जगदलपुर (वेब वार्ता)। छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद के खिलाफ ऐतिहासिक सफलता हासिल हुई है। 17 अक्टूबर को 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का रास्ता त्यागकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। यह देश का सबसे बड़ा माओवादी आत्मसमर्पण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी सराहना करते हुए कहा, “बस्तर कभी माओवादी आतंक का गढ़ था, लेकिन आज लाखों युवा बस्तर ओलंपिक में खेल के मैदान में ताकत दिखा रहे हैं। इस बार माओवादीमुक्त बस्तर में दिवाली की रौनक कुछ और होगी।”
यह आत्मसमर्पण ‘पूना मारगेम-पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के तहत हुआ, जिसमें सीएम विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा ने कैडरों का स्वागत किया। आत्मसमर्पित कैडरों ने 153 अत्याधुनिक हथियार जमा किए हैं।
210 कैडरों का आत्मसमर्पण: 153 हथियार जमा, 52 लाख का काला बाजार खत्म
आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार DKSZC सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं। उन्होंने AK-47, SLR, INSAS राइफल, LMG जैसे 153 हथियार जमा किए।
यह आत्मसमर्पण नक्सल पुनर्वास नीति और नियदनेल्लानार योजना का फल है। CM साय ने कहा, “यह हिंसा का अंत और शांति का प्रारंभ है। बस्तर माओवादीमुक्त बनेगा।”
प्रमुख आत्मसमर्पित कैडर: सेंट्रल कमेटी से डिविजनल स्तर तक
- रूपेश उर्फ सतीश: सेंट्रल कमेटी सदस्य।
- भास्कर उर्फ राजमन मांडवी: DKSZC सदस्य।
- रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू: DKSZC सदस्य।
- रतन एलम: RCM।
- अन्य: 21 डिविजनल कमेटी सदस्य।
जगदलपुर पुलिस लाइन पर पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से स्वागत किया गया। संविधान की प्रति और लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया।
PM मोदी का संदेश: “बस्तर में खुशियों की दिवाली”
PM मोदी ने कहा, “बस्तर कभी माओवादी आतंक का गढ़ था, लेकिन आज बस्तर ओलंपिक में लाखों युवा खेल रहे हैं। यह शांति का संकेत है। इस बार माओवादीमुक्त बस्तर में दिवाली की रौनक कुछ और होगी।”
नक्सल पुनर्वास नीति: सफलता का श्रेय
‘पूना मारगेम-पुनर्वास से पुनर्जीवन’ योजना ने कैडरों को पुनर्वास, शिक्षा और रोजगार का अवसर दिया। CM साय ने कहा, “यह हिंसा का अंत और शांति का प्रारंभ है। बस्तर माओवादीमुक्त बनेगा।”