नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने राज्य को बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में ले लिया है। इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि मणिमहेश यात्रा के दौरान फंसे सैकड़ों श्रद्धालुओं की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में कई लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन कुछ श्रद्धालु अभी भी लापता हैं। मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार, अगले कुछ दिनों में और भारी बारिश की संभावना है, जिससे स्थिति और विकराल हो सकती है।
बाढ़ का व्यापक प्रभाव
हिमाचल प्रदेश के कई जिलों जैसे कुल्लू, मंडी, शिमला और चंबा में भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं। ब्यास, सतलुज और रावी जैसी प्रमुख नदियों में जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सड़कें धंस गई हैं, पुल बह गए हैं, और कई गांवों का संपर्क मुख्य शहरों से कट गया है। बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप्प है, जबकि मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवाएं भी प्रभावित हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसी तबाही उन्होंने पहले कभी नहीं देखी।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, “बारिश इतनी तेज थी कि घरों में पानी घुस गया। हमने सब कुछ खो दिया।” राज्य में भूस्खलन के कारण कई वाहन मलबे में दब गए हैं, और कम से कम 10 लोगों की मौत की खबरें आ रही हैं, हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है। कृषि क्षेत्र को भी भारी नुकसान पहुंचा है, जहां फसलें बर्बाद हो गई हैं और पशुधन की हानि हुई है।
मणिमहेश यात्रा में फंसे श्रद्धालु
मणिमहेश यात्रा, जो भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा है, इस बार बाढ़ की भेंट चढ़ गई है। चंबा जिले के भरमौर क्षेत्र में स्थित मणिमहेश झील की ओर जा रहे सैकड़ों श्रद्धालु पहाड़ी रास्तों पर फंस गए। भारी बारिश और भूस्खलन ने रास्ते बंद कर दिए, जिससे कई लोग ऊंचाई वाले इलाकों में फंसे रह गए।
प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) की टीमों को तैनात किया। हेलीकॉप्टर की मदद से अब तक 200 से अधिक श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला गया है। हालांकि, खराब मौसम के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा आ रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा गया है, “हमारी प्राथमिकता फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालना है। सभी एजेंसियां 24 घंटे काम कर रही हैं।” कुछ श्रद्धालुओं की तलाश अभी भी जारी है, और उनके परिवारजन चिंतित हैं।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
हिमाचल प्रदेश सरकार ने आपदा को गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें राहत कार्यों की समीक्षा की गई। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) को सक्रिय कर दिया गया है, और केंद्र सरकार से भी सहायता मांगी गई है। राहत सामग्री जैसे भोजन, दवाइयां और टेंट वितरित किए जा रहे हैं। हजारों प्रभावित लोगों को अस्थायी शिविरों में स्थानांतरित किया गया है।
मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिसमें अगले 48 घंटों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। लोगों से अपील की गई है कि वे नदियों और पहाड़ी इलाकों से दूर रहें।
जनजीवन पर गहरा असर और आगे की चुनौतियां
इस बाढ़ ने राज्य की अर्थव्यवस्था को भी झटका दिया है। पर्यटन उद्योग, जो हिमाचल की मुख्य आय का स्रोत है, पूरी तरह ठप्प है। स्कूल और कॉलेज बंद हैं, जबकि कार्यालयों में कामकाज प्रभावित है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं, और स्वास्थ्य सेवाएं भी चरमराई हुई हैं। बाढ़ के पानी में फैल रही बीमारियां एक नई समस्या बन सकती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी आपदाएं बढ़ रही हैं। एक पर्यावरणविद् ने कहा, “वन कटाई और अनियोजित निर्माण ने स्थिति को बदतर बनाया है। हमें सतत विकास पर ध्यान देना होगा।” राज्य सरकार ने प्रभावितों के लिए मुआवजे की घोषणा की है, लेकिन वास्तविक राहत पहुंचने में समय लग सकता है।
इस आपदा से सबक लेते हुए, हिमाचल प्रदेश को मजबूत आपदा प्रबंधन प्रणाली विकसित करने की जरूरत है। फिलहाल, सभी की नजरें रेस्क्यू ऑपरेशन पर टिकी हैं, और उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति नियंत्रण में आएगी।