Monday, October 20, 2025
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प्रियंका गांधी ने साधा इजरायल पर निशाना: पत्रकारों की हत्या को बताया ‘जघन्य अपराध’, भारत सरकार की चुप्पी पर उठाए सवाल

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में एक और संवेदनशील मोड़ तब आया, जब गाज़ा में इजरायल के हमले में अल-जजीरा के पांच पत्रकार मारे गए। इस घटना ने न केवल अंतरराष्ट्रीय मीडिया जगत में आक्रोश पैदा किया, बल्कि भारत में भी राजनीतिक प्रतिक्रिया को जन्म दिया। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस घटना को ‘जघन्य अपराध’ और ‘नरसंहार’ करार देते हुए भारत सरकार की चुप्पी पर गंभीर सवाल उठाए।

प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,

“अल जजीरा के 5 पत्रकारों की निर्मम हत्या फिलिस्तीनी धरती पर किया गया एक और जघन्य अपराध है। जो लोग सत्य के लिए खड़े होने की हिम्मत करते हैं, उनका असीम साहस इजरायल की हिंसा और घृणा से कभी नहीं टूटेगा। ऐसी दुनिया में जहां अधिकांश मीडिया सत्ता और व्यापार का गुलाम है, इन बहादुर आत्माओं ने हमें याद दिलाया कि सच्ची पत्रकारिता क्या होती है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।”

इसके साथ ही उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा,

“इजरायल नरसंहार कर रहा है। उसने 60 हजार से ज्यादा लोगों की हत्या की है, जिनमें 18,430 बच्चे शामिल हैं। उसने सैकड़ों लोगों को भूख से मार डाला है और लाखों लोगों को भूख से मरने की धमकी दे रहा है।”

भारत सरकार पर सवाल

प्रियंका गांधी ने भारत सरकार की ‘निष्क्रियता’ पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि चुप रहना और कार्रवाई न करना, इन अपराधों को बढ़ावा देने के समान है।

“यह शर्मनाक है कि भारत सरकार चुप बैठी है, जबकि इजरायल फिलिस्तीन के लोगों पर यह तबाही मचा रहा है।”

इजरायल का पलटवार और आरोप

हालांकि, इजरायल ने पत्रकारों की मौत को ‘साधारण’ हमले का परिणाम मानने से इंकार किया है। इजरायल डिफेंस फोर्सेस (IDF) का दावा है कि मारे गए अल-जजीरा रिपोर्टर अनस अल-शरीफ हमास के एक आतंकी ग्रुप का प्रमुख था और इजरायली नागरिकों व सेना पर रॉकेट हमलों की योजना बना रहा था।
IDF के मुताबिक, उनके पास 2019 के हमास दस्तावेज हैं, जिनसे पता चलता है कि शरीफ समूह की एक सशस्त्र इकाई में सक्रिय था।
हमले में उसके चार सहयोगी—मोहम्मद कुरैकेह, इब्राहिम जहीर, मोअमेन अलीवा और मोहम्मद नौफल भी मारे गए।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और अल-जजीरा का रुख

अल-जजीरा ने इस घटना को पत्रकारिता पर सीधा हमला बताया है और कहा है कि उनके पत्रकार केवल जमीनी सच्चाई दुनिया के सामने ला रहे थे। संगठन ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है।
दूसरी ओर, कई अंतरराष्ट्रीय पत्रकार संगठनों ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि संघर्ष क्षेत्रों में काम कर रहे पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना वैश्विक जिम्मेदारी है।

भारत की कूटनीतिक स्थिति

भारत ने अभी तक इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। विदेश मंत्रालय ने हाल के महीनों में इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर ‘संयम’ और ‘संवाद’ का रुख अपनाने की बात कही थी, लेकिन किसी भी पक्ष को खुला समर्थन नहीं दिया।
कांग्रेस सहित विपक्ष का आरोप है कि सरकार इजरायल के पक्ष में ‘चुप्पी’ साधे हुए है, जबकि मानवाधिकार और पत्रकारिता पर हमले के खिलाफ सख्त आवाज उठानी चाहिए।

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