Sunday, April 20, 2025
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गजवा -ए- हिन्द बनाम सौगात-ए-मोदी

-राकेश अचल-

आज मै खुले दिल से भाजपा के दुस्साहस को सलाम करता हूँ। आप कहेंगे कि सलाम क्यों, प्रणाम क्यों नहीं? तो भाई केवल भाषा का फर्क है, भाव का नहीं। भाजपा एक तरफ हाल के अनेक चुनावों में देश के मुसलमानों को मंगलसूत्रों का लुटेरा कह चुकी है। उनके खिलाफ बंटोगे तो कटोगे का नारा लगा चुकी है। मुसलमानों के खिलाफ आधे हिंदुस्तान में भारतीय न्याय संहिता के बजाय बुलडोजर संहिता का खुले आम इस्तेमाल कर चुकी है, बावजूद इसके आने वाली ईद पर भाजपा मुसलमानों के बीच सौगात-ए-मोदी लेकर पहुँचने वाली है। ये सौगात मसलमानों के गजवा ए हिन्द कि मुकाबले में है। ईद पर 32 लाख गरीब मुसलमानों को सौगात-ए-मोदी किट में सेवइयां, खजूर, ड्राई फ्रूट्स, बेसन, घी-डालडा और महिलाओं के लिए सूट के कपड़े होंगे।

सब जानते हैं कि भाजपा और आरएसएस मुसलमान विहीन, कांग्रेस विहीन भारत चाहते हैं , लेकिन वे सारा कस-बल लगाकर भी इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए। इन दोनों संस्थाओं ने जिन्दा मुसलमानों के साथ ही मर चुके औरंगजेब की कब्र तक पर हमले कर लिए लेकिन बात बनी नही। संघ के इंद्रेश कुमार मुस्लिम राष्ट्रिय मंच बनाकर भी देश के मुसलमानों को भाजपा के पक्ष में नहीं कर पाए किन्तु भाजपा ने हार नहीं मानी। भाजपा मुसलमानों को संसद में कटुआ कहने के बाद भी सोचती है कि गरीब मुसलमान सेवइयां, खजूर, ड्राई फ्रूट्स, बेसन, घी-डालडा और महिलाओं के लिए सूट के कपड़े के लालच में आकर भाजपा का वोट बैंक बन जाएगा। उस भाजपा के साथ खड़ा हो जायेगा जो मुसलमानों को न संसद में जाने दे रही है और न विधानसभाओं में।

भाजपा के दुस्साहस से देश की दीगर सियासी पार्टियों क सीखना चाहिए। भाजपा ने आज 25 मार्च से मोदी की सौगत वाली किट बाँटने का आगाज कर दिया है। भाजपा का कहना है कि यह योजना न केवल सहायता प्रदान करेगी, बल्कि मुस्लिम समुदाय को ‘चंद दलालों और ठेकेदारों’ के प्रभाव से बाहर निकालने में भी मदद करेगी। इसकी शुरुआत नई दिल्ली के गालिब अकादमी से हो रही है . इसके तहत हर एक भाजपा कार्यकर्ता 100 लोगों से संपर्क करेगा. भाजपा का दावा है कि यह कदम सामाजिक समावेश और गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक बड़ा प्रयास है. इस पहल को बिहार सहित कई राज्यों में लागू किया जाएगा, जहां भाजपा की मजबूत उपस्थिति है।

सौगात ए मोदी अभियान भारतीय जनता पार्टी द्वारा शुरू किया गया एक अभियान है। इसका उद्देश्य है मुस्लिम समुदाय के बीच कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देना और भाजपा और एनडीए के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाना है। यह अभियान खास इसलिए भी है क्योंकि यह रमजान और ईद जैसे अवसरों पर केंद्रित है। भाजपा जहाँ एक और सम्भल और ज्ञानवापी जैसी मस्जिदों को खोदने पर आमादा हैवहीं दूसरी और भाजपा ने 3 हजार मस्जिदों के साथ सहयोग करने की योजना बनाई है। आप इसे केंद्र सरकार का समावेशी निर्णय भी कह सकते हैं और राजनीति का हिस्सा हिस्सा भी कह सकते हैं हैं।

