ICICI Bank raises five times Minimum Average Balance (MAB) requirement for savings accounts
कोलकाता, (वेब वार्ता)। ICICI Bank : देश में बैंकिंग सेवाओं को समावेशी और आमजन के लिए सुलभ बनाने की दिशा में काम कर रही एक नागरिक संस्था ने आईसीआईसीआई बैंक के हालिया फैसले का कड़ा विरोध किया है। संस्था ने वित्त मंत्रालय और वित्त सचिव को पत्र लिखकर मांग की है कि बैंक के इस कदम में हस्तक्षेप कर इसे तुरंत वापस लिया जाए।
📌 मामला क्या है?
आईसीआईसीआई बैंक ने 1 अगस्त 2025 से अपने नए बचत खातों के लिए न्यूनतम औसत बैलेंस (MAB) की आवश्यकता में भारी बढ़ोतरी की है।
शहरी क्षेत्रों में यह राशि ₹50,000 कर दी गई है, जो पहले ₹10,000 थी।
अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लिए इसे ₹25,000 और
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ₹10,000 कर दिया गया है।
इस बदलाव का असर सीधे तौर पर उन ग्राहकों पर पड़ेगा, जिनकी आय सीमित है या जो छोटे स्तर पर बचत करते हैं।
🚨 नागरिक संस्था का आरोप – ‘यह कदम अन्यायपूर्ण और प्रतिगामी’
‘बैंक बचाओ देश बचाओ मंच’ नामक नागरिक संस्था ने इसे “अन्यायपूर्ण और प्रतिगामी” निर्णय बताया है। संस्था के संयुक्त संयोजक विश्व रंजन रे और सौम्य दत्ता ने पत्र में लिखा:
“यह निर्णय समावेशी बैंकिंग के सिद्धांत को कमजोर करता है और सरकार के वित्तीय समावेशन के दृष्टिकोण के खिलाफ है।”
संस्था का कहना है कि इससे गरीब और मध्यमवर्गीय ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जिससे वे बैंकिंग प्रणाली से बाहर होने को मजबूर हो सकते हैं।
💡 समावेशी बैंकिंग का महत्व
भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) लंबे समय से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। जनधन योजना जैसी योजनाओं ने करोड़ों लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा है। लेकिन निजी बैंकों द्वारा न्यूनतम जमा राशि में अचानक और भारी बढ़ोतरी इन प्रयासों को कमजोर कर सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बचत खाता एक बुनियादी बैंकिंग सुविधा है, जिसे सस्ती और सुलभ रखना जरूरी है, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, जहां आय का स्तर कम है।
📊 बैंकिंग सेक्टर पर संभावित असर
ग्राहकों का बहिर्गमन – उच्च MAB की शर्तें गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग को बचत खातों से बाहर कर सकती हैं।
वित्तीय बहिष्कार का खतरा – जो लोग न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने में असमर्थ होंगे, वे अनौपचारिक या गैर-बैंकिंग वित्तीय चैनलों का सहारा ले सकते हैं।
सरकारी योजनाओं पर असर – कई सरकारी लाभ सीधे बचत खातों में आते हैं; MAB की शर्तें गरीबों के लिए इन खातों को बनाए रखना मुश्किल कर देंगी।
🏛 सरकार से अपील
संस्था ने वित्त मंत्री से अपील की है कि इस निर्णय को तत्काल वापस लेने के लिए आईसीआईसीआई बैंक पर दबाव डाला जाए और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा की जाए। साथ ही, RBI से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सभी बैंकों में MAB नीति आमजन के अनुकूल और संतुलित हो।
संस्था का सुझाव है कि:
न्यूनतम बैलेंस सीमा जनधन योजना और अन्य सामाजिक योजनाओं के लाभार्थियों के लिए न रखी जाए।
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम बैलेंस ₹2,000 से अधिक न हो।
📍 निष्कर्ष
आईसीआईसीआई बैंक का यह कदम वित्तीय समावेशन के लक्ष्य के विपरीत माना जा रहा है। यदि इसे वापस नहीं लिया गया, तो लाखों छोटे खाताधारकों पर असर पड़ सकता है और भारत में समावेशी बैंकिंग की दिशा में किए गए वर्षों के प्रयास कमजोर हो सकते हैं।



