काठमांडू, (वेब वार्ता)। नेपाल की नव नियुक्त अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने रविवार को पदभार ग्रहण कर लिया। यह नियुक्ति GenZ (जनरेशन Z) आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद आई है, जिसमें 51 लोगों की मौत हो गई थी। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार को कार्की को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था, जो नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं। पदभार ग्रहण से पहले कार्की ने लांचोर पुघेर स्थित शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री कार्यालय क्षतिग्रस्त होने के कारण यह कार्यक्रम गृह मंत्रालय भवन में आयोजित किया गया। अंतरिम सरकार के गठन से देश में शांति बहाली की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
GenZ आंदोलन के बाद कार्की की नियुक्ति: हिंसा का खौफनाक चेहरा
गत सोमवार से शुरू हुए GenZ आंदोलन ने पूरे नेपाल को सुलगा दिया था। युवाओं द्वारा भ्रष्टाचार, नेपोटिज्म और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शन हिंसक हो गए। पुलिस कार्रवाई और उपद्रव में 51 लोगों की मौत हो गई, सैकड़ों घायल हुए, और कई सरकारी इमारतें आग की चपेट में आ गईं। प्रधानमंत्री कार्यालय एवं मंत्रिपरिषद भवन भी क्षतिग्रस्त हो गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को त्यागपत्र देना पड़ा, और नेपाली सेना ने अस्थायी रूप से व्यवस्था संभाली।
इस संकट के बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम युवा कार्यकर्ताओं ने प्रस्तावित किया। उनकी भ्रष्टाचार विरोधी छवि और राजनीतिक तटस्थता ने उन्हें समर्थन दिलाया। राष्ट्रपति पौडेल ने शुक्रवार रात को उन्हें शपथ दिलाई, और संसद भंग कर दी गई। कार्की को छह महीने में नए चुनाव कराने का दायित्व सौंपा गया है। मार्च 2026 तक चुनाव होने हैं।
पदभार ग्रहण के तुरंत बाद राहत पैकेज: मृतकों के परिजनों को 10 लाख
कार्की ने पदभार संभालते ही GenZ आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख नेपाली रुपये की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया। मुख्य सचिव एकनारायण आर्याल ने बताया कि घायलों के लिए निःशुल्क उपचार की व्यवस्था भी की गई है। प्रतिबंध और कर्फ्यू हटने के बाद काठमांडू घाटी में सामान्य जीवन बहाल हो रहा है। यातायात पुलिस के अनुसार, वाहनों की आवाजाही बढ़ गई है, और लोग रोजमर्रा के काम कर रहे हैं।
कार्की ने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य देश में शांति स्थापित करना और चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाना है। उन्होंने युवाओं की मांगों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम सरकार को समावेशी बनाने का वादा किया।
राजनीतिक दलों का विरोध: संसद भंग को असंवैधानिक बताया
काठमांडू पोस्ट के अनुसार, नेपाल की आठ प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने प्रतिनिधि सभा भंग करने को असंवैधानिक करार देते हुए कड़ा विरोध किया। नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल, माओवादी केंद्र, जनता समाजवादी पार्टी, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी, नेपाल मजदूर किसान पार्टी और जनमत पार्टी ने संयुक्त वक्तव्य जारी कर निर्णय वापस लेने की मांग की। उनका कहना है कि यह संसदीय परंपराओं और संविधान की सर्वोच्चता पर प्रहार है, तथा जनादेश का अवमूल्यन करता है।
ये दल अंतरिम सरकार के गठन का समर्थन करते हैं, लेकिन संसद भंग को चुनौती देंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद चुनावी परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन: अमेरिका, चीन और भारत की बधाई
अमेरिका ने कार्की की नियुक्ति का स्वागत किया। अमेरिकी दूतावास ने शांतिपूर्ण परिवर्तन और नेपाली सेना की भूमिका की सराहना की। चीन ने भी बधाई दी। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही शुभकामना संदेश भेजा है। संयुक्त राष्ट्र ने भी कार्की की नियुक्ति का स्वागत किया, और UNICEF ने महिलाओं के लिए प्रेरणा बताया।
कार्की (73 वर्ष) नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। उनकी नियुक्ति भ्रष्टाचार विरोधी छवि के कारण युवाओं को आकर्षित करती है। अंतरिम सरकार में अन्य मंत्रियों की नियुक्ति जल्द होने की उम्मीद है।
नेपाल में यह राजनीतिक उथल-पुथल एक नई शुरुआत का संकेत दे रही है। GenZ आंदोलन ने युवाओं की ताकत दिखाई, लेकिन हिंसा का दंश गहरा है। कार्की की सरकार को चुनौतियां बहुत हैं।