दुनिया और भारत का मुसलमान जानता है कि भाजपा और भाजपा के प्रचारक से प्रधानमंत्री बने मोदी जी मुसलमानों की टोपी से चिढ़ते है। प्रधानमंत्री आवास पर होने वाली इफ्तार पार्टियों को वे बंद करा चुके हैं, लेकिन अचानक बिहार जीतने के लिए अब भाजपा और संघ दोनों ने अपना रंग बदल लिया है। बिहार में अचानक पटना में अलग-अलग राजनैतिक दलों द्वारा इफ्तार का आयोजन किया गया। भाजपा के सहयोगी चिराग पासवान द्वारा भी इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया, लेकिन कई मुस्लिम नेताओं ने इससे दूरी बना रखी। चिराग पासवान कहते घूम रहे हैं कि केंद्र सरकार मुसलमानों के लिए लगातार काम कर रही है लेकिन उस हिसाब से मुस्लिम समुदाय के लोगों का वोट एनडीए को नहीं मिल रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि मुसलमानों का इस्तेमाल केवल वोट बैंक की तरह किया गया है।

सौगात-ए-मोदी पर प्रतिक्रियाएं आने लगीं हैं। कोई इसे मुसलमानों के साथ छल बता रहा है तो कोई इसे चुनावी दांव बता रहा है. अखिलेश यादव समेत विपक्ष के कई नेता भाजपा की इस योजना पर बिफरे हुए हैं. तृमूकां सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने तो इस योजना को मुसलमानों के साथ मजाक बताया है। बीजेपी ने सौगात-ए-मोदी की शुरुआत दिल्ली से की है, मगर इसकी सबसे ज्यादा चर्चा बिहार में है। क्योंकि बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा ने ये दांव चला है। हालांकि, विपक्ष के नेता ये भी कहते हैं कि ऐसी सौगातों से भाजपा को बिहार में कोई फायदा नहीं मिलने वाला. जबकि भाजपा का कहना है कि गरीब अल्पसंख्यक भी खुशी से अपना पर्व मनाएं इस लिए ये योजना चलाई गई है।

आप भाजपा से और अपने आपसे सवाल कर सकते हैं कि भाजपा को अचानक गरीब मुसलमानों की चिंता क्यों सताने लगी? भाजपा मुसलमानों को आतंकित कर देख चुकी है लेकिन उसे लगता है कि बात अभी बनी नहीं है इसलिए अब मुसलमानों की गरीबी का लाभ उठाने के लिए उन्हें मोदी जी की और से सौगात बांटी जा रही है। ये सौगात मोदी जी के वेतन से नहीं जा रही। भाजपा के चंदे से जुटाए करोड़ों रुपयों से नहीं दी जा रही। ये सौगात सरकारी पैसे से दी जा रही है। उस सरकारी पैसे से जो देश के आम करदाताओं का पैसा है। यानि ये सौगात भी एक तरह का फ्रीबीज है। जिस देश में 80 करोड़ से ज्यादा लोग दो वक्त की रोटी के लिए सरकार के मोहताज हैं उस मुल्क में 32 लाख गरीब मुसलमानों को रिझाना कोई कठिन काम नहीं है।

भाजपा का ये कदम हालाँकि साफतौर पर सियासी है लेकिन मैं इसकी कामयाबी की कामना करता हूँ। कम से कम गरीब मुसलमानों को कुछ तो मिलेगा। किन्तु मुझे इस बात पर संदेह बह है कि मुल्क का गरीब मुसलमान ईद जैसे पाक त्यौहार पर कोई सियासी सौगात कबूल कर अपने ईमान, इकबाल का सौदा करेगा? इस देश के मुसलमानों के मन में भाजपा को लेकर जो संदेह हैं वे मोदी जी की छह सौ रुपल्ली की सौगात से दूर होने वाले नहीं हैं। फिर भी कोशिश तो एक आशा जैसी है ही। कांग्रेस समेत दूसरे तमाम दलों के पास मोदी की इस सौगात के जबाब में कोई और महंगी सौगात है क्या? भारत में मुस्लिम आबादी अभी 20 करोड़ है। जाहिर है की भाजपा ने मोदी जी की सौगात पूरे देश के मुसलमानों के लिए तैयार नहीं की है। ये सिर्फ ३२ लाख मुसलमानन के लिए है जो बिहार में रहते हैं।

(यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है)

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