नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। धनतेरस के शुभ अवसर पर भारतीयों ने खरीदारी का नया रिकॉर्ड कायम किया है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के शुरुआती अनुमान के अनुसार, देशभर में लोगों ने लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी की। इसमें सोना-चांदी पर अकेले 60,000 करोड़ रुपये का खर्च हुआ, जो पिछले साल से 25% अधिक है। धनतेरस को सुख-समृद्धि का प्रतीक मानते हुए लोगों ने सोना, चांदी, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक्स, देवी लक्ष्मी-गणेश मूर्तियां, मिट्टी के दीये और पूजा सामग्री पर जमकर खर्च किया।
CAIT के अनुसार, यह रिकॉर्ड खरीदारी GST में सुधार और PM नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान का नतीजा है, जिससे स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिला। SP के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “धनतेरस पर कुल कारोबार 1 लाख करोड़ को पार कर गया। सोना-चांदी की बिक्री 60,000 करोड़ रही, जबकि दिल्ली के सर्राफा बाजारों में 10,000 करोड़ की बिक्री हुई, जो पिछले साल से 25 गुना ज्यादा है।”
सोना-चांदी में रिकॉर्ड खरीदारी: कीमतों में 60% की बढ़ोतरी के बावजूद मांग मजबूत
सोने की कीमतें पिछले साल के ₹80,000 प्रति 10 ग्राम से बढ़कर इस साल ₹1,30,000 तक पहुंच गई हैं, जो 60% की वृद्धि दर्शाती है। चांदी की कीमत ₹98,000 प्रति किलोग्राम से बढ़कर ₹1,80,000 हो गई, जो 55% की बढ़ोतरी है। बावजूद इसके, मांग में कमी नहीं आई। CAIT के ज्वेलर्स चैप्टर के नेशनल प्रेसिडेंट पंकज अरोड़ा ने कहा, “ज्वेलरी मार्केट में अभूतपूर्व भीड़ देखी गई। लोग हल्के ज्वेलरी की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन निवेश के रूप में सोना-चांदी प्राथमिकता बनी हुई है।”
अन्य श्रेणियों में भी भारी खरीदारी: 1 लाख करोड़ का कुल कारोबार
सोना-चांदी के अलावा अन्य श्रेणियों में भी जमकर खरीदारी हुई। CAIT के आंकड़ों के अनुसार:
श्रेणी | अनुमानित बिक्री (₹ करोड़ में) | मुख्य आइटम्स |
---|---|---|
सोना-चांदी | 60,000 | गहने, सिक्के, बार |
किचनवेयर/उपकरण | 15,000 | तांबा, स्टील के बर्तन, किचन एप्लायंसेज |
इलेक्ट्रॉनिक्स | 10,000 | मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, टीवी |
डेकोरेटिव/पूजा सामग्री | 3,000 | लक्ष्मी-गणेश मूर्तियां, दीये, रंगोली |
सूखे मेवे/मिठाई/अन्य | 12,000 | मिठाइयां, फल, कपड़े, वाहन |
कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ का कारोबार हुआ, जो पारंपरिक बाजारों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर समान रूप से बंटा।
CAIT ने श्रेय GST सुधारों और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को दिया। खंडेलवाल ने कहा, “स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिला, जिससे छोटे व्यापारियों को फायदा हुआ।”
यह खरीदारी भारतीय अर्थव्यवस्था को त्योहारों के दौरान गति देती है और समृद्धि का प्रतीक बनी रहती है।
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