लखनऊ, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र जारी है, लेकिन इस बीच फतेहपुर जिले से मंदिर-मस्जिद विवाद की खबर सामने आई है। विपक्ष ने इस घटना को पूरी तरह से सुनियोजित और प्रायोजित बताते हुए सरकार पर हमला बोला है। सपा और कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि विवाद में स्थानीय लोगों का कोई हाथ नहीं था और यह राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।
विपक्षी विधायकों के आरोप
सपा विधायक अतुल प्रधान ने कहा,
“फतेहपुर में अशांति आम लोगों ने नहीं फैलाई, बल्कि प्रशासन और भाजपा नेताओं ने इसे अंजाम दिया, लेकिन जनता उनके इरादों को समझती है।”
सपा के मोहम्मद हसन रूमी ने आरोप लगाया,
“यह भाजपा का एजेंडा है, और सभी असामाजिक तत्व इसका फायदा उठाते हैं, स्थानीय समीकरणों में हेरफेर करते हैं, और अपने हितों की पूर्ति करते हैं।”
कांग्रेस की आराधना मिश्रा ने कहा,
“यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और पूरी तरह से सुनियोजित व प्रायोजित घटना है। वीडियो फुटेज में साफ दिख रहा है कि भाजपा के पदाधिकारी वहां मौजूद थे और भीड़ को उकसा रहे थे। यह सरकार की विफलता है।”
विधानसभा मानसून सत्र और विपक्ष की नाराजगी
आराधना मिश्रा ने विधानसभा के मानसून सत्र में कहा कि नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय को सदन में सम्मान देना चाहिए था, जो कि नहीं हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि नेता प्रतिपक्ष ने गोरखपुर में हुई बदसलूकी का निजी दुख साझा किया था, लेकिन सरकार ने इसे निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। विपक्ष केवल मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है।
फतेहपुर विवाद का पृष्ठभूमि
कथित तौर पर फतेहपुर की मंगी मकबरा को मंदिर बताकर मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति ने वहां पूजा करने के लिए जुलूस निकालने का ऐलान किया था। प्रशासन ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात किया था। बावजूद इसके, मकबरे में जबरदस्ती घुसने और तोड़फोड़ की कोशिश हुई। पुलिस ने इस मामले में 10 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।