हरदोई, लक्ष्मीकान्त पाठक (वेब वार्ता)। शाहाबाद कोतवाली क्षेत्र के सरसी गांव में मंगलवार को कूड़े के ढेर में लगी आग की लपटों ने पास में स्थापित महात्मा बुद्ध की प्रतिमा को हल्का नुकसान पहुंचाया। इस घटना से गांव में अफरा-तफरी मच गई और ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्थिति को नियंत्रित किया और प्रतिमा का रंग-रोगन करवाकर माहौल को शांत किया।
घटना का विवरण
मंगलवार को सरसी गांव में अचानक कूड़े के ढेर में आग लग गई, जिसकी लपटें पास में स्थापित महात्मा बुद्ध की प्रतिमा तक पहुंच गईं। आग से प्रतिमा को हल्का नुकसान हुआ, जिसके बाद ग्रामीणों में तनाव और आक्रोश फैल गया। सूचना मिलते ही सीओ शाहाबाद/सहायक पुलिस अधीक्षक आलोक राज नारायण और कोतवाल आनंद नारायण त्रिपाठी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
स्थिति नियंत्रण: अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाकर तनाव कम करने का प्रयास किया और आश्वासन दिया कि प्रतिमा को सम्मानपूर्वक दुरुस्त कराया जाएगा।
रंग-रोगन: मौके पर ही रंग-रोगन का सामान मंगवाया गया और महात्मा बुद्ध और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमाओं की पेंटिंग कराई गई।
शांति बहाली: प्रतिमाओं के दुरुस्त होने के बाद ग्रामीण शांत हुए और गांव का माहौल सामान्य हो गया।
सीओ आलोक राज नारायण ने बताया:
“प्रतिमा पूरी तरह सुरक्षित है, केवल आग की लपटों से हल्का नुकसान हुआ था। त्वरित कार्रवाई के तहत रंग-रोगन करवाया गया। गांव में शांति बनी हुई है और कोई विवाद नहीं है।”
#HardoiPolice
कतिपय सोशल मीडिया पर प्रसारित खबर थाना शाहाबाद क्षेत्रांतर्गत मूर्तियों के पास अज्ञात कारणों से आग लगने के संबंध में सहायक पुलिस अधीक्षक शाहाबाद द्वारा दी गई बाइट।#UPPolice pic.twitter.com/tn6S8ZlXeP— Hardoi Police (@hardoipolice) September 9, 2025
पृष्ठभूमि और संवेदनशीलता
यह घटना संवेदनशील इसलिए थी, क्योंकि लगभग आठ माह पहले पास के बेगमपुर गांव में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा को लेकर विवाद हो गया था। उस समय पुलिस को रातों-रात प्रतिमा को कोतवाली ले जाना पड़ा था, जिसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस पर नाकामी का आरोप लगाया था। इस बार पुलिस ने त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई कर स्थिति को बिगड़ने से रोका।
निष्कर्ष
हरदोई के सरसी गांव में आग से महात्मा बुद्ध की प्रतिमा को हुए मामूली नुकसान के बाद पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया। रंग-रोगन और ग्रामीणों को आश्वासन देकर माहौल को शांत किया गया। यह घटना सामुदायिक संवेदनशीलता और प्रशासन की तत्परता को दर्शाती है।