हरदोई, लक्ष्मीकान्त पाठक (वेब वार्ता)। शाहाबाद नगर के एक भाजपा बूथ अध्यक्ष की हत्या के मामले में पुलिस की कथित लापरवाही और पीड़ित परिवार के साथ अभद्रता ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए शाहाबाद कोतवाल उमेश त्रिपाठी और विवेचक उप निरीक्षक राकेश यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
यह मामला शाहाबाद नगर के भाजपा बूथ अध्यक्ष शैलेंद्र पाण्डेय ‘गौरी’ के अपहरण और हत्या का है। उनका शव अपहरण के नौ दिन बाद एक तालाब से बरामद हुआ था। इसके बाद से ही पीड़ित परिवार न्याय की मांग को लेकर आंदोलन पर था। परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब उन्होंने पुलिस से सवाल किए, तो शाहाबाद कोतवाल ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया।
भाजपा जिलाध्यक्ष अजीत सिंह बब्बन ने भी इस मामले में मोर्चा खोल दिया और पुलिस की लापरवाही के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
एसपी की हस्तक्षेप और जांच के आदेश
इस बवाल के बीच, अवकाश से लौटे हरदोई के पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने देर रात शाहाबाद का दौरा किया। उन्होंने मृतक के परिजनों से मुलाकात की और घटनास्थल का मुआयना किया। एसपी ने परिजनों को भरोसा दिलाया कि पुलिस मामले का शीघ्र खुलासा करेगी और दोषियों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा।
लापरवाही पाए जाने पर निलंबन
परिजनों और राजनीतिक दबाव के बीच, एसपी ने क्षेत्राधिकारी शाहाबाद की रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कार्रवाई का फैसला किया। जांच में कोतवाल और विवेचक पर विवेचना में लापरवाही और पीड़ित परिवार के साथ अभद्र व्यवहार के आरोप प्रथमदृष्टया सही पाए गए, जिसके बाद दोनों को निलंबित कर दिया गया।
निलंबित अधिकारी: शाहाबाद कोतवाल उमेश त्रिपाठी और विवेचक उप निरीक्षक राकेश यादव
नया जांच अधिकारी: मामले की जांच का जिम्मा अब क्षेत्राधिकारी नगर को सौंपा गया है।
समयसीमा: उन्हें सात दिन के भीतर पूरी जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं।
जिलेभर के पुलिसकर्मियों के लिए चेतावनी
पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने इस निलंबन कार्रवाई के साथ ही जिले के सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक सख्त चेतावनी जारी की है। उन्होंने निर्देश दिया कि कोई भी पुलिसकर्मी अपने कर्तव्यों और दायित्वों के प्रति शिथिलता न बरते। उन्होंने स्पष्ट किया कि उदासीनता या लापरवाही पाए जाने पर दोषी के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
यह कार्रवाई पुलिस प्रशासन की उस जवाबदेही को दर्शाती है, जिसकी मांग पीड़ित परिवार और सार्वजनिक रूप से उठ रही थी।