वाशिंगटन, (वेब वार्ता)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत रक्षा विभाग (पेंटागन) का नाम बदलकर ‘युद्ध विभाग’ (डिपार्टमेंट ऑफ वॉर – Department of WAR) कर दिया गया है। यह फैसला 5 सितंबर 2025 को लागू किया गया। ट्रम्प ने इसे “दुनिया को जीत का संदेश” देने वाला कदम बताया है। हालांकि, यह नाम परिवर्तन औपचारिक रूप से लागू करने के लिए कांग्रेस की मंजूरी की आवश्यकता होगी, और अभी इसे सेकेंडरी टाइटल के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
ट्रम्प का बयान: ‘युद्ध विभाग’ (Department of WAR) अधिक उपयुक्त
व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते समय ट्रम्प के साथ रक्षा सचिव पीट हेगसेथ भी मौजूद थे। ट्रम्प ने पत्रकारों से कहा:
“मौजूदा नाम ‘डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस’ 70 साल से अधिक समय से चला आ रहा है, लेकिन यह बहुत अस्पष्ट है। दुनिया की वर्तमान स्थिति को देखते हुए ‘युद्ध विभाग’ एक अधिक उपयुक्त नाम है। हमने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध जैसे बड़े युद्ध ‘युद्ध विभाग’ के नाम के तहत जीते थे।”
ट्रम्प ने जोर देकर कहा कि यह नाम परिवर्तन अमेरिका की सैन्य शक्ति और “योद्धा भावना” (Warrior Ethos) को दर्शाता है। उन्होंने कहा:
“हम केवल रक्षा नहीं करना चाहते, हम जरूरत पड़ने पर आक्रामक भी होना चाहते हैं।”
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 1789 से 1947 तक ‘युद्ध विभाग’
‘युद्ध विभाग’ का नाम 1789 में अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन के कार्यकाल में स्थापित किया गया था और इसका उपयोग 1947 तक किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, 1947 के नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत सेना, नौसेना और वायुसेना को एकीकृत कर रक्षा विभाग बनाया गया, जिसे 1949 में औपचारिक रूप से यह नाम दिया गया। इस बदलाव का उद्देश्य परमाणु युग में युद्ध को रोकने और रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना था।
ट्रम्प और हेगसेथ ने तर्क दिया कि ‘रक्षा विभाग’ का नाम बहुत “रक्षात्मक” (Defensive) है और यह अमेरिका की सैन्य ताकत को पूरी तरह प्रदर्शित नहीं करता। हेगसेथ ने कहा:
“यह नाम परिवर्तन केवल शब्दों का खेल नहीं है, बल्कि योद्धा भावना को पुनर्जनन करने का प्रयास है। हम केवल रक्षा नहीं करेंगे, बल्कि आक्रामकता के साथ जीत सुनिश्चित करेंगे।”
कार्यकारी आदेश: सेकेंडरी टाइटल और लागत
यह कार्यकारी आदेश ‘युद्ध विभाग’ को रक्षा विभाग के लिए एक सेकेंडरी टाइटल के रूप में स्थापित करता है। इसके तहत:
रक्षा सचिव को ‘युद्ध सचिव’ (Secretary of War), और अन्य अधिकारियों को संबंधित उपाधियों से संबोधित किया जाएगा।
आधिकारिक पत्राचार, सार्वजनिक संचार, और समारोहों में ‘युद्ध विभाग’ का उपयोग होगा।
पेंटागन की वेबसाइट को war.gov पर रीडायरेक्ट किया गया है, और हेगसेथ के कार्यालय के बाहर साइनेज बदल दिया गया है।
हालांकि, स्थायी नाम परिवर्तन के लिए कांग्रेस की मंजूरी आवश्यक है। ट्रम्प ने इसकी जरूरत पर संदेह जताते हुए कहा, “हम इसे कर देंगे, मुझे यकीन है कि कांग्रेस साथ देगी।”
इस बदलाव की लागत को लेकर भी विवाद है। अनुमान है कि साइनेज, स्टेशनरी, और विश्वभर में पेंटागन की सुविधाओं को अपडेट करने में अरबों डॉलर खर्च हो सकते हैं।
डेमोक्रेट्स और विशेषज्ञों की आलोचना
डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस कदम को “महंगा राजनीतिक स्टंट” करार दिया है। डेमोक्रेटिक सीनेटर टैमी डकवर्थ ने कहा:
“यह पैसा सैन्य परिवारों का समर्थन करने या युद्ध रोकने के लिए कूटनीति में निवेश करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था। यह केवल राजनीतिक अंक हासिल करने की कोशिश है।”
विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम ट्रम्प के नोबेल शांति पुरस्कार के दावों के साथ विरोधाभास पैदा करता है, क्योंकि वे खुद को “शांति निर्माता” बताते रहे हैं। कैथरीन कुज्मिंस्की, सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी की निदेशक, ने कहा:
“नाम परिवर्तन से विभाग की कानूनी शक्ति या संरचना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय धारणाओं को प्रभावित कर सकता है।”
समर्थन और विवाद
ट्रम्प के कुछ सहयोगी, जैसे फ्लोरिडा के सीनेटर रिक स्कॉट और यूटा के सीनेटर माइक ली, ने इस कदम का समर्थन किया है। स्कॉट ने कहा:
“अमेरिकी सेना दुनिया की सबसे घातक ताकत है। ‘युद्ध विभाग’ का नाम हमारी जीत की क्षमता को दर्शाता है।”
हालांकि, सीनेटर मिच मैककॉनल जैसे कुछ रिपब्लिकन नेताओं ने लागत और प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए हैं।
पेंटागन के अधिकारियों ने भी इस कदम पर निराशा जताई है। एक पूर्व रक्षा अधिकारी ने कहा:
“यह केवल घरेलू राजनीतिक दर्शकों के लिए है। यह चीन या रूस की रणनीतियों पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा, बल्कि अमेरिका को युद्धोन्मादी के रूप में चित्रित करने का मौका देगा।”
भविष्य की संभावनाएं
ट्रम्प प्रशासन ने संकेत दिया है कि वे स्थायी नाम परिवर्तन के लिए विधायी और कार्यकारी कदमों पर विचार करेंगे। हालांकि, लागत, राजनीतिक विरोध, और अंतरराष्ट्रीय धारणाओं को लेकर विवाद इस प्रक्रिया को जटिल बना सकता है।




