Saturday, March 15, 2025
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जीआईएस बनेगी हृदयप्रदेश के लिए वरदान, रोजगार सृजन के साथ अर्थव्यवस्था को मिलेगी बूस्टर डोज

-हर्षवर्धन पाण्डे-

एमपी में आगामी 24 और 25 फरवरी को राजधानी भोपाल में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। यह ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2025 प्रदेश की अर्थव्यस्था के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी जो राज्य को विकास की एक नई दिशा प्रदान करेगी। इस समिट के जरिए मध्यप्रदेश ने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है जिससे राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश की संभावनाएं बनती दिखाई दे रही हैं। इसके माध्यम से एमपी की अर्थव्यवस्था को एक ‘बूस्टर डोज’ मिल सकता है। मध्य प्रदेश की वर्तमान जीडीपी 2.9 लाख करोड़ रूपये है। अब मोहन सरकार जीआईएस और अपनी निवेश नीति में बदलाव कर अगले 5 सालों में इसे बेहतर करने की दिशा में मजबूती के साथ अपने कदम बढ़ाती नजर आ रही है। अगर निवेश सही से परवान चढ़ा तो वर्ष 2030 तक मध्यप्रदेश की जीडीपी लगभग 6 लाख करोड़ रूपये को पार कर सकती है।

ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का मुख्य उद्देश्य राज्य में उद्योग, वाणिज्य और व्यापार के क्षेत्र में निवेश बढ़ाना है। यह समिट मध्य प्रदेश के आर्थिक ढांचे को सुदृढ़ करने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में सहायक साबित हो सकती है। निवेश के समुचित अवसरों को देखते हुए राज्य सरकार ने विभिन्न सेक्टरों में निवेशकों को आमंत्रित किया है जिसका अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। जीआईएस 2025 एमपी के लिए न केवल निवेश के अवसर प्रदान करने का एक आयोजन है बल्कि यह राज्य को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर उभारने का एक महत्वपूर्ण प्रयास भी है। मध्यप्रदेश सरकार उद्योग के अनुकूल माहौल बनाने के लिये प्रतिबद्ध नजर आ रही है। मध्यप्रदेश पर्यटन, फार्मास्युटिकल्स, ऑटोमोबाइल, खनन डेयरी, सोलर, एमएसएमई और खाद्य प्र-संस्करण जैसे क्षेत्रों के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। मध्यप्रदेश एक्सपोर्ट प्रिपेअर्डनेस इंडेक्स में देश के शीर्ष दस राज्यों में और मध्यप्रदेश ईज़-ऑफ-डूइंग बिजनेस रैंकिंग में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक है। यहां व्यापार संचालन और निवेश के लिये माहौल को अत्यधिक अनुकूल बनाया गया है। इसके साथ ही सरकारी प्रक्रियाओं को अत्यंत सरल किया गया है। इससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिल रहा है। प्रदेश में किये गए मुख्य सुधारों में ऑनलाइन पंजीकरण, लाइसेंसिंग और अनुमति स्वीकृति जैसी व्यावसायिक प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण और इन्वेस्ट मध्यप्रदेश विंडो प्रमुख हैं। इन्वेस्ट पोर्टल को नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम के साथ एकीकृत किया गया है। इससे निवेशकों का एमपी में तेजी से विश्वास बढ़ रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की निवेशक-फ्रेंडली नीतियाँ राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उनके द्वारा शुरू हुई रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की पहल से एक साल के भीतर निवेशकों के लिए एक आकर्षक माहौल तैयार हुआ है। उन्होंने राज्य में औद्योगिक विकास के लिए एक मजबूत नीति तैयार की जिसमें स्थिरता और पारदर्शिता की गारंटी दी गई। इसने निवेशकों का दिल जीता और मोहन के प्रति विश्वास बढ़ाया जिसने राज्य में निवेश बढ़ाने के मार्ग खोले। निवेशकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू पारदर्शी प्रशासन रहता है। सीएम डॉ.मोहन यादव ने अपने एक साल के छोटे से कार्यकाल में यह सुनिश्चित किया कि राज्य में प्रशासनिक प्रक्रियाएं पारदर्शी हों जिससे निवेशकों को कानूनी और प्रशासनिक अड़चनों का सामना न करना पड़े। उन्होंने अपने सुशासन में कई व्यवस्थाओं का डिजिटलीकरण किया जिससे उनके प्रशासन में उद्योगपतियों का विश्वास तेजी बढ़ा और निवेशक एमपी में इनवेस्ट करने में रुचि लेने लगे। उनके द्वारा किए गए सुधारों से राज्य में विदेशी कंपनियों के लिए अनुकूल माहौल तैयार हुआ जिससे राज्य में विदेशी निवेश परवान चढ़ रहा है और कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने यहां अपनी उत्पादन इकाइयां स्थापित करने में रूचि दिखा रही हैं।

