रियासी, (वेब वार्ता): जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में शुक्रवार देर रात एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें बादल फटने के कारण एक ही परिवार के सात लोगों की मौत हो गई। यह हृदयविदारक घटना माहौर इलाके के बद्दर गांव में हुई, जहां भारी बारिश और मलबे के कारण एक परिवार अपने घर में दब गया।
हादसे का दुखद विवरण
मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार रात माहौर इलाके में बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई। नजीर अहमद (37 वर्ष) और उनकी पत्नी वजीरा बेगम (35 वर्ष) अपने पांच बच्चों के साथ अपने कच्चे मकान में सो रहे थे। रात में अचानक आई भारी बारिश और बादल फटने से मलबा उनके घर पर गिर गया, जिससे पूरा परिवार मलबे में दब गया।
स्थानीय लोगों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया और सुबह तक सातों शवों को मलबे से निकाल लिया गया। मृतकों में पांच नाबालिग बच्चे शामिल हैं, जिनकी उम्र 4 से 12 वर्ष के बीच थी। इस हादसे ने पूरे इलाके में शोक और दहशत का माहौल पैदा कर दिया है।
स्थानीय विधायक का बयान
माहौर के विधायक मोहम्मद खुर्शीद ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा:
“यह बहुत दुखद घटना है। इतनी तेज बारिश और तूफान मैंने पहले कभी नहीं देखा। एक गरीब परिवार इस आपदा की चपेट में आ गया। नजीर अहमद, उनकी पत्नी वजीरा बेगम और उनके पांच बच्चों की मौत हो गई। रात में बादल फटने से मलबा उनके मकान पर गिर गया। सुबह से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ और सातों शव निकाले गए।”
उन्होंने आगे बताया कि भारी बारिश के कारण इलाके में सड़कें और भदौरा ब्रिज बह गया है, जिससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है। खुर्शीद ने कहा, “हम सरकार से पीड़ित परिवार के रिश्तेदारों को हर संभव मदद दिलाने की कोशिश करेंगे। यह परिवार बहुत गरीब था, और अब उनके परिवार में कोई नहीं बचा।”
राहत और बचाव कार्य
स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ, और पुलिस की टीमें घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्यों में जुटी हैं। भारी बारिश और बंद सड़कों के कारण बचाव कार्यों में कठिनाई हो रही है, लेकिन प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी राहत शिविर स्थापित किए हैं। पीड़ित परिवारों के लिए भोजन, पानी, और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
स्थानीय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि मृतकों के परिजनों को मुआवजा और पुनर्वास की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। साथ ही, क्षेत्र में आपदा प्रबंधन को मजबूत करने की मांग उठ रही है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।
बार-बार की आपदाएं: चेतावनी का संकेत
जम्मू-कश्मीर में हाल के महीनों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियमित मौसम पैटर्न के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसी आपदाएं अधिक हो रही हैं। मौसम विभाग ने पहले ही भारी बारिश और बादल फटने की चेतावनी जारी की थी, लेकिन इस तरह की त्रासदी को रोकना चुनौतीपूर्ण रहा।
हाल ही में रामबन, किश्तवाड़, और कठुआ जिलों में भी बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कई लोगों की जान गई। इन घटनाओं ने आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी तंत्र की जरूरत को और उजागर किया है।
सरकार और प्रशासन की प्रतिबद्धता
केंद्र और राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने ऐसी आपदाओं में त्वरित कार्रवाई के लिए पहले भी निर्देश जारी किए हैं। सेना, एनडीआरएफ, और स्थानीय प्रशासन समन्वय के साथ राहत कार्यों में जुटे हैं।
यह हादसा न केवल रियासी के लिए, बल्कि पूरे जम्मू-कश्मीर के लिए एक गंभीर चेतावनी है। विशेषज्ञों ने सरकार से दीर्घकालिक उपायों और बेहतर बुनियादी ढांचे की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।