नासिक, (वेब वार्ता)। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी एयरबेस को ब्रह्मोस मिसाइल से सफलतापूर्वक तबाह करने के बाद भारतीय वायुसेना अपनी स्ट्राइक क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। अब ज्यादा से ज्यादा सुखोई-30 MKI फाइटर जेट्स को ब्रह्मोस मिसाइल से लैस करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने नासिक स्थित अपनी फैसिलिटी में इस इंटीग्रेशन का कार्य शुरू कर दिया है। शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में HAL ने अपग्रेडेड सुखोई विमान की टेस्ट फ्लाइट की।
राजनाथ सिंह ने HAL कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि नासिक की टीम ने सुखोई-30 पर ब्रह्मोस मिसाइल लगाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। यह वही ब्रह्मोस है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया था।” उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को “ट्रेलर” बताते हुए पाकिस्तान को चेतावनी दी कि “पाकिस्तान का हर इंच ब्रह्मोस की पहुंच में है।”
Inaugurated the 3rd Production Line of LCA Mk1A & 2nd Production Line of HTT-40 at HAL Nashik today and Flagged off the first LCA Mk1A produced at the facility⁰⁰LCA Mk1A is a shining symbol of India’s growing Aatmanirbharta in defence. https://t.co/Uoa8rNrNr5 pic.twitter.com/i1Rszk6z9J
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 17, 2025
ऑपरेशन सिंदूर: ब्रह्मोस ने दिखाई ताकत
ऑपरेशन सिंदूर मई 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा 26 लोगों की हत्या के जवाब में शुरू किया गया था। 9-10 मई की रात, भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30 MKI जेट्स से लगभग 15 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें दागीं, जिन्होंने पाकिस्तान के 11 प्रमुख एयरबेस (जैसे नूर खान, रफीकी, मुरिड, सुक्कुर, सियालकोट, सरगोधा, स्कार्दू, भोलारी और जैकोबाबाद) को नष्ट कर दिया।
इस ऑपरेशन में ब्रह्मोस ने पाकिस्तानी रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर सटीक हमले किए। मिसाइल की रेंज 300-600 किमी, स्पीड माच 3 और 200-300 किग्रा वारहेड ने रनवे, बंकर और हैंगर को तबाह कर दिया। यह पहली बार था जब ब्रह्मोस को सक्रिय संघर्ष में इस्तेमाल किया गया।
सुखोई पर ब्रह्मोस इंटीग्रेशन: HAL की भूमिका
HAL नासिक ने सुखोई-30 MKI विमानों को ब्रह्मोस के साथ इंटीग्रेट करने का कार्य तेज कर दिया है। प्रत्येक जेट एक ब्रह्मोस मिसाइल ले जा सकता है और मिड-एयर रिफ्यूलिंग से 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है। एबीपी न्यूज की टीम ने नासिक फैसिलिटी का दौरा किया, जहां यह कार्य चल रहा है। वायुसेना दिवस (8 अक्टूबर) पर एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने ब्रह्मोस से लैस सुखोई की टाइगर शार्क स्क्वाड्रन को प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया।
यह कदम भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को मजबूत करता है। ब्रह्मोस, भारत-रूस का संयुक्त उद्यम, अब पूरी तरह स्वदेशी हो चुका है। हाल ही में लखनऊ में पहला बैच रिलीज किया गया। रक्षा मंत्री ने कहा, “यह सफलता भारत की स्ट्राइक क्षमता को अभूतपूर्व ऊंचाई देगी।”