-अरविन्द जैमिनी-
विश्व भर में स्वच्छ जल की कमी एवं जल स्तर के कम हो जाने के कारण संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया में पानी के संरक्षण एवं उचित उपयोग को बढ़ावा देने हेतु 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में घोषित किया गया है। क्योंकि जल के बिना न तो कोई जीवित जीवन संभव है और न ही किसी प्रकार के संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है। देश दुनियां में जल संरक्षण हेतु कई संगठन एवं एजेंसियां कार्यरत हैं जिनमें जल शक्ति मंत्रालय, गैरसरकारी संगठन, स्थानीय समुदाय के सदस्य आदि शामिल हैं। जो जल संरक्षण और प्रबंधन नीतियों को लागू करने, स्थानीय स्तर पर जल संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित करने, जागरूकता तथा जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों के मतानुसार धरती का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ हैए जिसमें 97% पानी खारा है जो पीने योग्य नहीं है, पीने योग्य पानी की मात्रा सिर्फ 3% है। इसमें भी 2% पानी ग्लेशियर एवं बर्फ के रूप में है।
जल – जीव जंतु, पर्यावरण, पशु पक्षी एवं मानव जीवन के लिए बहुत आवश्यक और महत्वपूर्ण है। यह हमारे शरीर के ऊर्जा स्रोत, स्वास्थ्य और संतुलित विकास का मूल आधार है। जल के बिना हम न तो जीवित रह सकते हैं और न ही कोई जीवनरूपी रचना अस्तित्व में आ सकती है। जल समुद्र, नदियों, झीलों और तालाबों के रूप में विद्यमान है। बढ़ती आबादी, जंगल पेड पोधौं की अंदाधुंध कटाई, विनियमित जल उपयोग और अवैध जल प्रदूषण के कारण समुद्र, नदियां, झीलें एवं अन्य जल संरचनाएं प्रदूषित हो रही हैं। इससे पृथ्वी की जल संसाधनों की गुणवत्ता एवं पीने के पानी के उपयोग की उचित व्यवस्था में कमी होती जा रही है। इसलिये देश दुनियां के हर इंसान को जल के महत्व को समझना और इसकी सुरक्षा तथा आवश्यक्तानुसार उपयोग करने का व संरक्षित करने का संकल्प लेना होगा। स्वच्छ जल संरक्षण एवं उसकी बचत करना हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि जल के महत्व को समझते हुये हमें जल संसाधनों को संरक्षित रखने के लिए जल संरचना को सुधारना होगा तथा समुदाय को जल संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना होगा। हमें जल संचय की तकनीकों को अपनाना होगा, बारिश के पानी का संग्रह करना तथा जल सयंत्रों के उपयोग से गंदगी, प्रदूषण को रोकना होगा। जल के संबध में निम्न लिखित अनमोल बचनों का अनुशरण करना बहुत जरुरी हो गया है – (जल ही जीवन है – महात्मा गांधी), (जल को स्वच्छ रखो जीवन को स्वस्थ बनाओ – नरेन्द्र मोदी), (पानी के बिना कोई जीवन असंभव है -स्वामी विवेकानंद) को ध्यान में रख कर पानी की एक -एक बूंद का महत्व समझना होगा।
समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात होता रहता है कि देश व दुनियां में कई ऐसे क्षेत्र, स्थान ऐसे हैं जहाँ पानी की गंभीर समस्या हो गई है। नदी तालाब अतिक्रमण के शिकार होकर सूख गये हैं, नदियों ने नालों का रुप धारण कर लिया है। आमजन गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। पानी की कमी की भयाभयता के समाचार देखने को मिलते हैं। देश में जलाशयों जैसे नदी, तालाब, स्टॉप डैम, कुआ, बावडी, पोखर, नहरें जो कि सफाई के अभाव में उनका जलस्तर कम हो जाने के कारण सूख चुके हैं। जिसके कारण देश के अधिकतर किसान खेती के लिये वारिस के पानी पर निर्भर रह गये हैं, जिसके फलस्वरुप एक फसल का ही असमय पर उत्पादन कर पाते हैं। जिसमें भी कई वार पर्याप्त वारिस नहीं होने पर सूखे की चपेट में आ जाते हैं। पीने तथा दैनिक उपयोग के पानी की भीषण समस्या उत्पन्न हो जाती है। भारत में पानी की समस्या बहुत चिंताजनक होती जा रही है। जल की कमी, जल प्रदूषण एवं जल वायु परिवर्तन की वजह से देश में पानी की समस्या बढ रही है। यूनेस्को का स्पष्ट संदेश है कि यदि हम शांति बनाये रखना चाहते हैं तो न केवल जल संसाधनों की सुरक्षा के लिये बल्कि इस क्षेत्र में क्षेत्रीय एवं वैश्विक सहयोग को बढाने के लिये भी तेजी से काम करना होगा।
अतः स्वच्छ जल संरक्षण हेतु जल की एक –एक बूंद का महत्व को ध्यान रखते हुये जलाशयों के गहरीकरण व सफाई कार्य तथा उनके किनारों से अतिक्रमण हटाने का कार्य का अभियान देशभर में स्वच्छ भारत अभियान की तर्ज पर सरकार के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों, समाज सेवियों तथा आमजन को श्रमदान हेतु प्रोत्साहित करते हुये योगदान भी लिया जा सकता है। जिसका श्रीगणेश हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के करकमलों द्वारा किया जा सकता है। जिसके फलस्वरुप देश में पीने, दैनिक उपयोग तथा सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी मिल सकता है। बाढ़ से भी कुछ हद तक निजात पायी जा सकती है।
देशभर में कारखानों/फैक्ट्रियों से निकलने वाली गंदगी के नदी/नालों में होने वाले बहाव को रोकने हेतु सरकार व्दारा कडे कदम उठाये जाना होगा। ऐसा अनुमान है कि जलाशयों के गहरीकरण व सफाई कार्य तथा उनके किनारों से अतिक्रमण हटाने का कार्य पूरी ईमानदारी से दो वर्ष भी कर लिया जावे तो देशभर में पानी की कमी की समस्या से निजात मिल सकती है। जिसके फलस्वरुप वाटर लेविल कम हो जाने के कारण सूखे पडे हैड पंप/नल कूपों में भी पानी आने की संभावना हो सकती है।