं होना चाहिये।