मध्यप्रदेश में निवेशकों के लिए 1.25 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र की औद्योगिक भूमि-बैंक है। इसमें से 19, 011 हेक्टेयर क्षेत्र उद्योगों के लिए विकसित किए जा चुके हैं। राज्य में 76 विकसित 19 विकासाधीन और 13 प्रस्तावित भूमि-बैंक हैं जो 5 ग्रोथ सेंटर्स में फैले 79 भूखंडों में वितरित हैं। टैक्सटाइल नीति के अंतर्गत संयंत्र और मशीनरी के लिए गए टर्मलोन पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान सुविधा 5 वर्षों के लिए अधिकतम, 50 करोड़ रूपये प्रदाय की जाएगी। अपेरल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना पर 25 प्रतिशत सहायता अधिकतम 50 लाख रूपये वित्तीय सहायता प्रदाय की जाएगी साथ ही 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाईयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टमाइज्ड पैकेज के लिए पात्र होंगी। इसी प्रकार नवकरणीय ऊर्जा उपकरण विनिर्माण नीति में विकास शुल्क में 50 प्रतिशत की रियायत दी जाएगी। गुणवत्ता प्रमाणन लागत का 50 प्रतिशत या 1 लाख रूपये जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति की जाएगी। 250 करोड़ से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाइयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाइज्ड पैकज के लिए पात्र होंगे जाएगी। परिधान, फुटवियर, खिलौने और सहायक उपकरण नीति में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार प्रति कर्मचारी 5 हजार रूपये प्रति माह 5 वर्षों तक नियोक्ता को दिया जाएगा। प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए 13 हजार रूपये प्रति नए कर्मचारी के लिए 5 वर्षों तक प्रदान किया जाएगा। इसी प्रकार टर्मलोन पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान, अधिकतम 50 करोड़ रूपये दिया जाएगा। विकास शुल्क में 25 प्रतिशत की रियायत देने के साथ स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क सहायता में 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। विद्युत टैरिफ रियायत के रूप में 1 रूपये प्रति यूनिट, अधिकतम 5 वर्षों के लिए प्रदान की जाएगी। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को इस समिट से लाभ मिलेगा। अभी प्रदेश में 12.50 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं। इनमें 66 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। जीआईएस में देश के बड़े उद्योगपतियों के साथ विदेशों के भी निवेशक शामिल होंगे। हाल ही में मुयमंत्री डॉ मोहन यादव ने जापान की यात्रा की। वहां के निवेशकों ने अपने मौजूदा उद्यमों का विस्तार करने की बात कही है। इसके पहले सीएम की ब्रिटेन और जर्मनी यात्रा के दौरान भी वहां की कंपनियों ने निवेश में रुचि दिखाई थी। यह तीनों देश जीआइएस में सहभागी रहेंगे। नवाचार-आधारित उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश स्टार्ट-अप नीति-2022 जारी की है। एमएसएमई इकाइयों के विस्तार और राज्य में स्व-रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना प्रारंभ की गई है। निवेश को आकर्षित करने के लिए, राज्य सरकार ने एमएसएमई विकास नीति और औद्योगिक प्रोत्साहन नीति प्रारंभ की है।

ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में भाग लेने वाले निवेशक न केवल राज्य में निवेश करने के इच्छुक हो रहे हैं बल्कि इस समिट के माध्यम से मध्यप्रदेश के पास औद्योगिक विकास के लिए कई नई परियोजनाओं की शुरुआत हो सकती है। प्रदेश में होने जा रहे निवेश के परिणामस्वरूप राज्य में औद्योगिक ढांचा मजबूत होगा और नई रोजगार संभावनाएं उत्पन्न होंगी। समिट के आयोजन के बाद नए निवेश से सड़क, परिवहन, ऊर्जा, जल आपूर्ति और संचार क्षेत्र में विकास होगा। इससे राज्य के अंदर और बाहर व्यापार की गति तेज होगी, और इससे राज्य की विकास दर में तेजी से वृद्धि होगी। निवेश के कारण नए उद्योगों के निर्माण से राज्य सरकार को टैक्स और अन्य राजस्व की प्राप्ति होगी। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के जरिए विभिन्न विदेशी कंपनियां मध्य प्रदेश में अपना उद्योग स्थापित करने के लिए आकर्षित होंगी। इससे राज्य में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, और राज्य का वैश्विक मानचित्र पर स्थान बनेगा। साथ ही यह समिट न सिर्फ उद्योग क्षेत्र में, बल्कि कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन क्षेत्रों में भी नए अवसरों का द्वार खोलेगा। इससे राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी निवेश के जरिए समूचे प्रदेश में नए उद्योगों की स्थापना से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसके अलावा राज्य सरकार रोजगार वृद्धि के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्रामों को भी बढ़ावा देगी, जिससे युवाओं को नए कौशल मिलेंगे। समिट में विशेष रूप से उन उद्योगों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जो पर्यावरण के अनुकूल हों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, जैविक खेती। इससे राज्य सतत विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण लाभ होगा। यह न केवल आर्थिक विकास में योगदान करेगा बल्कि पर्यावरणीय सुधारों के लिए भी एक मजबूत कदम होगा। एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव ने जापान से लौटते ही मध्य प्रदेश में सेमी कंडक्टर को लेकर नई पॉलिसी लाए। यह भारत में उभरता हुआ क्षेत्र है। इसमें निवेश की भी बड़ी संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।

मध्यप्रदेश सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के सफल आयोजन के लिए पहले ही कई नीतियाँ बनाई हैं जैसे निवेशकों के लिए प्रोत्साहन योजना, भूमि अधिग्रहण की सरल प्रक्रिय और विभिन्न कर लाभ। इसके अलावा, सरकार ने निवेशकों को एक स्थिर और पारदर्शी व्यापार वातावरण प्रदान करने का भी वादा किया है। इस बड़ी समिट से सरकार मध्यप्रदेश में निवेशकों को सुरक्षित, पारदर्शी और उद्योग-अनुकूल वातावरण देने के लिए प्रतिबद्ध है। जीआईएस से न केवल उद्योग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा बल्कि रोजगार और आर्थिक विकास के नए अवसर भी सृजित होंगे। इससे पहले सात रीजनल इंडस्ट्री समिट से भी हजारों करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव सरकार को मिल चुके हैं जिन पर तेजी से कार्य शुरू हो गया है। कुछ उद्योगों के लिए जमीन भी आवंटित कर दी गई है।

मोहन यादव ने 7 रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया कि देश के हृदयप्रदेश एमपी अब एक आकर्षक निवेश स्थल बन चुका है जो निवेशकों के लिए कई क्षेत्रों में नए अवसर प्रदान कर रहा है। यह ग्लोबल इन्वेस्टर समिट मध्यप्रदेश के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती है। जीआईएस 2025 न केवल एक बड़ा आयोजन है, बल्कि यह राज्य के भविष्य को नया आकार देने का एक प्रयास है। इस समिट के जरिए मध्यप्रदेश न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा। यह राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, रोजगार सृजन करने और समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। राज्य सरकार की बेहतर योजनाओं और इन्वेस्टर फ्रेंडली नीतियों के माध्यम से यह समिट एमपी को विकास के नए प्रगतिपथ पर ले जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस समिट में उद्योगपतियों और निवेशकों के साथ वन-टू-वन चर्चा करेंगे। उनकी प्राथमिकता है कि राज्य में निवेशकों को आवश्यक सहायता और संसाधन प्रदान किए जाएं। यह कदम न केवल राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा।

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