-डॉ. मयंक चतुर्वेदी-
दुनिया भर में युद्ध और तनाव का माहौल है। रूस-यूक्रेन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा, चीन-ताइवान विवाद गहराता जा रहा और मध्य-पूर्व में संघर्ष लगातार जारी है। ऐसे समय में भारत ने अपनी रक्षा क्षमता को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
20 अगस्त 2025 को ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से भारत ने लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया। यह न केवल तकनीकी सफलता है, बल्कि भारत की बढ़ती सैन्य और सामरिक ताक़त का स्पष्ट संकेत भी है।
पांच हजार किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता
अग्नि-5 मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता इसकी लंबी दूरी की क्षमता है। यह मिसाइल 5000 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता रखती है और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
तीन चरण वाले ठोस ईंधन रॉकेट मोटर से उड़ान भरने वाली यह मिसाइल आधुनिक नेविगेशन सिस्टम से लैस है और इसमें मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। यानी यह एक साथ कई लक्ष्यों को साध सकती है।
डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी कामत का कहना है कि अग्नि-5 का यह परीक्षण भारत की सामरिक शक्ति को नए स्तर पर ले जाता है। यह न केवल हमारी वैज्ञानिक क्षमता का प्रतीक है, बल्कि आने वाले समय में भारत की सुरक्षा का मजबूत आधार भी बनेगा।
भारत का मिसाइल कार्यक्रम : एक लंबी यात्रा
उल्लेखनीय है कि भारत का मिसाइल कार्यक्रम कोई नया नहीं है। यह यात्रा 1980 के दशक में इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) से शुरू हुई थी।
इसके साथ ही पूर्व राष्ट्रपति एवं भारत के महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अगुवाई में अग्नि श्रृंखला की नींव रखी गई थी। जिसने अपना साकार रूप लेना शुरू किया 2002 से, जब अग्नि-1 के साथ शुरुआत हुई जिसकी रेंज 700–900 किलोमीटर थी।
इसके बाद अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 का विकास हुआ और हर नए संस्करण द्वारा भारत की क्षमता को एक कदम आगे बढ़ाया गया।
अब अग्नि-5 उस श्रृंखला का सबसे आधुनिक और दूर तक मार करने वाला हथियार है। यह भारत को उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा करता है जिनके पास इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) हैं।
शक्तिशाली देशों के बीच रणनीतिक महत्व
इस परीक्षण का महत्व केवल तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है। पाकिस्तान के पास शहीन-III जैसी मिसाइलें हैं जिनकी रेंज लगभग 2750 किलोमीटर है। चीन के पास DF-41 है जिसकी क्षमता 12000 किलोमीटर तक मानी जाती है।
अग्नि-5 भारत को इस सामरिक संतुलन में बराबरी की स्थिति देता है।
रक्षा विशेषज्ञ डॉ. राजेश शर्मा कहते हैं,
“यह मिसाइल किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि भारत की डिटरेंस पॉलिसी का हिस्सा है। निवारण नीति का मकसद यह है कि कोई भी संभावित दुश्मन हमला करने से पहले सौ बार सोचे।”
वे आगे कहते हैं कि अग्नि-5 का सफल परीक्षण आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी उपलब्धि है। यह हमारी वैज्ञानिक क्षमता का नतीजा है। इससे निश्चित ही भारतीय सेना को और मजबूती मिलेगी।
भारत की नो फर्स्ट यूज़ परमाणु नीति हमेशा से स्पष्ट रही है। यानी भारत परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा, लेकिन हमला होने पर जवाब अवश्य देगा।
इस नीति के साथ अग्नि-5 जैसी मिसाइल भारत की सुरक्षा को विश्वसनीयता प्रदान करती है। यह मिसाइल सुनिश्चित करती है कि भारत पर कोई भी देश हमला करने से पहले उसकी ताकत को समझे।
दुनिया में सिर्फ पांच देशों के पास थी यह क्षमता
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखें तो अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों के पास ही अब तक 5000 किलोमीटर से अधिक दूरी की मिसाइलें थीं।
भारत अब इस क्लब में शामिल होकर अपनी स्थिति और मजबूत कर चुका है। यह न केवल भारत को एशिया में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक भरोसेमंद और जिम्मेदार सामरिक शक्ति बनाता है।
अब भारत का ध्यान भविष्य की परियोजनाओं पर है। अग्नि-6 की संभावित रेंज 8000 से 10000 किलोमीटर बताई जा रही है। साथ ही भारत हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक पर भी काम कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रोजेक्ट सफल होते हैं तो भारत आने वाले दशक में दुनिया की शीर्ष तीन-चार मिसाइल शक्तियों में शामिल रहेगा।
जनता में गर्व और सोशल मीडिया पर उत्साह
अग्नि-5 का सफल परीक्षण आम जनता में भी गर्व का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया पर #Agni5 ट्रेंड करता दिखा। लोगों ने लिखा कि अब भारत को कोई भी आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं करेगा।
युवाओं ने इसे “नई आज़ादी की सुरक्षा गारंटी” बताया।
कुल मिलाकर यह परीक्षण केवल एक मिसाइल का उड़ान भरना नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास, वैज्ञानिक प्रगति और सामरिक ताकत की उड़ान है।
यह संदेश देती है कि भारत शांति चाहता है लेकिन अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क और तैयार है।
अग्नि-5 के सफल परीक्षण के साथ भारत ने दुनिया को यह जता दिया है कि वह न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी जगह बना चुका है।