हरदोई, लक्ष्मीकान्त पाठक (वेब वार्ता)। गर्रा नदी के उफान ने उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के ग्रामीण इलाकों में भयावह स्थिति पैदा कर दी है। नदी का जलस्तर बढ़ने से परेली, गुजीदेई, सिगुलापुर, कहारकोला, पहाड़पुर, अतर्जी, वेगराजपुर, बैजूपुर, किलकिली, बारी, गनुआपुर और वासितनगर जैसे तटवर्ती गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। कई गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं, और खेतों में खड़ी धान व अन्य खरीफ फसलें डूबने से किसानों पर गहरा संकट मंडरा रहा है।
🌊 हरदोई में गर्रा नदी की बाढ़ से हाहाकार! कहारकोला गांव टापू बना, शाहाबाद–पाली मार्ग की पुलिया धंसी। फसलें डूबीं, एक व्यक्ति की मौत। प्रशासन अलर्ट। #HardoiFlood #GarraRiver #UPFloods #FloodRelief #WebvartaNews #Hardoi #FloodAlert #UPNews pic.twitter.com/KzsxGOjNwj
— Webvarta News Agency (@webvarta) September 6, 2025
शाहाबाद–पाली मार्ग पर पुलिया धंसी
लोक निर्माण विभाग (PWD) के जूनियर इंजीनियर संतोष कुमार रावत ने बताया कि शाहाबाद–पाली मार्ग पर किलोमीटर 13 के पास बरगदिया पहाड़पुर गांव के सामने बनी पुलिया धंस गई है। इसे बचाने के लिए मिट्टी डालकर मरम्मत का प्रयास किया जा रहा है, और बड़े वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि किसी भी कीमत पर पुलिया को बचाया जाएगा, और अगर यह बह गई तो वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी ताकि यातायात पूरी तरह बंद न हो।
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले साल आगमपुर के पास एक अन्य पुलिया बह गई थी, जिसे अभी तक नहीं बनाया गया। अब दूसरी पुलिया के धंसने से यातायात और दैनिक जीवन पर भारी असर पड़ रहा है।
कहारकोला गांव टापू में तब्दील, आवागमन ठप
कहारकोला गांव बाढ़ के पानी से पूरी तरह घिर चुका है और टापू बन गया है। ग्रामीणों का बाहर आना-जाना लगभग असंभव हो गया है। बुजुर्गों और बीमार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। नावें ही एकमात्र आवागमन का साधन बनी हैं, लेकिन ग्रामीणों ने शिकायत की है कि प्रशासन ने केवल एक नाव की व्यवस्था की है, जो पर्याप्त नहीं है।
फसलों का नुकसान, किसानों पर संकट
बाढ़ के कारण खेतों में खड़ी धान और अन्य खरीफ फसलें पानी में डूब गई हैं। किसानों का कहना है कि उनकी सालभर की मेहनत बर्बाद हो गई है। पशुओं के लिए चारा और सुरक्षित ठिकाने की कमी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। कुछ किसानों ने बताया कि खेतों में पानी भरने से गन्ने और मक्के की फसलें भी प्रभावित हुई हैं, जिससे उनकी आजीविका पर गहरा संकट मंडरा रहा है।
चारा काटने गए व्यक्ति की दुखद मौत
शाहाबाद कोतवाली क्षेत्र के कालागाढ़ा गांव में सुनील कुमार (42) की बाढ़ के पानी में डूबने से मौत हो गई। वह खेत में चारा काटने गए थे, लेकिन तेज बहाव में बह गए। ग्रामीणों ने उन्हें निकालने की कोशिश की, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटना से परिवार और गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।
प्रशासन और पुलिस अलर्ट, राहत कार्य शुरू
हरदोई प्रशासन और पाली थाना पुलिस बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय है। पुलिस गांवों में गश्त कर रही है, और आपदा प्रबंधन टीमों को तैनात किया गया है। जिलाधिकारी ने प्रभावित गांवों का दौरा करने, राहत शिविर स्थापित करने और नावों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि राहत सामग्री अभी तक पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंची है।
ग्रामीणों में दहशत, बारिश थमने की प्रार्थना
लगातार बारिश और बढ़ते जलस्तर ने ग्रामीणों में दहशत पैदा कर दी है। कई लोग अपने घरों की छतों पर शरण ले रहे हैं, और बारिश थमने की दुआ कर रहे हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर पानी का दबाव और बढ़ा तो स्थिति और बेकाबू हो सकती है।
भविष्य के लिए चिंता: बुनियादी ढांचे की कमजोरी
पिछले साल की तरह इस बार भी पुलिया के धंसने और बाढ़ की स्थिति ने क्षेत्र के बुनियादी ढांचे की कमजोरियों को उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि नदियों के कटाव और बाढ़ प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक उपायों की जरूरत है, जैसे तटबंधों का सुदृढ़ीकरण और नदियों की ड्रेजिंग।