Friday, March 14, 2025
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चाबहार पर ट्रंप के आदेश से भारत को नुकसान तो चीन को हो सकता है फायदा!

-भारत ने इसके विकास और संचालन के लिए ईरान के साथ किया है समझौता

तेहरान, (वेब वार्ता)। ईरान के चाबहार पोर्ट पर ट्रंप के कदम के बाद भारत के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। इस महीने 6 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो को चाबहार पर प्रतिबंधों में दी गई छूट को रद्द करने या संशोधित करने का निर्देश दिया था। चाबहार बंदरगाह मध्य एशिया तक पहुंच हासिल करने के भारत के अभियान के लिए अहम है। बीते साल भारत ने इसके विकास और संचालन के लिए ईरान के साथ 10 साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

अमेरिका के कदम ने एक तरफ जहां भारत के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है, वहीं प्रतिद्वंद्वी चीन के लिए यह मौके है। चीन ने इस इलाके में पाकिस्तान के ग्वादर में स्थित बंदरगाह में बड़ा निवेश किया है। इससे न सिर्फ चीन को व्यापार बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में पैर जमाने का रास्ता साफ हो सकता है, जहां भारत का लंबे समय से रणनीति प्रभाव रहा है, लेकिन चीन का ग्वादर प्रोजेक्ट एक तरह अभी तक असफल रहा है, जबकि भारत के बनाए चाबहार ने व्यापार शुरू कर दिया है। ट्रंप के आदेश का उद्येश्य ईरान पर अधिकतम दबाव बनाना है, लेकिन इससे भारत के प्रमुख रणनीतिक हितों पर भी असर पड़ेगा।

इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के बंदरगाह और समुद्री संगठन ने साल 2024 में चाबहार डील की थी। आईपीजीएल ने पहली बार 2018 में पोर्ट का संचालन संभाला और तब से 90 हजार से ज्यादा टियुस के कंटेनर ट्रैफिक और 84 लाख से ज्यादा के थोक और सामान्य कार्गो को संभाला है। भारत के लिए इस पोर्ट का महत्व आर्थिक से ज्यादा है। यह एक रणनीतिक संपत्ति है, जो ऐतिहासिक रूप से अस्थिर पड़ोसी क्षेत्र के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करता है। साथ ही दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और मध्य पूर्व में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करता है। ट्रंप के आदेश से भारत की रणनीतिक स्थिति के कमजोर होने का खतरा है। छूट खत्म करने के फैसले पर भारत ने प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन वास्तव में प्रतिबंधों को छूट रद्द करने से भारत अपने विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है। यह मध्य एशियाई क्षेत्र में भारत के प्रभाव को कम कर सकता है। छूट को रद्द करने का नकारात्मक असर क्वाड पर पड़ सकता है।

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