-उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश से नदी-नाले उफान पर, हेलीकॉप्टर सेवाएं बंद
देहरादून, (वेब वार्ता)। उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मौसम विभाग ने सोमवार को अल्मोड़ा, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल और उधमसिंहनगर सहित राज्य के छह जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। राज्य की प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के पास पहुंच चुका है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
उत्तरकाशी के मातली हेलीपैड से धराली के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भारी बारिश के कारण फिलहाल बंद कर दी गई हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि मौसम साफ होने के बाद ही इन सेवाओं को बहाल किया जाएगा। फंसे हुए सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और स्थानीय निवासियों के लिए खाद्यान्न व आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
यात्राओं पर रोक
खराब मौसम और भूस्खलन के कारण बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्राएं रोक दी गई हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है और यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रुकने की सलाह दी गई है।
रामनगर में मूसलाधार बारिश से जनजीवन ठप
नैनीताल जिले के रामनगर में सोमवार सुबह से जारी तेज बारिश ने हालात बिगाड़ दिए हैं। कोसी नदी, धनगढ़ी नाला, टेड़ा नाला और रिंगोड़ा नाला समेत कई नालों का जलस्तर अचानक बढ़ गया है, जिससे निचले इलाकों में जलभराव और यातायात बाधित हो गया है। कई ग्रामीण संपर्क मार्गों पर जाम और अवरोध की स्थिति बनी हुई है। प्रशासन ने चेतावनी जारी करते हुए लोगों से नदियों और नालों के किनारे न जाने की अपील की है।
भूस्खलन से मार्ग बाधित
उत्तरकाशी–गंगनानी मार्ग पर नेताला के पास बड़े पैमाने पर भूस्खलन होने से सड़क पूरी तरह अवरुद्ध हो गई है। भारी मशीनरी की मदद से मलबा हटाने का काम जारी है। हाल ही में हुए बादल फटने की घटना से धराली समेत कई क्षेत्रों में भारी तबाही हुई है, जिसमें पांच लोगों की मौत और कई लोग लापता हुए हैं।
सरकार और प्रशासन की तैयारी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि अब तक 1,308 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और घायलों का इलाज जारी है। राहत कार्य 24 घंटे चल रहे हैं। भारत मौसम विभाग के अनुसार, अगले 24 घंटों में कई इलाकों में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है, जिससे भूस्खलन और बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार बारिश से पहाड़ी मिट्टी कमजोर हो चुकी है, और हल्की बारिश भी मलबा खिसकने का कारण बन सकती है। पर्यटन उद्योग पर भी इसका असर पड़ा है, कई होटल बुकिंग रद्द हो गई हैं और पर्यटक समय से पहले लौटने लगे हैं।