नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण आबादी अवसर और जिम्मेदारी दोनों का प्रतिनिधित्व करती है।
अफ्रीकी एशियाई ग्रामीण विकास (एएआरडीओ) सम्मेलन के 21वें आम सत्र के उद्घाटन अवसर पर उपराष्ट्रपति ने परेशानियों को कम करने के लिए भी प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया। धनखड़ ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र 3.6 अरब लोगों का पोषण करते हैं, जिनमें 89.4 करोड़ भारतीय ग्रामीण शामिल हैं, जो ‘‘हमारे अवसर और जिम्मेदारी दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं’’। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बुद्धि के लिए चुनौती विघटनकारी प्रौद्योगिकी के उद्भव के रूप में है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग… औद्योगिक क्रांति से कम नहीं है।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘वे कठिन चुनौतियां पेश करती हैं, लेकिन साथ ही अनेक अवसर भी लेकर आती हैं, बशर्ते हम उनका लाभ उठाना सीखें।’’ धनखड़ ने कहा कि इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग कृषि क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार के लिए किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यदि हम इन विध्वंसकारी प्रौद्योगिकियों को ग्रामीण भारत और कृषि क्षेत्र तथा संपूर्ण विश्व के अधिक से अधिक लाभ के लिए उपयोग में ला सकें, तो मानवता अधिक सुरक्षित स्थान होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने कुछ प्रमुख पहल की हैं और उनमें से एक पहल ‘डिजिटल इंडिया’ है।’’ उन्होंने परेशानियों को कम करने, भ्रष्टाचार को कम करने और जवाबदेही पैदा करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया। धनखड़ ने शासन में महिलाओं की भूमिका के महत्व के बारे में भी बात की और कहा कि भारत में गांव एवं नगरपालिका स्तर पर महिलाओं की भागीदारी संवैधानिक रूप से निर्धारित है।