यरूशलम, (वेब वार्ता)। इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने सोमवार को पुष्टि की कि गाज़ा में हुए एक हमले में अल जज़ीरा के पत्रकार अनस अल-शरीफ की मौत हो गई। आईडीएफ का आरोप है कि अल-शरीफ हमास में एक आतंकवादी सेल का प्रमुख था और उसने इजरायली नागरिकों व सैनिकों पर रॉकेट हमले किए थे। सेना ने चेतावनी दी कि “प्रेस बैज आतंकवाद के लिए ढाल नहीं है”।
आईडीएफ के अनुसार, अल-शरीफ अपने तीन साथियों — इब्राहिम जहीर, मोमेन अलीवा और मोहम्मद नौफल — के साथ मारा गया। सेना ने बयान में कहा कि गाज़ा से मिली खुफिया जानकारी और जब्त दस्तावेज़, जिनमें कर्मचारियों की सूचियां, आतंकवादी प्रशिक्षण लिस्ट और वेतन रिकॉर्ड शामिल हैं, यह साबित करते हैं कि वह अल जज़ीरा से जुड़ा हुआ एक हमास कार्यकर्ता था।
आईडीएफ का कहना है कि अक्टूबर में गाज़ा में जब्त की गई सामग्री से ही अल-शरीफ के हमास से सैन्य संबंध की पुष्टि हो चुकी थी, लेकिन अल जज़ीरा ने इन आरोपों को नकारने की कोशिश की। सेना के मुताबिक, दस्तावेज़ों में टेलीफोन डायरेक्टरी, प्रशिक्षण कोर्स की लिस्ट और अन्य रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि वह गाज़ा पट्टी में हमास के लिए सक्रिय आतंकवादी के रूप में काम करता था।
इजरायल ने दावा किया कि इस हमले से पहले नागरिक हताहतों की संख्या कम करने के लिए सटीक हथियारों का इस्तेमाल, हवाई निगरानी और अतिरिक्त खुफिया आकलन जैसे उपाय अपनाए गए थे।
अल-शरीफ अपनी मौत से पहले सोशल मीडिया पर सक्रिय थे और ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर गाज़ा में हो रही इजरायली बमबारी के बारे में लगातार पोस्ट कर रहे थे। उनकी मौत के बाद, उनके सहयोगियों ने उनके अकाउंट से एक पहले से लिखा संदेश पोस्ट किया, जिसमें लिखा था —
“अगर मेरे ये शब्द आप तक पहुँचें, तो जान लें कि इजरायल मुझे मारने और मेरी आवाज़ को खामोश करने में कामयाब हो गया है।”