कोलकाता, 29 फरवरी (वेब वार्ता)। पश्चिम बंगाल में राशन घोटाले में ईडी की जांच में कई बड़े खुलासे हुए हैं। टीएमसी नेता शेख शाहजहां कैसे ईडी की रडार पर आया। इस बारे में भी हम आपको बताएंगे। ईडी को मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला था कि पश्चिम बंगाल में लगभग दो करोड़ राशन कार्ड फर्जी है। बायोमेट्रिक जांच से इसका खुलासा हुआ था। राशन घोटाले में पहली बार बकीबूर रहमान ईडी के निशाने पर आया। ईडी को पता चला था कि पीडीएस स्कीम का कुछ राशन प्राइवेट लोगों को मिला है। जब जांच की गई तो पता चला कि कि ये राशन बकीबूर रहमान की मिल से आया था। रहमान की दो बीवियां हैं,जिनमे से दूसरी बीवी का भाई मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक के पास अरदली लगाया गया था। उसके नाम से भी कई बोगस कम्पनी बनाई गई थी।
गरीबों का राशन मिल मालिकों तक पहुंचा
ईडी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक गरीब किसानों का अनाज और गरीब लोगों का राशन बिचौलियों के जरिए बड़ी मात्रा में मिल मालिकों तक पहुंचा। करोड़ों हजार रूपए की कमाई हुई और इसका एक बड़ा हिस्सा मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक तक पहुंचा। ईडी सूत्रों का कहना है कि बिना राज्य सरकार की मिलीभगत के ये संभव नहीं था।
बढ़ सकती है ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी की मुश्किलें
अब सवाल ये कि क्या ज्योतिप्रिया मल्लिक सिर्फ एक मोहरा हैं। क्या ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी को इस घोटाले की पूरी जानकारी थी? मंत्री ज्योतिप्रिया सीएम ममता को रिपोर्ट करते थे। वहीं ज्योतिप्रिया से जुड़े बाहुबली नेता शेख शाहजहां की अभिषेक बनर्जी से नजदीकियां किसी से छुपी नहीं है। यही कारण है कि ईडी की जांच का दायरा जैसे जैसे बढ़ रहा है। वैसे वैसे ममता और उनके भतीजे की दिक्कतें भी बढ़ने वाली हैं।
आखिर कैसे बनते है शेख शाहजहां जैसे लोग
ईडी सूत्रों का कहना है कि जो पैसा मिल मालिकों के जरिए मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक तक पहुंचता था,वो पैसा शेख शाहजहां और शंकर आद्या जैसे लोगों तक पहुंचाया जाता था। फिर वो इस पैसे को आगे इन्वेस्ट करते थे। शेख ने अपने इलाके में बड़ी मार्केट बनवाई। फिशिंग के लिए बड़े तालाब बनवाए और इस पैसे से और भी पैसा बनाया। ये पैसा वापस मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक और पश्चिम बंगाल सरकार में टॉप लेवल तक पहुंचा। शेख शाहजहां ने इसकी एवज में तृणमूल सरकार को सरबरिया और बांग्लादेश बॉर्डर से लगते बड़े इलाके का वोटबैंक भी दिया। शेख ने अपनी छवि इलाके में रॉबिनहुड की बनाई, क्योंकि इस इलाके में ज्यादातर आबादी गरीब मुसलमानों की है। वही शंकर आद्या फॉरेक्स कंपनियों के जरिए करोड़ों रुपया विदेश खासकर दुबई पहुंचाया। पैसा या तो सीधा दुबई पहुंचा या फिर बांग्लादेश के रास्ते।
ईडी के हाथ लगा ये बड़ा सुराग
ज्योतिप्रिया मल्लिक को जब ईडी ने गिरफ्तार किया तो कुछ समय बाद वो अस्पताल में भर्ती हो गए। ईडी ने उनके रूम में सीसीटीवी लगवा दिए, ताकि कोई भी उनसे मिलने आए तो उसका पता चल सके। ज्योति ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका लगाई। उन्होंने कहा कि इससे उनकी प्राइवेसी भंग होती है। ईडी ने कोर्ट को कहा कि वो सीआरपीएफ के जवान उनके रूम के बाहर तैनात करेगी। जिसे कोर्ट और ज्योति दोनों ने मान लिया।
जिस समय सीसीटीवी कैमरे हटाए जा रहे थे,सीआरपीएफ रूम के बाहर तैनात की जा रही थी, उस समय मौका देखकर ज्योति ने अपनी बेटी को एक चिट्ठी लिखी। जिसमें उन्होंने लिखा कि अगर पैसों की कोई भी जरूरत हो तो शेख शाहजहां या फिर शंकर आध्या को बता देना। ये चिट्ठी सीआरपीएफ ने पकड़ ली। और ईडी को दे दी। यहीं से शेख शाहजहां और शंकर आध्या ईडी के निशाने पर आए। ईडी ने जब इन दोनो की जांच शुरू की तो पता चला कि शेख शाहजहा और शंकर आध्या के पास बड़ा अमाउंट ज्योतिप्रिया को जाता है।
मनी लांड्रिंग में शामिल था शंकर आध्या
शंकर का FFMC बिजनेस है और वो 90 फॉरेक्स कंपनियों के जरिए मनी लांड्रिंग कर रहा था। जांच में पता चला कि अब तक लगभग बीस हजार करोड़ रुपया कई एफएफएमसी कंपनियों के बैंक अकाउंट में डिपॉजिट किया जा चुका है,लेकिन ट्रेवलर्स के पासपोर्ट और टिकट्स की प्रॉपर डॉक्यूमेंटेशन की गई। बीस हजार करोड़ रुपए में से नौ से दस हजार करोड़ रुपए सिर्फ और सिर्फ ज्योति प्रिया मल्लिक के फॉरेन करेंसी में कन्वर्ट किए गए। लगभग दो हजार करोड़ रुपए दुबई ट्रांसफर किए गए। जिसमें से काफी रुपया बांग्लादेश के जरिए भी गया।
जब ईडी ने फेमा के तहत आध्या फॉरेक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की जांच कि तो पता चला कि इस कंपनी में अब तक 2700 करोड़ रुपए कैश इस कंपनी के बैंक अकाउंट्स में डिपॉजिट किया गया है। इसके अलावा शंकर आध्या की और भी ऐसी कंपनी में कई सौ करोड़ रुपए कैश डिपॉजिट किया गया जिस पर डायरेक्टली या इनडायरेक्टली शंकर आद्या का कंट्रोल है। जिसमें हवाला की रकम भी कई सौ करोड़ो में थी,जिसे विदेशों में भेजा गया।