लखनऊ, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) ने यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए एक बड़ी कार्रवाई की है। हरदोई डिपो से कानपुर जा रही बस (UP 78 LN 7576) के चालक वीरेश को नशे की हालत में बस चलाने और यात्रियों से अभद्र व्यवहार करने के गंभीर आरोप में तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। इसके साथ ही उनकी जमा प्रतिभूति राशि भी जब्त कर ली गई है। इस मामले में लापरवाही बरतने के लिए समयपाल विनोद कुमार पांडेय (वरिष्ठ लिपिक) को भी निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह के सख्त निर्देशों के अनुरूप की गई है।
नशे में धुत चालक ने मचाया हंगामा: यात्रियों की जान खतरे में!
घटना 13 सितंबर 2025 की है, जब हरदोई डिपो से कानपुर जा रही बस में चालक वीरेश शराब के नशे में वाहन चला रहा था। यात्रियों ने चालक की संदिग्ध हरकतें देखीं और शिकायत की, लेकिन वीरेश ने न केवल अभद्रता दिखाई, बल्कि यात्रियों को धमकाने की हिमाकत भी की। सूचना मिलते ही परिवहन निगम ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। चालक का मेडिकल टेस्ट कराया गया, जिसमें शराब के सेवन की पुष्टि हुई। “ऐसा व्यवहार यात्रियों की जान को खतरे में डालता है, जो बिल्कुल अस्वीकार्य है,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा। इस घटना ने बस यात्रियों में दहशत पैदा कर दी, और कई घंटों तक यात्री परेशान रहे।
सख्त कार्रवाई: चालक बर्खास्त, समयपाल निलंबित
जांच में चालक वीरेश को नशे में बस चलाने और यात्रियों से दुर्व्यवहार का दोषी पाया गया। परिणामस्वरूप, उनकी संविदा तत्काल समाप्त कर दी गई, और उनकी प्रतिभूति राशि भी जब्त कर ली गई। इसके अलावा, ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने वाले समयपाल विनोद कुमार पांडेय को निलंबित कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने चालक की स्थिति की जांच नहीं की। “यह कार्रवाई यात्रियों की सुरक्षा और निगम की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए की गई है,” परिवहन निगम के एक प्रवक्ता ने बताया।
प्रबंध निदेशक का कड़ा रुख: “सुरक्षा से कोई समझौता नहीं!”
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने इस घटना पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह के स्पष्ट निर्देश हैं कि यात्रियों की जान-माल की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। सड़क सुरक्षा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।” उन्होंने चेतावनी दी, “इस तरह की लापरवाही निगम की छवि को खराब करती है और इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई गईं, तो और सख्त कार्रवाई होगी।”
सरवर ने बताया कि निगम अब चालकों की नियमित जांच और प्रशिक्षण को और सख्त करेगा। “नशे में वाहन चलाना एक संगीन अपराध है, और हम इसे जड़ से खत्म करेंगे,” उन्होंने जोर देकर कहा। निगम ने सीसीटीवी इंस्टॉलेशन और रैंडम अल्कोहल टेस्टिंग को अनिवार्य करने की योजना बनाई है, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
यूपी परिवहन निगम की जीरो टॉलरेंस नीति
यह कार्रवाई UPSRTC की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है। पहले भी निगम ने लापरवाह चालकों के खिलाफ कदम उठाए हैं, लेकिन इस बार नशे और अभद्रता का मिश्रण इसे और गंभीर बनाता है। एक यात्री ने बताया, “चालक बस को लापरवाही से चला रहा था, जिससे हादसा हो सकता था।” निगम ने अब ड्यूटी से पहले अल्कोहल टेस्ट को अनिवार्य कर दिया है। “हमारी प्राथमिकता यात्रियों की सुरक्षा है, और इसके लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे,” एक अधिकारी ने कहा।
सड़क सुरक्षा पर जोर: सरकार का मिशन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सड़क सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाया है। इस घटना के बाद परिवहन विभाग ने सभी डिपो में अलर्ट जारी किया है। “हर बस डिपो में विशेष जांच टीमें तैनात की जाएंगी,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की। यह कदम न केवल यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ाएगा, बल्कि चालकों और कर्मचारियों में अनुशासन भी लाएगा।
सामाजिक प्रभाव: सड़क सुरक्षा क्यों जरूरी?
यह घटना सड़क परिवहन में सुरक्षा मानकों की कमी को उजागर करती है। उत्तर प्रदेश में लाखों लोग रोजाना बसों पर यात्रा करते हैं, और ऐसी लापरवाही घातक हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नशे में वाहन चलाना देशभर में सड़क हादसों का प्रमुख कारण है। “यात्रियों की शिकायतों के लिए त्वरित सिस्टम बनाना होगा,” एक परिवहन विशेषज्ञ ने सुझाव दिया। यह कार्रवाई अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बनेगी।
निष्कर्ष: यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि!
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की यह त्वरित और सख्त कार्रवाई सराहनीय है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सड़क सुरक्षा के विजन को साकार करती है। चालक वीरेश की बर्खास्तगी और समयपाल के निलंबन से निगम ने एक मजबूत संदेश दिया है। क्या यह कदम सड़क हादसों को रोकेगा? आपकी राय क्या है? कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें!