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शिक्षक दिवस विशेष: “वायरल गुरु” शिवेंद्र सिंह बघेल – बच्चों के सपनों को पंख देने वाला शिक्षक

हरदोई, लक्ष्मीकान्त पाठक (वेब वार्ता)। कक्षा में बैठे छोटे-छोटे बच्चे, आंखों में सपनों की चमक और होंठों पर मासूम मुस्कान। सामने खड़े हैं – शिवेंद्र सिंह बघेल, वो शिक्षक जिनके लिए पढ़ाना महज़ नौकरी नहीं, बल्कि बच्चों के सपनों को हकीकत में बदलने का मिशन है। साधारण परिवार से निकलकर पत्रकारिता से शिक्षक बनने तक का उनका सफर जितना संघर्षपूर्ण है, उतना ही प्रेरणादायक भी।

पत्रकार से गुरु बनने तक

कभी पत्रकारिता करते हुए शिवेंद्र ने ग्रामीण भारत की शिक्षा व्यवस्था की हकीकत देखी। टूटे स्कूल, खाली कमरे और मायूस बच्चे। तभी मन में ठान लिया –

“समस्या को सिर्फ लिखकर नहीं बदला जा सकता, इसके लिए खुद मैदान में उतरना होगा।”

2018 में जब उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक की नौकरी जॉइन की, तब से उनका जीवन बदल गया।

चंदौली की पहाड़ियों से ‘वायरल गुरु’ तक

पहली पोस्टिंग हुई चंदौली के दुर्गम रतिगढ़ स्कूल में। वहां बच्चे पढ़ाई से दूर भागते थे। शिवेंद्र ने किताबें किनारे रखीं और शिक्षा को खेल-खेल में पढ़ाना शुरू किया।

  • क्रिकेट के जरिए वर्णमाला सिखाना

  • कविताओं में अक्षर जोड़ना

  • हंसी-खुशी में पाठ पढ़ाना

बच्चों के लिए स्कूल त्योहार बन गया।

उनका एक वीडियो जिसमें वे वर्णमाला को कविता से जोड़कर सिखा रहे थे, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और यहीं से उन्हें मिला नाम – ‘वायरल गुरु’

आंसुओं से भरी विदाई

2022 में जब ट्रांसफर होकर हरदोई का आदेश आया, तो बच्चों की आंखों से आंसुओं की बारिश हो गई।

विदाई समारोह में छोटे-छोटे हाथ उनके पैरों से लिपट गए –

“सर, मत जाइए!”

एक बच्ची ने कहा –

“सर, आप हमारे दोस्त हो, स्कूल आपके बिना सूना हो जाएगा।”

यह वीडियो देशभर में छा गया और लोगों ने कहा –

“यह है सच्चा गुरु-शिष्य बंधन।”

हरदोई में बदलाव की नई कहानी

फैजुल्लापुर पहुंचकर शिवेंद्र ने फिर कमान संभाली। चुनौतियां वही थीं – कम उपस्थिति, संसाधनों की कमी। मगर उन्होंने हार नहीं मानी।

  • डिजिटल क्लासरूम बनाया

  • बच्चों के लिए झूले लगवाए

  • आरओ से शुद्ध जल की व्यवस्था की

  • किचन गार्डन तैयार कराया

धीरे-धीरे स्कूल चमक उठा।

वे कहते हैं –

“कभी-कभी शिक्षक की हार, बच्चों की जीत का हौसला बढ़ाती है।”

सम्मान और पहचान

उनकी मेहनत को मंच भी मिला और सम्मान भी –

  • नाबार्ड द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान

  • जी न्यूज द्वारा रियल हीरोज अवॉर्ड

  • राष्ट्रीय शैक्षिक महाकुंभ द्वारा राष्ट्रीय धरोहर सम्मान

  • कई सामाजिक संस्थाओं और संगठनों द्वारा सम्मान

यहाँ तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में उनके कार्यों का ज़िक्र किया और कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी ने उन्हें मंच से सम्मानित किया।

प्रेरणा की मिसाल

आज शिवेंद्र बघेल का नाम सिर्फ हरदोई या चंदौली तक सीमित नहीं, बल्कि देशभर में जाना जाता है। उनके वायरल वीडियो और नवाचार बच्चों में आत्मविश्वास भरते हैं।

वे मानते हैं –

“बच्चे फूल हैं, उन्हें प्यार से सींचो, डांट से नहीं। शिक्षक किताबें नहीं, सपने पढ़ाते हैं।”

शिक्षक दिवस पर सलाम

शिक्षक दिवस पर, ऐसे समर्पित गुरु को सलाम, जो साधारण से असाधारण बनकर शिक्षा की रोशनी से गांव-गांव को जगमगा रहे हैं।

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वेब वार्ता समाचार एजेंसी

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