Friday, March 14, 2025
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चौथा साल चल रहा पर रूस जीता ना यूक्रेन हारा

-राजेश जैन-

करीब तीन साल पहले रूस की सेना ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उस युद्ध को एक मिलिट्री ऑपरेशन बताते गए 72 घंटे में पूरे यूक्रेन पर कब्जा कर लेने का दवा किया था। लेकिन तीन साल पूरे होने के बाद अब चौथा साल चल रहा है। इसके बावजूद युद्ध में ना रूस जीता है और ना ही अभी तक यूक्रेन हारा है। सवाल यह नहीं है कि इस जंग में कौन सही कौन गलत? लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद अब तक के सबसे बड़े और विनाशकारी युद्ध में दोनों देशों में भारी तबाही मची है। रूस और यूक्रेन के हजारों नागरिकों और सैनिकों ने इस युद्ध में अपनी जान गंवाई है। दोनों की अर्थव्यवस्था पर भी भारी असर पड़ा है। लगभग 1100 दिनों की इस जंग ने मानवता को न भरने वाले घाव और कड़वी यादें दी हैं। आज यहां हम चर्चा करेंगे कि युद्ध कैसे शुरू हुआ और इसके कारण दोनों देशों को क्या खोना पड़ा।

यूक्रेन के सोवियत संघ से अलग होने के बाद से, रूस और पश्चिम देश, दोनों इस क्षेत्र में सत्ता संतुलन को अपने पक्ष में रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दरअसल यूक्रेन से सटा काला सागर रूस को कई भू-राजनीतिक फ़ायदे देता है। पश्चिमी देशों और रूस के बीच यूक्रेन बफ़र ज़ोन है। ऐसे में पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी आंदोलनों को रूस का समर्थन मिला और 2014 में रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया। इसके बाद अमेरिका और यूरोपीय देश यूक्रेन के समर्थन में उतर आए। रूस से सुरक्षा के लिए यूक्रेन नेटो का सदस्य बनना चाहता था। इसको लेकर विवाद बढ़ा तो फरवरी 2022 में, रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। कुल मिलकर रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने विश्व को एक नए युग की ओर धकेल दिया है, जहां शक्ति की लड़ाई और राजनीतिक हितों की टकराहट ने मानवता को खतरे में डाल दिया है।

हजारों मरे, लाखों बेघर, यूक्रेन के 18 फीसदी भूभाग पर रूस का कब्जा

इस आक्रमण के परिणाम स्वरूप, यूक्रेन के कई शहरों में व्यापक विनाश हुआ, हजारों ने जान गंवाई और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। 24 फरवरी 2022 को जंग की शुरुआत के बाद यूक्रेन की 11 फीसदी जमीन पर रूस ने कब्जा कर लिया है। लेकिन अगर साल 2014 से तुलना करें तो रूस यूक्रेन के 18 फीसदी भूभाग पर कब्जा कर चुका है। गत 8 दिसंबर को यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने एक टेलीग्राम पोस्ट में घोषणा की थी कि फरवरी 2022 में युद्ध की शुरुआत के बाद से युद्ध के मैदान में 46, 000 यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निगरानी मिशन के अनुसार 24 फरवरी 2022 के बाद से इस जंग में 12, 654 से अधिक पुरुषों, महिलाओं, लड़कियों और लड़कों की हत्या हो चुकी है जबकि लगभग 30, 000 लोग घायल हुए हैं। 84 प्रतिशत मौतें यूक्रेनी सरकार के नियंत्रण वाले क्षेत्र में हुई हैं। जंग से 42 हजार लोग प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के अनुसार यूक्रेन में अभी 20 लाख लोग बिना घर के रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के 2024 के अंत तक के आंकड़ों के अनुसार, यूरोप में 6.3 मिलियन से अधिक यूक्रेनी शरणार्थी रह रहे हैं, जिनमें जर्मनी मे लगभग 1.2 मिलियन, पोलैंड में लगभग 1 मिलियन और चेक गणराज्य में 390, 000 शामिल हैं। जून 2024 तक संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम अनुमान के अनुसार, रूसी फेडरेशन में 1.2 मिलियन यूक्रेनी शरणार्थी रह रहे थे। अनुमान है कि 10 मिलियन से ज़्यादा यूक्रेनियन अभी भी विस्थापित हैं।

सुपर पावर के रूप में बनी रूस की प्रतिष्ठा को धक्का

इस जंग से सुपर पावर के रूप में बनी रूस की प्रतिष्ठा को भी काफी धक्का पहुंचा है। रूस में युवा जंग नहीं लड़ना चाहते हैं। जबरन भर्तियां करनी पड़ रही है और भाड़े के सैनिकों का सहारा लेना पड़ा रहा है। हाल ही में ऐसी रिपोर्ट भी आई थी कि नौकरी करने के लिए रूस गए भारतीयों को ठगी के जरिये जंग लड़ने के लिए भेजा जा रहा है। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय का दावा है कि 2024 में युद्ध में 4, 30, 790 रूसी सैनिक मारे गए या घायल हुए जबकि रूसी मीडिया कम से कम 31, 481 रूसी सैनिकों की मृत्यु की पुष्टि कर रहा है। अन्य स्वतंत्र एजेंसियों के आंकड़ों के अनुसार रूस की सेना के लिए लड़ने वाले 95, 000 से अधिक लोग मारे गए हैं। इसमें वे लोग शामिल नहीं हैं जो स्वघोषित डोनबास गणराज्यों के मिलिशिया में लड़ते हुए मारे गए। उनकी संख्या 21, 000 से 23, 500 के बीच बताई जाती है।

दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को अरबों-खरबों डॉलर का नुकसान

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग की वजह से हुए आर्थिक नुकसान अरबों-खरबों में है। विश्व बैंक और यूक्रेन सरकार के अनुमान के अनुसार 2023 तक, यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को लगभग 150 अरब डॉलर (लगभग 12.5 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान होने का अनुमान था। 2024 के अंत तक यह आंकड़ा और बढ़ गया है, कुछ विशेषज्ञ पुनर्निर्माण लागत सहित इसे 400-500 अरब डॉलर तक आंकते हैं। 2022 में यूक्रेन की जीडीपी 35-40% तक सिकुड़ गई थी, और 2023-2024 में इसमें मामूली सुधार हुआ, लेकिन यह अभी भी युद्ध-पूर्व स्तर से बहुत नीचे है। रूसी बमबारी में ध्वस्त सड़कें, पुल, स्कूल, अस्पताल, और नष्ट बिजली प्लांट के पुनर्निर्माण के लिए अरबों डॉलर चाहिए। हालांकि रूस का नुकसान यूक्रेन जितना प्रत्यक्ष नहीं है पर उसको भी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के 2023 के एक अनुमान के अनुसार, रूस ने युद्ध में सेना, हथियार और लॉजिस्टिक्स पर 211 अरब डॉलर (लगभग 18 लाख करोड़ रुपये) खर्च किए थे। 2025 तक यह राशि 300 अरब डॉलर से ज़्यादा हो सकती है। पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों से रूस की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा। 2022 में उसकी जीडीपी 2-3% घट गई। नुकसानों को जोड़ा जाए, तो रूस-यूक्रेन युद्ध से अब तक 1-1.5 खरब डॉलर (लगभग 80-125 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो चुका है। यह राशि भारत के सालाना बजट से कम से कम दोगुना बैठती है।

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