ग्वालियर, मुकेश शर्मा (वेब वार्ता)। मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल (MPHIDB) के आयुक्त डॉ. राहुल हरिदास फटिंग का ग्वालियर दौरा गोपनीय था, लेकिन यह सार्वजनिक हो गया। सूत्र बताते हैं कि दौरा तो बहाना था, असल मकसद दर्पण कॉलोनी के एक भूखंड की बिक्री में रिश्वत वसूली था। लगभग ₹65 करोड़ कीमत वाले इस भूखंड की बिक्री में नियमों को ताक पर रख दिया गया। आयुक्त ने अपर आयुक्त-1 शैलेंद्र वर्मा के माध्यम से LD Hotel Shelter LLP से ₹25 लाख की मांग की? इसी तरह अटल कुंज टावर के टेंडर में ₹86 लाख कमीशन की अफवाह है। आयुक्त से जवाब मांगा गया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। यह मामला ग्वालियर के चौक-चौराहों पर चर्चा का विषय बना हुआ है, और सवाल उठ रहे हैं कि जब अनियमितताएं इतनी गंभीर हैं, तो जांच क्यों नहीं?
यह घटना मध्य प्रदेश में सरकारी टेंडरों में भ्रष्टाचार की समस्या को उजागर करती है, जहां नियमों की अनदेखी से करोड़ों का खेल हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को धोखे में रखकर यह सब किया जा रहा है।
दर्पण कॉलोनी भूखंड बिक्री में गड़बड़ी: सिंगल टेंडर पास, धरोहर राशि रिफंड में आनाकानी
दर्पण कॉलोनी में कॉमर्शियल भूखंड नंबर-01 (थाटीपुर) की बिक्री e-tender cum auction no. 2025-MPHID-436397 के माध्यम से हुई। निर्धारित ऑफसेट मूल्य ₹63.35 करोड़ के खिलाफ LD Hotel Shelter LLP, Gwalior ने ₹64.79 करोड़ की बिड लगाई। सूत्र बताते हैं कि अनुमोदन के लिए आयुक्त राहुल हरिदास ने अपर आयुक्त शैलेंद्र वर्मा के माध्यम से ₹25 लाख रिश्वत मांगी।
पहली निविदा में 3 टेंडर आए, लेकिन होटल मालिक से सांठगांठ कर निरस्त कर दी गई। दूसरी में सिंगल टेंडर पास हो गया। नियमों की अनदेखी से सवाल उठे—सिंगल टेंडर कैसे पास? पहली निविदा में दो लोगों की ₹12.70 करोड़ धरोहर राशि जमा है, लेकिन रिफंड में आनाकानी हो रही है। बताया जा रहा है कि राशि वापसी के बदले रिश्वत मांगी जा रही है। मामला कोर्ट में पहुंच चुका है।
स्वीकृति का अधिकार आयुक्त या मंत्री के पास नहीं है—केवल संचालक मंडल के पास। फिर भी मंत्री विजयवर्गीय को धोखे में रखकर यह किया गया।
अटल कुंज टावर टेंडर में कमीशन का खेल: ₹86 लाख की अफवाह
दीनदयाल नगर के अटल कुंज टावर के MP e-tender no. 2025_MPHIDB_424223_1 में ठेकेदार Giriraj Construction, Gwalior ने SOR से 12.72% कम दर ₹43.18 करोड़ की बिड लगाई। सूत्र बताते हैं कि अनुमोदन के लिए आयुक्त राहुल हरिदास और अपर आयुक्त शैलेंद्र वर्मा ने 2% कमीशन (₹86 लाख) की मांग की। यह मामला भी ग्वालियर में जनचर्चा का विषय है।
आयुक्त का गोपनीय दौरा सार्वजनिक: बौखलाहट में अधीनस्थों को फटकार
आयुक्त 19 सितंबर को ग्वालियर आए, लेकिन गोपनीयता बरतने के बावजूद खबर लीक हो गई। बौखलाए आयुक्त ने अधीनस्थों को फटकार लगाई कि दौरा कैसे सार्वजनिक हुआ? सूत्र बताते हैं कि दौरा रिश्वत वसूली के लिए था।
पत्रकार की कोशिश: आयुक्त से जवाब नहीं मिला
खबर पर आयुक्त राहुल हरिदास फटिंग से पक्ष जानने के लिए दो बार फोन लगाया गया, लेकिन रिसीव नहीं हुआ। व्हाट्सएप मैसेज भी किया, लेकिन कोई जवाब नहीं। IAS अधिकारी की यह गैरजिम्मेदारी कई सवाल खड़े करती है।
मंत्री विजयवर्गीय को धोखा? जांच की मांग
आयुक्त और अपर आयुक्त पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को धोखे में रखने का आरोप है। ₹65 करोड़ के भूखंड की स्वीकृति केवल संचालक मंडल दे सकता है, लेकिन नियम ताक पर रखे गए। ग्वालियर में यह मुद्दा गरमाया हुआ है, और जांच की मांग उठ रही है।
यह मामला मध्य प्रदेश में सरकारी टेंडरों में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। यदि आपके पास इस घोटाले से जुड़ी जानकारी है, तो कमेंट्स में बताएं। अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट पर बने रहें।




