कोच्चि (वेब वार्ता)। कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधते हुए उसके मलयालम प्रकाशन ‘केसरी’ में प्रकाशित एक लेख को लेकर ईसाई-विरोधी रुख अपनाने का गंभीर आरोप लगाया है। एआईसीसी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि इस लेख का गुप्त उद्देश्य समाज में नफरत फैलाना और धर्मांतरण के नाम पर ईसाई समुदाय को देश का दुश्मन बताना है। उन्होंने भाजपा से सवाल किया कि क्या वह आरएसएस के इस अल्पसंख्यक-विरोधी रुख को खारिज करने को तैयार है। यह आरोप छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी और रिहाई की घटना के बाद आया है, जो लेख में उल्लेखित है।
केसरी लेख का विवाद: वैश्विक धर्मांतरण पर निशाना
आरएसएस से जुड़े दक्षिणपंथी संगठन हिंदू ऐक्यवेदी के राज्य उपाध्यक्ष ई.एस. बीजू द्वारा लिखे गए लेख का शीर्षक है ‘आगोला मथापरिवर्तनाथिन्ते नलवाझिकाल’ (वैश्विक धर्मांतरण का घटनाक्रम)। लेख में पिछले कुछ वर्षों में देश में कथित धर्मांतरणों को लेकर ईसाई समुदाय पर सीधा हमला बोला गया है। लेखक ने छत्तीसगढ़ में केरल की दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य के राजनीतिक और धार्मिक नेतृत्व ने धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोपों के माध्यम से धार्मिक संघर्ष को बढ़ावा दिया।
लेख में दावा किया गया है कि यह घटना भारतीय संविधान के सार पर सवाल उठाती है, जहां अल्पसंख्यक धर्मों के लिए एक न्याय है और बहुसंख्यकों के लिए दूसरा। लेखक ने कहा, “देश के नियम सभी के लिए समान हैं। अगर धर्मांतरण धार्मिक ताकतों का अधिकार है, तो इसका विरोध करना हिंदुओं का अधिकार और कर्तव्य है।” आगे लेख में संविधान में संशोधन की मांग की गई है और कहा गया कि “देश की पूरी आबादी की सुरक्षा के लिए धर्मांतरण पर कानून द्वारा प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।” यह लेख केरल में राजनीतिक बवाल मचा रहा है, जहां कांग्रेस, सीपीएम और अन्य पार्टियां इसे अल्पसंख्यक-विरोधी एजेंडा बता रही हैं।
वेणुगोपाल का तीखा प्रहार: ‘नीली लोमड़ी’ की तरह झूठा प्रेम
वेणुगोपाल ने आरएसएस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि संघ परिवार का ईसाइयों के प्रति कथित प्रेम दंतकथाओं के ‘नीली लोमड़ी’ की तरह झूठा है – जो चाहे जितना चित्रित किया जाए, उसकी असलियत छिप नहीं सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस अपनी आखिरी सांस तक अल्पसंख्यक-विरोधी रुख अपनाएगा। वेणुगोपाल ने छत्तीसगढ़ घटना का हवाला देते हुए कहा, “इस लेख के जरिए उन लोगों के असली चेहरे उजागर हो गए हैं जो ननों के साथ तस्वीरें खिंचवाने गए थे, जिनमें राज्य भाजपा अध्यक्ष भी शामिल हैं।” उन्होंने केरल के लोगों से आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों की अंध-विरोधी भावनाओं के प्रति सतर्क रहने की अपील की।
यह बयान लेख के प्रकाशन के दो दिन बाद आया है, जो केरल में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए लड़ती रहेगी।
केरल में राजनीतिक हलचल: अल्पसंख्यक सुरक्षा पर बहस
केरल में ईसाई समुदाय एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है, और यह लेख कांग्रेस के लिए आरएसएस-भाजपा पर हमला करने का मौका देता है। विपक्षी नेता वी.डी. सतीशन और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी लेख की निंदा की है, इसे हिंदू-मुस्लिम-ईसाई विभाजन की साजिश बताया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज कर सकता है। आरएसएस ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन संगठन के प्रवक्ता ने कहा कि लेख व्यक्तिगत राय है।
कांग्रेस का यह हमला आरएसएस की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता के खिलाफ एक रणनीतिक कदम लगता है। क्या भाजपा इस आरोपों का जवाब देगी? राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है।